
There will be major changes in congress to strengthen hands
नई दिल्ली(ब्यूरो)। लगातार हार की वजह से कांग्रेस कही इतिहास बनकर न रह जाए इसलिए कांग्रेस ने कई सारे बदलाव करना चाहती है।सबसे बड़ा बदलाव यह कि वह उम्मीदवारों के चयन मे जिलाध्यक्षों को भी शामिल करना चाहती है। साथ ही जिला स्तर पर और ब्लाक स्तर पर सारे पदाधिकारिओं का चयन कर पद भरना चाहती है। जिला स्तरीय कमेटियों के काम काज में बदलाव लाना चाहती है।योग्य व्यक्ति को ही जिलाध्यक्ष बनाना चाहते हैं। अभी तक यह होता था कि प्रदेश अध्यक्ष ही तय कर देता था। लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। युवाओं को अधिक से अधिक स्थान देने का मन बना रही है। साथ ही राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे हर राज्य में एक दिन का वर्कशाॅप लगाना चाहते हैं।
कई बड़े नेताओं को जिम्मेदारी
लगातार तीन लोकसभा चुनाव में शिकस्त खाने वाली कांग्रेस अब बड़े बदलावों की ओर कदम बढ़ा रही है। कांग्रेस सबसे महत्वपूर्ण काम यह करने जा रही है कि वह जिला कांग्रेस कमेटियों यानी (DCC) के कामकाज के तरीके को बदलने जा रही है। हाल ही में जब अहमदाबाद में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) का अधिवेशन हुआ तो इसमें पार्टी ने गुजरात में DCC के कामकाज की निगरानी के लिए कई बड़े नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है।
पसंद के लोगों को जगह दे देते हैं
यह जानना जरूरी होगा कि DCC आखिर अहम क्यों है? कांग्रेस में DCC बूथ, ब्लॉक, मंडल इकाइयों के कामकाज पर नजर रखती है। संगठन की मजबूती के लिए इन इकाइयों का जमीनी स्तर पर एक्टिव होना बेहद जरूरी है।पिछले कुछ सालों में कई राज्यों में DCC निष्क्रिय हो गई हैं क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि बड़े नेता अपने करीबियों और वफादारों को जिला अध्यक्ष बनाने के लिए लॉबिंग करते हैं और जिला अध्यक्ष DCC में अपनी पसंद के लोगों को जगह दे देते हैं।इसका एक उदाहरण आप हरियाणा से समझ सकते हैं, जहां गुटबाजी और अंदरूनी लड़ाई-झगड़ों की वजह से लगभग एक दशक से ब्लॉक और जिला स्तर पर कांग्रेस का संगठन नहीं खड़ा हो पाया है। कुछ ऐसा ही केरल कांग्रेस में भी दिखाई देता है।
कांग्रेस अब क्या करने जा रही है
ऐसे में सवाल यह है कि कांग्रेस अब क्या करने जा रही है? इसका जवाब यह है कि कांग्रेस अब हर जिले में एक राजनीतिक मामलों की समिति गठित करेगी। इस समिति में पार्टी के प्रमुख नेताओं को शामिल किया जाएगा, जो फैसले लेने की प्रक्रिया में शामिल होंगे। ऐसा पार्टी में मतभेदों को दूर करने के मकसद से किया जा रहा है।कांग्रेस की एक कोशिश यह भी है कि हर जिले के लिए एक पैनल बनाया जाए जिसमें AICC से एक ऑब्जर्वर और राज्य कांग्रेस के चार नेताओं को शामिल किया जाए। पार्टी यह चाहती है कि ‘सबसे योग्य नेता’ को जिला अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। इसे सबसे पहले गुजरात में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा।
खड़गे-राहुल लगाएंगे वर्कशॉप
कांग्रेस के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने AICC की मीटिंग में कहा था कि DCC को नई ताकत और जिम्मेदारियां दी जाएंगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी हर राज्य में एक दिन की वर्कशॉप लगाएंगे। याद दिलाना होगा कि अहमदाबाद के इस अधिवेशन से पहले खड़गे और राहुल ने देश भर के कांग्रेस जिला अध्यक्षों से मुलाकात की थी। तब राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस अब जिला अध्यक्षों को ‘पार्टी की बुनियाद बनाने’ की दिशा में काम कर रही है।
अब जिलाघ्यक्ष प्रत्याशी चयन करेंगे
कांग्रेस सब विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन में जिला अध्यक्षों को भी शामिल करना चाहती है। ऐसे में जिला अध्यक्ष केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठकों का हिस्सा बनेंगे। यही समिति बड़े चुनावों के लिए उम्मीदवारों का फैसला करती है।कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि कांग्रेस की कोशिश एक साल के भीतर पूरे देश भर में DCC अध्यक्षों के साथ-साथ बूथ, मंडल और ब्लॉक इकाई के प्रमुखों की नियुक्ति करना भी है। लेकिन बड़े बदलावों के बीच पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व DCC अध्यक्षों को नियुक्त करने का अधिकार अपने पास ही रखेगा।याद दिलाना होगा कि साल 2020 में जब कांग्रेस के अंदर बगावत की आहट सुनाई दी थी तब कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने G-23 नाम का ग्रुप बनाया था। इस ग्रुप ने मांग की थी कि DCC अध्यक्षों की नियुक्ति का काम कांग्रेस की राज्य इकाइयों को सौंपा जाना चाहिए।