
What will be the question of the burning notes of justice verma
नई दिल्ली (ब्यूरो)। सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च की देर रात दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली के घर से मिले कैश की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी। इसमें कैश का वीडियो भी है। साथ ही तीन तस्वीरें भी जारी की गई हैं। इसमें 500 रुपए के जले हुए नोटों के बंडल दिखाई दे रहे हैं। सवाल यह है कि जज के बंगले में इतना सारा कैश आया कहां से। पांच सौ के बंडल के नोटों की अधजली बोरियांे से केस उलझ गया है। यशवंत वर्मा को केस देखने से अलग कर दिया गया है। लेकिन वो जैसा बता रहे हैं कि जिस कमरे में नोटों की बोरियां मिली वहां घर कोई जाता नहीं। ऐसे में यह जांच का विषय है कि वहां किसने नोटो से भरी बोरियां रखा।
नोटों के बंडल दिखाई दे रहे
सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च की देर रात दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली के घर से मिले कैश की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी।सुप्रीम कोर्ट ने जले हुए नोटों के बंडल का वीडियो सार्वजनिक किया है। इसमें कैश का वीडियो भी है। साथ ही तीन तस्वीरें भी जारी की गई हैं। इसमें 500 रुपए के जले हुए नोटों के बंडल दिखाई दे रहे हैं।
इस मामले में फंसाया जा रहा
रिपोर्ट में कहा गया कि 14 मार्च को जस्टिस के घर आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड की टीम वहां पहुंची थीं। आग पर काबू पाने के बाद 4-5 अधजली बोरियां मिलीं, उनके अंदर नोट भरे हुए थे।रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा का पक्ष भी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जिस स्टोर रूम में नोटों की गड्डियां मिलने की बात की जा रही है, वहां उन्होंने या उनके परिवार ने कभी कोई पैसा नहीं रखा। वो एक ऐसी खुली जगह है, जहां हर किसी का आना जाना होता है। उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है।
कॉल डिटेल्स की जांच की जाएगी
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने इंटरनल इन्क्वायरी के बाद सुप्रीम कोर्ट को 21 मार्च को रिपोर्ट सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा को ज्यूडिशियल काम देने से मना कर दिया है। अब जस्टिस वर्मा के 6 महीने की कॉल डिटेल्स की जांच की जाएगी।
जांच कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि करीब 3-4 बोरियां जली हुई मिलीं थीं।
क्या है पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि दिल्ली हाई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवासीय बंगले में आग लगने से एक बड़ा खुलासा हुआ था ।कथित तौर पर उनके घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी ।इस घटना ने न्यायिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया था। इसने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को भी तत्काल कदम उठाने पर मजबूर कर दिया. इसके अलावा, जस्टिस यशवंत वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक काम नहीं सौंपने का आदेश दिया गया है।
वेबसाइट पर अपलोड
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार देर रात दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी पाए जाने के मामले की पूरी आंतरिक जांच रिपोर्ट घटना से जुड़ी तस्वीरों और वीडियो के साथ अपनी वेबसाइट पर अपलोड की है।
CJI संजीव खन्ना के 3 सवाल
- घर के परिसर में मिले इतने कैश को जस्टिस वर्मा कैसे जस्टिफाई करेंगे?
- जितनी भी रकम मिली है, जस्टिस वर्मा यह भी बताएं कि उसका सोर्स क्या है?
- 15 मार्च की सुबह किस व्यक्ति ने जले हुए नोटों को कमरे से हटाया था?
CJI के 3 आदेश
- जस्टिस वर्मा के घर सिक्योरिटी ऑफिसर्स और गार्ड की डिटेल्स भी दी जाए।
- पिछले 6 महीने में जस्टिस वर्मा की ऑफिशियल और पर्सनल कॉल डिटेल निकाली जाए।
- जस्टिस वर्मा से अपील की जाती है वो अपने मोबाइल से मैसेज या डेटा डिलीट न करें।
जस्टिस वर्मा की सफाई-
- जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को सौंपे जवाब में कहा- 14/15 मार्च की रात बंगले के स्टाफ क्वार्टर के पास स्टोर रूम में आग लगी। कमरा पुराने फर्नीचर, बोतलें, क्रॉकरी, गद्दे, बागवानी उपकरण, सीपीडब्ल्यूडी की सामग्री रखने के लिए इस्तेमाल होता था। कमरा खुला रहता था। इसमें स्टाफ क्वार्टर के पिछले दरवाजे से भी जा सकते थे। यह मेरे मुख्य आवास से अलग था।
- घटना के दिन, पत्नी और मैं भोपाल में थे। मेरी बेटी और वृद्ध मां घर पर थीं। मैं 15 मार्च की शाम पत्नी के साथ दिल्ली लौटा। आग लगने के बाद आधी रात को बेटी और निजी सचिव ने दमकल विभाग को फोन किया।
- आग बुझाने के दौरान, सभी स्टाफ और मेरे घर के सदस्यों को सुरक्षा कारणों से घटनास्थल से दूर रहने को कहा गया था। आग बुझाने के बाद वे वहां गए, तो उन्हें वहां कोई नकदी या पैसे नहीं मिले।
- घटना ने मुझे यह विश्वास दिलाया है कि यह केवल षड्यंत्र का हिस्सा है, जो दिसंबर 2024 में सोशल मीडिया पर मेरे खिलाफ लगाए गए निराधार आरोपों से जुड़ा हो सकता है।
- मैं आरोप को नकारता हूं कि हमने स्टोर रूम से नकदी हटाई। हमें कभी कोई जली हुई नकदी नहीं दिखाई गई और न ही हमें जली हुई नकदी दी गई। वहां से केवल कुछ मलबा हटाया गया।
- एक जज के लिए उसकी प्रतिष्ठा और चरित्र से बढ़कर कुछ नहीं होता। यह घटना मेरी वर्षों की मेहनत और साख को नुकसान पहुंचाने वाली है।