
There is no folder,water and shed for the gadhi in the sanctuary
रीवा। गंगेव जनपद में बनाए जाने वाले कथित सबसे बड़े गो अभ्यारण्य की जमीन जंगल विभाग को बेंच दिए जाने का मामला कोर्ट में है। एक और गंभीर मामला सामने आ गया है। हिनौती ग्राम पंचायत के गदही ग्राम में बनाए जा रहे गो अभ्यारण्य में अभी नए पशु शेड बन रहे हैं। वहीं जबरन गौशाला में पशुओं को लाकर रखा जा रहा है। फाइलों में गो अभ्यारण्य विकसित है। सच्चाई यह है कि गोवंशों के लिए न चारा है और न ही घास है। बावजूद इसके मंत्री ने इसे गोधाम नाम दिया है।
सर्द मौसम मे गोवंश के लिए इंतजाम नहीं
रोज सुबह लगभग 11 बजे गोवंशों को गोशाला से ढीला दिया जाता है। शाम 4 बजे गौशालाओं में लाकर रख दिया जाता है। समिति द्वारा लगाए गए चरवाहांें का कहना है कि इस समय जंगल में चरने के लिए कुछ भी नहीं है। न ही पानी है कहीं। गोशाला में किए गए बोरवेल से पानी तो मिल रहा है। लेकिन गोवंशों के खाने के लिए न चारा है और न ही भूषा है। इस सर्द मौसम में उनके बचाव के कोई इंतजाम नहीं है। जिससे सभी गोवंश कमजोर होते जा रहे हैं। कई मरने के कगार पर हैं।
क्षमता बढ़ाने शेड बन रहे
गदही ग्राम पंचायत में बने दो गोशालों की क्षमता केवल 200 गायों की है। गोशाला की क्षमता बढ़ाने के लिए नए शेड बनाए जा रहे हैं। डाॅ यादव की सरकार ने गोवंश के खुराक के लिए 40 रुपए प्रति गाय तय किया है। इस तरह यहां सौ गोवंश के लिए प्रतिमाह एक लाख 20 हजार रुपए दिया जाता है। जबकि गोवंशों को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि दलाल अपनी जेंबें भर रहे हैं। गोवंश की चिंता किसी को नहीं है। हैरानी वाल बात यह है कि जब गोवंशों को रखने की समुचित व्यवस्था नहीं है तो फिर सरकार पैसा किस बात की दे रही है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि यहां किस तरह 21 सौ गोवंश रखे जाएंगे।