
सहारनपुर। सहारनपुर के देवबंद के दारुल उलूम प्रबंधन ने दारुल उलूम में महिलाओं के प्रवेश पर रोक मई में रोक लगा दिया था। जिसे अब हटाने का निर्णय लिया गया है । मुस्लिम शिक्षण संस्था दारुल उलूम ने महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध इसलिए लगाया था कि वहां महिलाएं आकर रील बनाती थी और फोटो खींचती थी। जिसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई पर खलल पड़ता था।
प्रवेश सशर्त
दारुल उलूम प्रबंधन ने महिलाओं के प्रवेश की शर्ते तय कर दी है। अब प्रवेश से पहले दो घंटे का विजिटर पास बनाया जाएगा। दारुम उलूम में फोटो खींचने पर प्रतिबंध रहेगा। बगैर इजाजत के फोटो कोई नहीं खींच सकता। परिसर में बैठकर खाना भी नहीं खा सकते।
छवि खराब हो रही थी
दारुल उलूम में जिस समय महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया था उस वक्त इसकी वजह बताते हुए मस्जिद के मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा था यह फैसला सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले वीडियो को देखते हुए लिया गया है।दारुल उलूम में आने वाली महिलाएं रील बनाकर सोशल मीडिया पर उसे शेयर करते थीं। जिसकी वजह से पूरे देश में यहां की छवि खराब हो रही थी।
दारुल उलूम की स्थापना
दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 31 मई 1866 में की गई थी। दारुल उलूम की स्थापना मुहम्मद कासिम नानौतवी,फजलुर रहमान उस्मानी सैय्यद मुहम्मद आबिद ने मिलकर की थी। महमूद देवबंदी इसके पहले शिक्षक थे और महमूद हसन देवबंदी पहले छात्र थे।14 अक्टूबर 2020 को मौलाना अरशद मदनी को यहां का प्रिंसिपल और मौलाना अबुल कासिम नोमानी को वरिष्ठ हदीस प्रोफेसर य शेख अल हदीस द्ध नियुक्त किया गया था।