
Yagya is the basis of making human life successful
रीवा। यज्ञ केवल धार्मिक अनुष्ठान मात्र नहीं है। यज्ञ जीवन शैली बदल देता है। यज्ञ में संसार का हित छिपा है। यज्ञ से जीवन में संस्कार आते हैं। यज्ञ से जीवन में सफलता मिलती है। यज्ञ एक विशष्टि वैज्ञानिक और अध्यात्मिक प्रक्रिया है। जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन को सफल बना सकता है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि यज्ञ करने वाले को परमगति की प्राप्ति होती है। यज्ञ मानव जीवन को सफल बनाने की एक आधार शिला है। इसके कुछ भाग विशुद्ध आध्यात्मिक है। अग्नि पवित्र है। और जहां यज्ञ होता है वहां संपूर्ण वातावरण पवित्र और देवमय हो जाता है। यज्ञ आदमी को देवमय बनाता है।यज्ञ वेदी में स्वाहा बोलने से देवताओं को भोजन परोसने से मनुष्य को दुख दरिद्रता और कष्टों से छुटकारा मिलता है।
प्राणियों में सदभावना का संचार
यह बात आज गायत्री शक्ति पीठ रीवा में तीन दिवसीय चल रहे 24 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ में आचार्य जमुना प्रसाद ने कही। उन्होंने गायत्री महायज्ञ में आए भक्तों से कहा कि यज्ञ को शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ कर्म कहा गया है। इसकी सुगंध से समाज सुंगधित होता है। क्यों कि यज्ञ करने वाले अपने आप में दिव्यात्मा होते हैं। यज्ञ से ब्रम्ह की प्राप्ति होती है। यह इंसान की पाप से रक्षा करता है और प्राणियों में सदभावना का संचार करता है। इसीलिए आज सारी दुनिया में गायत्री यज्ञ में हर कोई अपनी बुराइयों की आहुति देने आता है। अश्वमेघ यज्ञ का जमाना अब नहीं रहा। लोकतंत्र में गायत्री यज्ञ के प्रति सभी की धारणाएं एक सी है।
51 सौ दीये प्रज्वलित किये गये
आज गायत्री महायज्ञ में आहूति देने वाले भक्त सुबह से ही भारी संख्या में उपस्थित थे। यज्ञ एवं समस्त संस्कार में हिस्सा लेने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए आज आहुति देने का कार्यक्रम दो दफा हुआ। महाआहुति में भी रीवा के भक्तजन बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिये। रीवा के भक्तगणों के अलावा 24 कुडीय यज्ञ में आहुति देने त्योंथर, मनगवां, सिरमौर, सेमरिया,हनुमना,रायपुरकचुर्लियान,जवा,मऊगंज के लोग भी भारी संख्या में आए। पूरा पंडाल धर्म की जय हो के उद्घोष से गूंजता रहा। दिन भर हवन सामग्री की खुशबू वातावरण में फैलती रही। यज्ञ शाला की ओर से 51 सौ दीये प्रज्वलित किये गये थे। और भक्त जन अपने से जो दीये लाए थे वो अलग थे। संध्या को दीप ज्योति में पांच सौ से अधिक भक्तजन उपस्थित रहे।
महापूर्ण आहुति प्रसाद वितरण 18 को
यज्ञ कर्ता श्रीमती लता दुबे ने बताया कि 24 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ में पूरे रीवा जिले से भक्त आ रहे हैं। आज ढाई हजार से अधिक लोगों ने भोजन प्रासद ग्रहण किया। यज्ञ में आने वाले किसी भी भक्त को अपने घर से कोई भी पूजन सामग्री लाने की जरूरत नहीं है। गायत्री महायज्ञ में आहुति की सारी सामग्री हर भक्त को मुहैया कराई जाती है। आज गायत्री महायज्ञ का दूसरा दिन था इसलिए श्रद्धालू भक्त जनों की संख्या अधिक होे जाने की वजह से दो दफा आहुति का अनुष्ठान हुआ। आहुति के बाद आने वाले भक्तों को भोजन भंडार में प्रसाद की व्यवस्था है। 17 दिसम्बर को सुबह 9 बजे से 12 बजे तक यज्ञ एवं समस्त संस्कार हुए। दोपहर तीन बजे से सायं 5 बजे तक दीप महायज्ञ। अंतिम दिन 18 दिसम्बर को सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक यज्ञ एवं समस्तत संस्कार,महापूर्णा आहुति प्रसाद वितरण का कार्यक्रम होंगे।
