
Treat the forest as a friend ,not a wild animal
बालाघाट। वन और वन्य जीवों के संरक्षण से ही समृद्ध समाज का निर्माण होता है। जंगल के साथ जंगली नहीं फ्रेंड जैसा बर्ताव करना चाहिए। जंगल सिर्फ हमें जीवन ही नहीं देते बल्कि, जंगली जानवरों के रहन सहन से हमें जीवन की कई सीख मिलती है। हमारी चेतना के विकास में वनों का बड़ा योगदान है। जंगल की महत्ता की अनुभूति हम वनों के करीब जाकर ही कर सकते हैं। शासन के निर्देश पर मध्यप्रदेश इको पर्यटन विकास बोर्ड और वन विभाग ने स्कूल के विद्यार्थियों के साथ मिलकर अनुभूति कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 73 बच्चे शामिल हुए।। अनुभूति कार्यक्रम के जरिये बच्चे जंगल को समझा और उसमें रहने वाले जीव जंतू की सभ्यता को।
वनो में गंदगी न करें
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी वन परिक्षेत्र उत्तर उकवा के तहत लूद जलाशय में अनुभूति कैंप का आयोजन किया गया। जिसमें शासकीय एकीकृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पाथरी एवं शासकीय एकीकृत माध्यमिक विद्यालय लूद के कुल 130 छात्र छात्राएं शामिल हुए। प्रारंभ में अनुभूति कैंप में उपस्थित हुए।सभी बच्चों को पढ़ने के लिए बुकलेट एवं एक किट प्रदान किया गया। बच्चों को अनुभूति का महत्व समझाते हुए वन क्षेत्र में किसी प्रकार की गंदगी न करने एवं वनों की सुरक्षा में अपना अहम योगदान देने हेतु समझाइश दी।
बच्चों ने कई प्रकार की तितलियां देखी
आयोजन के दौरान बच्चों को प्रकृति भ्रमण करने के पूर्व विभिन्न प्रकार की तितलियां जैसे कामन ग्रास येलो, फैंसी अनेक प्रकार की तितलियां देखकर गदगद हो गए। इसके अलावा कई प्रकार के पंक्षी दिखाये गए। बहुत सारे जलीय पक्षी देखने मिले। जैसे अंधा बगुला, मलंग बगुला,छोटा पान कौवा, कोकिला आदि। कार्यक्रम में विशेष रूप से वन विभाग द्वारा किए गए कार्यों का प्रदर्शन प्रकृति पथ पर किया गया।
वन विभाग की गतिविधियां
वन विभाग वनों के संरक्षण एवं भू जल संरक्षण के लिए अनेक प्रकार के काम करते हैं। जिसमें से मुख्य रूप से बोल्डर चेकडेम, ब्रशवुड चेकडेम, कंटूर, पौधा अंगीकरण कार्य, सिंगलिंग कार्य, ठूंठ ड्रेसिंग, झिरिया निर्माण कार्य के साथ साथ अनेक कार्यों का अवलोकन कराया गया। प्रकृति पथ में मुख्य रूप से पी आई पी का निर्माण किया गया।जिसका जंगलों में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहता है। इस पीआईपी की सहायता से जंगलों में होने वाली गतिविधियों का आकलन किया जाता है। बच्चों को इसके बारे में समझाया गया।
वन्य जीव का संरक्षण करें
अंत मे इस अनुभूति कार्यक्रम में उनके प्रश्न उत्तरी तथा चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन रखा गया था। चित्रकला और प्रश्न उत्तरी परीक्षा में में हिस्सा लेने वालों बच्चों में प्रथम द्वितीय और तृतीय इनाम प्राप्त किया। कार्यक्रम में उपस्थित मास्टर ट्रेनर नरेंद्र कुमार बंसोड़ वनपाल द्वारा प्रकृति के साथ हमें बदलाव करने तथा ’हम हैं बदलाव’ के नारे को साकार करने के लिए जिन साधनों का प्रयोग किया जाना है, उनके बारे में विस्तृत रूप से समझाया गया। बच्चों को बताया गया कि मध्य प्रदेश में 785 बाघ है जो कि पूरे भारत के प्रदेशों में सबसे ज्यादा है। बाघ की मौजूदगी से जंगल की सुन्दरता में इजाफा होता है। इसलिए बाघ के अलावा अन्य जीव जंतू का संरक्षण हमें करना चाहिए।