
Tribal famuly lured the raw house by luring PM residence
राष्ट्रमत न्यूज,बालाघाट(ब्यूरो)। प्रधान मंत्री आवास का सब्ज बाग कितना भयावह है,इसकी कल्पना करके भी आज सिहर उठते हैं पंचायत करियादंड के तेंदुटोला में रहने वाला दो आदिवासी परिवार। बरसों से जिस जमीन पर रहतेे हुए इनकी कई पीढ़ियां गुजर गयी। उसी भूमि पर पहले पी.एम आवास बनाने के लिए उनका कच्चा घर गिरा दिया गया। अब जब पी.एम आवास बनने की बारी आई तो कहा गया कि यह जमीन रोड मद की है। महात्मा ज्योतिबाराव फुले और माता सावित्री बाई फुले की मूर्ति स्थापित किया जाएगा। आदिवासी परिवार के पास अब कच्चा मकान भी नहीं रहा। कलेक्टर जनसुनवाई में यह शिकायत हंशलाल कावरे और संतलाल कावरे ने की। सवाल यह है कि आदिवासी परिवार के साथ ऐसी घिनौनी साजिश क्यों की गयी?
प्रतिमा के लिए बेदखल किया
हंशलाल कावरे संतलाल कावरे आदिवासी ने बताया कि दो पीढ़ियों से हम अपने कच्चे मकान में रहते आए हैं। इस बार प्रधानमंत्री आवास का लाभ मिला हैं। जिसके तहत में हम दोनों को पहली किस्त 25 हजार रूपये आवास निर्माण के लिए मिली हैं। उसके बाद सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक ने कहा कि आवास का निर्माण जल्द करना हैं। जिसके बाद हमने कच्चा आवास को तोड़ दिया फिर सरपंच पति राजेश पांचे, रोजगार सहायक सहित अन्य मरारमाली समाज के लोगों ने कहा कि वह जमीन रोड़ मद की हैं। अब यहां महापुरूषों की प्रतिमा स्थापना की जाए। यह कहकर हमें बेदखल कर दिया गया है।
तोड़े गए मकान में फेसिंग लगी
हंशलाल कावरे और संतलाल कावरे को अब मकान बनाने पर रोक लगा दी गयी है। इनकी जगह पर जाली लगा दी गयी है। गांव के लोग इनकी जमीन पर महात्मा ज्योतिबाराव फुले और माता सावित्री बाई फुले की मूर्ति स्थापित करना चाह रहें हैं। जबकि शासन ने उक्त भूमि का पट्टा भी दिया। मूर्ति अन्य जगह भी स्थापित की जा सकती है। बावजूद जातिगत द्वेश के चलते ऐसा किया जा रहा हैं। गांव में सिर्फ दो परिवार ही आदिवासी हैं। जो मराम जाति के बीच में रहते हैं। इसी बात का फायदा उठाते हुए आदिवासी समाज के लोगों पर दबाव बना रहें हैं। तोड़े गये मकान की जगह पर फेंसिंग लगा दी गई हैं अब सड़क के किनारे झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं।
इनका कहना हैं
जिस जगह पर कच्चा आवास बना था। वहां कई पीढ़ियों से रहते आए हैं। अब पक्का आवास के लिए मकान तोड़ते ही पंचायत और ग्रामीणों ने मकान बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया हैं। पीएम आवास योजना का लाभ मिलते ही हमें लगा था कि हमें भी पक्की छत मिल जाएगी। अब तो लगता है कि हमारा कच्चा मकान ही अच्छा था।हम चाहते हैं कि हमारी कई पीढ़ियां जिस जमीन पर रहते आई है,वहीं पीएम आवास बने।
हंशलाल कावरे पीडित करियादंड
ग्राम पंचायत के तेंदूटोला निवासी दो आदिवासी परिवार का पीएम आवास के तहत मकान आया हुआ है। जिस मकान में निवास करते थे वहीं से जीओ टेकिंग करते हुए पहली किस्त भी आई हैं। अब वह जहां भी मकान बनायेगें वहा का जीओं टेकिंग किया जायेगा। जिस जमीन पर उनका मकान था वह जमीन रोड मद की भूमि हैं।
अर्जुन बाहे, सचिव ग्राम पंचायत करियादंड