
Why the name of 65 lakh voters of bihar cut,tell me in the website- SC
राष्ट्रमत न्यूज,नई दिल्ली(ब्यूरो)। बिहार के वोटरों का नाम जिस तेजी से चुनाव आयोग ने काटा अब उसी तेजी से उसे अपनी बेवसाइट में डालने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। 48 घंटे के अंदर नाम चुनाव आयोग को डालना है। तीन दिन का समय सुप्रीेम कोर्ट ने दिया है बेवसाइट में यह लोड करने के लिए कि किस वजह से नाम काटा गया।
नाम क्यों काटा वजह भी बताई जाए
सुप्रीम कोर्ट में बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR (सामान्य शब्दों में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन) पर तीसरे दिन भी सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच में ये सुनवाई चली।SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि, जिन 65 लाख मतदाताओं का नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है। उनका नाम 48 घंटे के भीतर जिला निर्वाचन अधिकारी के वेबसाइट पर शेयर किया जाएगा। उनका नाम क्यों काटा गया इसकी वजह भी बताई जाए।
आधार कार्ड को स्वीकार करें
यह लिस्ट सभी संबंधित BLO के ऑफिस के बाहर, पंचायत भवन और BDO के ऑफिस के बाहर लगाई जाएगी। इस बात की सूचना सभी प्रमुख समाचार पत्रों, टीवी, रेडियो के द्वारा दिया जाएगा। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि जिनका नाम लिस्ट में नहीं है उनके पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड को स्वीकार करें।
चुनाव आयोग को 3 दिन का समय
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि, ‘मंगलवार तक चुनाव आयोग यह बताए कि वह पारदर्शिता के लिए क्या कदम उठाने जा रहा है।’ इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने 3 दिन का वक्त चुनाव आयोग को दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ‘जिन लोगों ने फॉर्म जमा किए हैं, वे फिलहाल मतदाता सूची में शामिल हैं।’जस्टिस सूर्यकांत ने वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा, ‘चूंकि यह कार्रवाई नागरिक के मताधिकार से वंचित करने जैसे गंभीर परिणाम ला सकती है, इसलिए निष्पक्ष प्रक्रिया जरूरी है।’इस दौरान जस्टिस बागची ने सवाल उठाया कि ‘जब सभी नाम बोर्ड पर चिपकाए जा सकते हैं, तो वेबसाइट पर क्यों नहीं डाले जा सकते।’
सूची का फॉर्मेट बदल दिया
अधिवक्ता द्विवेदी ने दलील दी कि ‘एक पुराने फैसले में मतदाता सूची को पूरी तरह खोज योग्य (searchable) बनाने पर गोपनीयता संबंधी आपत्ति जताई गई थी। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि खोज योग्य रूप में जानकारी देना ठीक है।’उन्होंने बताया कि ‘बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के मोबाइल नंबर वेबसाइट पर डाले जाएंगे, जिसे जस्टिस सूर्यकांत ने अच्छा कदम माना।’वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने सुझाव दिया कि ‘सूची मशीन-रीडेबल होनी चाहिए, क्योंकि पहले एक घोटाला सामने आ चुका है।’वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल एस. ने बताया कि ‘सूची का फॉर्मेट बदल दिया गया है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने दोहराया, “यह खोज योग्य होना चाहिए।” अदालत ने चुनाव आयोग को इस पर 3 दिन का समय दिया।’
चुनाव आयोग से पूछा
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मृत, प्रवास कर चुके और डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम सार्वजनिक करने पर अहम सवाल उठाए। जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग से पूछा, ‘अगर 22 लाख लोगों को मृत पाया गया है, तो उनके नाम ब्लॉक और सब-डिवीजन स्तर पर क्यों न बताए जाएं।’इस पर आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि ‘सिर्फ बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ही नहीं, बल्कि बूथ लेवल एजेंट भी इस प्रक्रिया में शामिल हैं।’