
Three death due to tiger attack in balaghat,forest workers intensfied
राष्ट्रमत न्यूज,बालाघाट(ब्यूरो)। दक्षिण सामान्य वन मंडल बालाघाट के कटंगी वन परिक्षेत्र में विगत पांच माह के अंदर बाघ ने तीन व्यक्तिों को अपना शिकार बना चुका है। वन विभाग की टीम रात में गश्त तेज कर दी है। पांच ट्रेप कमरे लगाए गए हैं। बाघ के खौफ की वजह से तेन्दूपत्ता का काम प्रभावित हो रहा है। ग्रामीण डर के मारे घर से निकलना कम कर दिये हैं। क्यों कि बाघों का चहल कदमी गर्मी की वजह से तेज हो गयी है।
कंटगी में बाघ के हमले से दो मौत
बालाघाट के कटंगी परिक्षेत्र के वनग्राम कछार में बाघ के आतंक से लोग दहशत में हैं। 16 मई को जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने गए 33 वर्षीय अनिल भलावी पर बाघ ने हमला कर दिया। इस हमले में अनिल की मौत हो गई। घटना के बाद से गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। सरपंच उमेश पटले के अनुसार ग्रामीण डर के मारे घरों में दुबके हुए हैं। कटंगी परिक्षेत्र में पिछले पखवाड़े में बाघ के हमले से दो मौतें हो चुकी हैं।
रात में गहन गश्त होगी
वन विभाग ने बाघ की पहचान और उसकी लोकेशन ट्रेस करने के लिए जंगल में 5 ट्रेप कैमरे लगाए हैं। उड़नदस्ता और गश्ती दल सर्च अभियान में लगे हैं।परिक्षेत्र अधिकारी बाबुलाल चढ्ढार ने बताया कि आगामी 5-6 दिनों तक रात में सघन गश्त की जाएगी। दिन में स्थानीय अमला गांव और आसपास के क्षेत्र में तैनात है। घटना के दिन अनिल कुछ ग्रामीणों के साथ तेंदूपत्ता तोड़ने गया था। बाघ ने झाड़ियों से निकलकर उस पर हमला किया और उसके कमर के नीचे के हिस्से को नोंच डाला।
डर बना हुआ है
कूड़वा गांव में 3 मई को बाघ नेे किसान पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया था। हालांकि वन विभाग की टीम ने बाघ को रेस्क्यू भी कर उसे सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया। लेकिन इसके बाद भी गांवों में बाघ नजर आ रहे हैं। इससे ग्रामीणों में खौफ का माहौल हैं। कटंगी रेंज पेंच नेशनल पार्क के कारीडोर से जुड़ा हुआ हैं इसलिए इस रेंज में करीब दर्जन भर से अधिक बाघ की चहल कदमी बताई जा रहीं हैं। कुड़वा गांव से वन्य प्राणी बाघ का वन विभाग ने रेस्क्यू कर लिया गया हैं। लेकिन आज भी पठार अंचल के अलग अलग गांवों में बाघ की चहल कदमी को देखा जा रहा है।
तीन घटनाएं बाघ की
कटंगी रेंज में वन्य प्राणी बाघ की चहल कदमी बनी हुई हैंए बाघ ने करीब आधा सैकड़ा से अधिक मवेशियों का शिकार किया हैं तो वहीं महज 05 माह के भीतर 03 लोगों की बाघ के हमले से मौत हो गई हैं।
* पहली घटना 22 दिसंबर 2024 को खैरलांजी निवासी किसान सुखराम उइके की मौत हो गई।
* दूसरी घटना तिरोड़ी तहसील के गोरेघाट सर्किल के कुड़वा में 03 मई 2025 को कुड़वा में जंगली सुअरों से फसलों की सुरक्षा करने खेत गए प्रकाश पाने को बाघ ने अपना शिकार बनाया।
* तीसरी घटना 16 मई 2025 में वन ग्राम कछार में तेंदूपत्ता तोडने गये युवक अनिल भलावी को बाघ ने मौत के घाट उतार दिया।
रेस्क्यू के बाद भी बाघ आए
ग्रामीण बताते हैं कि एक बाघ का रेस्क्यू किया गया था। रेस्क्यू के अगले दिन ही किसी दूसरे बाघ ने एक भैंस पर हमला कर दिया था। अब भी वे लोग खेत में डरे सहमे हुए जाते हैं। खेत जाते वक्त पटाखे फोड़ते हैं।
तेंदूपत्ता का काम प्रभावित
बालाघाट के ग्रामीण अंचलों में गर्मियों के सीजन में लोग वनोपज पर ही निर्भर होते है।। तेन्दूपत्ता तोड़ने का सीजन है। लेकिन बाघ के डर से लोग जाने से कतरा रहे हैं। ग्रामीण तेंदूपत्ता का काम करके 10 से 15 हजार रुपए कमा लेते हैं। ये पैसे उन्हें बारिश के मौसम में काम आते हैं। अब बाघ का खौफ इसके आड़े आ रहा है।
इन गांव के लोग दहशतजदा
पठार क्षेत्र के ग्राम कुड़वा, गोरेघाट, देवरी, चिटका देवरी, आंबेझरी, कन्हडगांव, भोंडकी, बड़पानी, हमेशा, मासुलखापा, और खैरलांजी में आलम ये है कि गांव से बाहर निकलते समय झुंड में लोग आते जाते हैं। कोई अकेले नहीं जाता बाध के खौफ की वजह से।
इनका कहना हैं
विगत 5 माह के भीतर में तीन व्यक्तियों पर बाघ ने हमला किया हैं। जिससे उनकी मौत हो गई। कर्मचारियों की गस्ती बड़ा दी गई हैं। साथ ही सीसीटीव्ही कैंमरे की मदद से भी वन्य प्राणी बाघ के मूवमेंट पर नजर बनाए हुए हैं। ग्रामीणों से लाउडस्पीकर के माध्यम से अपील हैं कि जा रहीं हैं कि वह जंगल की ओर अकेले ना जाएं। सावधानी बरते और सर्तक रहें।
बाबूलाल चढार, वन परिक्षेत्र अधिकारी, कटंगी