भोपाल \ रायपुर\रीवा।( रमेश तिवारी ‘रिपु’) । यूपीए सरकार ने वक्फ बोर्ड को हड़प बोर्ड बना दिया। इसका फायदा कांग्रेसियों ने खूब उठाया। वक्फ की जमीनों पर कब्जा कर घर बना लिए। बाद में पार्टी बदल कर बीजेपी में चले गए। मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन बिल संसद में पेश किया तो पता चला कि वक्फ के पास रेल्वे से भी ज्यादा जमीन है।
वक्फ संशोधन बिल संसद में पेश करने के बाद पता चला कि वक्फ के पास रेल्वे से भी ज्यादा जमीन है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने सन् 2022 में बताया था वक्फ बोर्ड के पास 865644 अचल संपत्तियां हैं। लगभग 9.4 लाख एकड़ वक्फ की जमीनों की अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ है। लेकिन देखा जाए तो वक्फ की ज्यादातर जमीनों पर कांग्रेसियों का कब्जा है। इसके अलावा बीजेपी के विधायक और मंत्री भी अपना घर बना रखे हैं। वक्फ की जमीन में अस्पताल और स्कूल बनने चाहिए लेकिन काम्पलेक्स और दुकानें बनी हुई है। हर जिले के वक्फ के अध्यक्ष वक्फ की जमीन पर बने दुकानों से कमाई कर रहे हैं।
पूर्व विधान सभा अध्यक्ष का घर
वक्फ की जमीनों का मामला हमेशा विवादित रहा है। इस समय 58 हजार से ज्यादा वक्फ की जमीनों के मालिकाना हक से जुड़ी याचिकाएं लंबित हैं। करीब साढे बाहर हजार मामले अलग अलग प्रदेशों में लंबित हैं। वहीं 18 हजार से ज्यादा मामले ट्रिव्यूनल में पेंडिग है। और करीब 165 मामले सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में लबित है। संभागीय मुख्यालय रीवा में अमहिया की जमीन का भी मामला लंबित है। इस मोहल्ले के 131 लोगों को नोटिस दी गयी थी। कई लोग जमानत पर हैं। मध्यप्रदेश के पूर्व विधान सभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी का घर भी वक्फ की जमीन पर है। यहां के कई विधायक और नेताओं के भी घर बने हुए हैं।रीवा में 70 एकड़ जमीन वक्फ की है। लेकिन 60 एकड़ जमीन पर राजनीतिक और ओहदेदारों का कब्जा है। भोपाल के आरिफ अकील ने वक्फ की जमीन पर आरिफ नगर बसाया।
सिद्धार्थ फंस गए
पूर्व विधान सभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी जो कि त्योंथर से बीजेपी के विधायक हैं। उन्होंने अमहिया मार्ग के किनारे हाजी बाबा सैय्यद जहूर अली की मजार को सरकारी जमीन पर होने की बात कहकर मुस्लिम समाज को स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के खिलाफ करने बयान दिया। इसे उन्होंने लैंड जेहाद कहा। लेकिन दरगाह के लोगों ने जिला प्रशासन के समक्ष कागजात पेश कर दिया कि यह पट्टे की जमीन पर मजार बना है। जो रास्ता छोड़ा गया है वो भी पट्टे की जमीन है। सिद्धार्थ का सांसद जनार्दन मिश्रा से 36 का सियासी रिश्ता होने के चलते उन्होंने डिप्टी सीएम को घेरने की कोशिश की। लेकिन मामला उल्टा पड़ गया है। अब जिला वक्फ कह रहा है, सिद्धार्थ जिसमें रह रहे हैं वो जमीन वक्फ की है। खाली करें।
क्यों नये बिल की जरूरत
नए बिल की जरूरत इसलिए पढ़ गयी है कि 1954 में सरकार ने जो जमीन वक्फ को दी थी वही उसकी जमीन है। लेकिन देखा गया है कि आज की तारीख में वक्फ ने जबरिया सरकारी जमीनों पर कब्जा कर उसे अपना बना लिया है। यही वजह है कि उसके पास रेल्वे से भी ज्यादा जमीनें हैं। जिन जमीनों पर दावा वो कर रहा है उसके कागजात उसके पास होना चाहिए,लेकिन हैं नहीं। यह बात मोदी सरकार जानती है। यही वजह है कि वो कांग्रेस के शासन में वक्फ को मिले अधिकार को संकुचित करने नया बिल संसद में पेश किया है।यह जरूरी भी है। वक्फ किसी की भी जमीन पर अपना दावा ठोक कर उसे अपना बताता आया है। वक्फ के मामले की सुनवाई भी इतनी आसान नहीं है।
वक्फ पर सरकार चाहती है नियंत्रण
मोदी सरकार वक्फ बोर्ड के काननू में चालीस तरह के बदलाव करना चाहती है। यदि कानून पास हो गया तो वक्फ बोर्ड में दो अन्य जाति के लोग भी रहेंगे। और यही मुस्लिम समुदाय नहीं चाहता। सेक्शन 9 और 14 में बदलाव कर महिलाओं को महिलाओं को भी जगह दी जाएगी। सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर अपना नियंत्रण चाहती है। भविष्य में वक्फ की संपत्तियों का आडिट कैग के जरिये होगा। राज्य और केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों में दखल नहीं दे सकती हैं, लेकिन कानून में बदलाव के बाद वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में रजिस्टर्ड करानी होगी। ताकि संपत्ति के मालिकाना हक की जांच हो सके।नए बिल के पास होने पर वक्फ की संपत्तियों और उसके राजस्व की जांच जिला मजिस्ट्रेट कर सकेंगे। नए बिल से फायदा यह होगा कि वक्फ ट्रिव्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट मे चुनौती दिया जा सकेगा। जब तक कोई जमीन दान में नहीं देगा तब तक वह संपत्ती वक्फ की नहीं होगी भले उस पर मस्जिद ही क्यों न हो।
नये बिल का विरोध क्यों
मुस्लिम सम्प्रदाय वक्फ के नए बिल का विरोध कर रहे हैं। उसकी वजह यह बताते हैं कि वक्फ की संपत्ति अल्लाह के नाम की संपत्ति है। ऐसे में मोदी सरकार वक्फ के कानून में बदलाव करके वक्फ बोर्ड की स्वतंत्रता और स्वायत्ता छीनना चाहती है। जो कि उचित नहीं है। लेकिन ज्यादातर लोगों का कहना है कि