
Will the secret be revealed after 28 years who was behind sarls death
भोपाल।कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा की मौत आज भी संदिग्ध है। आखिर वो जली कैसे। किसने उन्हें जलाया। वो खुद जली या फिर किसी ने उन्हें जला दिया। जब उनका पूरा हाथ जल चुका था, तो फिर पुलिस को दिये गये बयान के कागज पर उनके नाम का हस्ताक्षर कैसे हुआ। वो कौन व्यक्ति था, जिसने सरला के बढ़ते राजनीति कदम से परेशान था। सरला की दस जनपथ में सीधे पहुंच थी। उनकी इस पहुंच से किसे खतरा था। सरला की मौत राजनीतिक थी या फिर स्वभाविक, इसका खुलासा आज तक नहीं हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समय ही सरला की जलने से मौत हुई थी। उनकी मौत की जांच सीबीआई से कराने की बात हुई थी। लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ी। अब 28 साल बाद सरला की मौत की जांच के आदेश कोर्ट से हुए हैं। कोर्ट ने भी माना है कि उनकी मौत की जांच में कई खामियां है। सवाल यह है कि 28 साल बाद क्या जिन खामियों को नजर अंदाज किया गया था, क्या उस पर से परदा उठ पाएगा। यह हत्या थी या फिर प्यार में धोखा के चलते उन्हें रास्ते से हटा दिया गया था।
पुनः जांच का आदेश
कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा की संदिग्ध मौत के मामले में 28 साल बाद दोबारा जांच होगी। यह फैसला उनके परिवार के वर्षों तक किए गए संघर्ष और न्याय की मांग के बाद आया है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मौत की पुनः जांच के आदेश दिए हैं। सरला मिश्रा की मौत 14 फरवरी 1997 को भोपाल के टीटी नगर स्थित सरकारी आवास में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने इसे आत्महत्या बताया था और मामले को बंद करने के लिए कोर्ट में आवेदन किया था।हालांकि, कोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट में गंभीर खामियां पाईं और केस को खारिज करते हुए पुनः जांच का आदेश दिया।सरला मिश्रा के भाई आनंद और अनुराग अपनी बहन को न्याय दिलाने लगातार कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि अब लगभग तीन दशक बाद, हमें न्याय की एक नई उम्मीद मिली है।
नेताओं को बचाने खात्मा
कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा की मौत के मामले की अब दोबारा जांच होगी। सरला मिश्रा की फरवरी 1997 में भोपाल के टीटी नगर स्थित आवास में जलने से मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में खात्मा रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी। कोर्ट ने रिपोर्ट में गंभीर खामियां पाते हुए इसे खारिज कर दिया और दोबारा जांच के आदेश दे दिए।सरला के भाई अनुराग मिश्रा ने कहा कि मेरी बड़ी बहन कांग्रेस की सक्रिय नेता थीं। उनका दस जनपथ पर सोनिया गांधी के घर पर आना-जाना था। उनकी मौत जिन परिस्थितियों में हुई उसमें कई ऐसे तथ्य हैं जो यह बताते हैं कि उनकी हत्या हुई थी, लेकिन पुलिस ने उस वक्त नेताओं को बचाने के लिए 2000 में खात्मा लगा दिया था।
दिग्विजय सिंह की सरकार थी
भाई ने आरोप लगाया कि मेरी बहन की हत्या हुई है। उनका तत्कालीन सीएम से झगड़ा हुआ था। जिस समय खात्मा लगाया गया था उस समय दिग्विजय सिंह की सरकार थी। 19 साल बाद कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार आई तो रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई।अनुराग ने पुरानी जांच पर सवाल उठाते हुए तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि उम्मीद है कि मेरी बहन को न्याय मिलेगा।
पुलिस ने नहीं लिया बयान
अनुराग मिश्रा ने बताया कि दीदी के आग से जलने की घटना के बाद सबसे पहले मेरे माता-पिता मौके पर पहुंचे थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें घर से बाहर कर दिया और घटना स्थल पर ताला लगा दिया। पुलिस ने न तो माता-पिता का बयान लिया, न ही मेरी एक और सगी बड़ी बहन का।पुलिस ने इसे संदिग्ध परिस्थिति में जलने का मामला मानकर IPC की धारा 309 (आत्महत्या के प्रयास) के तहत केस दर्ज कर लिया और बाद में मौत को आत्महत्या बता दिया। हमने उसी समय जांच अधिकारी से बार-बार कहा कि दीदी की हत्या की गई है। हमने लिखित में आवेदन भी दिया, लेकिन कोई जांच नहीं की गई।
फिंगर प्रिंट भी नहीं लिया गया
भोपाल कोर्ट की न्यायाधीश पलक राय ने अपने आदेश में कहा कि मृतका के मृत्यु पूर्व बयान की मेडिकल पुष्टि नहीं की गई। बयान के समर्थन में जो कागज के टुकड़े मिले, उनकी भी स्वतंत्र जांच नहीं कराई गई। घटनास्थल से कोई फिंगर प्रिंट भी नहीं लिया गया।
विवेचना में षड्यंत्र की आशंका
अनुराग मिश्रा ने कहा, पुलिस ने तो इसे आत्महत्या मानकर केस बंद करने की तैयारी कर ली थी, लेकिन मैंने लड़ाई लड़ी। 28 साल बाद कोर्ट ने मामले की दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।उन्होंने कहा कि केस में जो विसंगतियां रहीं उनमें प्रथम दृष्टया थाना प्रभारी एस.एम. जैदी, डॉ. सतपथी, और विवेचक महेंद्र सिंह करचली या अन्य कोई अधिकारी शामिल हैं तो हम उनके खिलाफ संबंधित थाने में लिखित शिकायत देंगे और FIR कराएंगे।अनुराग ने आरोप लगाया कि मामले में तत्काल एफआईआर होनी चाहिए, क्योंकि विवेचना में घोर लापरवाही बरती गई है। जांच करने वाले अधिकारी षड्यंत्र में शामिल रहे हैं।
राजनीति के लिए ठुकराई यूनिवर्सिटी की नौकरी
सरला मिश्रा की छोटी बहन मृदुला (वीणा) बताती हैं, सरला दीदी का नर्मदापुरम में ही जन्म 18 जनवरी 1957 को हुआ था। वे हमारे परिवार में सबसे बड़ी थीं। बोलने में बेबाक थीं। शुरुआत से ही उनका रुझान राजनीति की ओर था।जब उन्होंने सागर यूनिवर्सिटी से एलएलबी में टॉप किया और यूनिवर्सिटी में नौकरी मिली तो उन्होंने यह कहते हुए उसे अस्वीकार कर दिया कि उन्हें राजनीति में करियर बनाना है।उन्होंने बताया कि दीदी वॉलीबॉल, बैडमिंटन और टेबल टेनिस की शानदार खिलाड़ी थीं। वॉलीबॉल में वे एमपी टीम की ओर से करीब 12 बार नेशनल गेम खेलीं। वे भोपाल कोर्ट और हाईकोर्ट (जबलपुर) की पंजीकृत एडवोकेट भी थीं।मृदुला के अनुसार, पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए उन्होंने साहसिक रिपोर्टिंग की। जब फूलन देवी ने अपने साथ हुए बलात्कार के बदले गोलियां चलाई थीं, तब दीदी ने जेल पहुंचकर स्वयं फूलन देवी का इंटरव्यू किया था।