यज्ञ एक विज्ञान है- चन्द्रवती
गृहणी चन्द्रवती शुक्ला ने कहा कि यज्ञ एक महत्वपूर्ण विज्ञान है। इसमें जिन वृक्षों की समिधाएं उपयोग में लाई जाती हैं उनमें विशेष प्रकार के गुण होते हैं। वेद मंत्रों के उच्चारण की शक्ति से उस प्रभाव में और अधिक वृद्धि होती है। जो व्यक्ति उस यज्ञ में शामिल होते हैं उन पर तथा निकटवर्ती वायुमंडल पर उसका बड़ा प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिक अभी तक कृत्रिम वर्षा कराने में सफल नहीं हुए हैं किंतु यज्ञ द्वारा वर्षा के प्रयोग बहुधा सफल होते हैं। व्यापक सुख समृद्धि वर्षा आरोग्य शांति के लिए बड़े यज्ञों की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन छोटे हवन भी अपनी सीमा और मर्यादा के भीतर हमें लाभान्वित करते हैं।
मन की शांति का द्वार है यज्ञ – मिश्रा
सैनिक स्कूल के शिक्षक एस. के. मिश्रा ने कहा कि गायत्री यज्ञ में भक्त केवल हवन सामग्री की आहुति नहीं देता बल्कि अपने दुर्गोणों की भी आहुति देता है। इससे उसके मन को शांति मिलती है। आज समाज जिंदा है,देश चल रहा है और समाज में जरा भी दूसरे के प्रति दया है तो उसके पीछे है धार्मिक आयोजन की शक्ति है। धरती पर जब तक धार्मिक आयोजन होते रहेंगे इंसान के मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम की भावनाएं आकार लेती रहेंगी।इसलिए बेहद जरूरी है कि यज्ञ होते रहें। गायत्री परिवार ने सामज की धारणाएं बदल दी है।
यज्ञ के धुएं से तन मन पवित्र होते हैं- दुबे
रामपुर बघेलान के जनपद सीईओ प्रदीप दुबे ने कहा कि यज्ञ से निकलने वाले धुएं से तन और मन पवित्र होता है। यज्ञ से घर की और शहर की हवा शुद्ध होती है।यज्ञ से कुंडली के दोष का निवारण होता है। मेरा मानना है कि यज्ञ से ब्रम्ह की प्राति होती है। इसलिए समाज में यज्ञ होते रहना चाहिए। गायत्री परिवार ने यज्ञ के जरिये समाज की सोच बदल दी है।कई समाजिक बुराइयों से लड़ने की शक्ति गायत्री यज्ञ और धार्मिक आयोजनों से मिले हैं। यज्ञ कहीं भी हो, उसमें शामिल होने की कोशिश करना चाहिए। इसलिए कि यज्ञ से जीवन में सफलताएं मिलती है।
नशा मुक्त रीवा हो
गायत्री मंत्र हिन्दू धर्म में सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली मंत्रों में से एक है। इसे सूर्य देव का आर्शीवाद पाने के लिए हवन आयोजन में पढ़ा जाता है। यज्ञो को मानव और देवों के बीच संबंध स्थापित करने का माध्यम माना गया है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोंण से वातावरण परिशोधन में महत्वपूर्ण भूमिका बाताया गया है। गायत्री शक्ति पीठ में हो रहे 24 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ रीवा को नशा मुक्ति करने के मकसद से किया गया है। सामाजिक बुराइयों की आहुति देने के लिए भक्तजनों को आव्हान किया गया है।