
There are now naxalites of counting in balaghat-sp
बालाघाट (ब्यूरो)। पांच साल पहले बालाघाट सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिला था। लेकिन लगातार पुलिस की कार्रवाई के चलते अब बालाघाट उस सूची से बाहर आ गया है। यानी अब यह मामला जिला पुलिस के अधीन हो गया है। केन्द्र सरकार ने मार्च में राज्यों की समीक्षा की। जिसमें बालाघाट को अब सर्वाधिक नक्सल पीड़ित जिले से मुक्त कर दिया है। जिले में अब गिनती के नक्सली रह गए हैं। एक दलम है,जिसमें आठ दस नक्सली हैं।
नक्सलियों के मवूमेंट में कमी
यह बात बालाघाट के एसपी नगेन्द्र सिंह ने एक भेंट यह बात कही। उन्होंने कहा कि अब बालाघाट में नक्सलियों का पहले जैसा आतंक नहीं रहा। न ही दहशत है। धीरे धीरे बालाघाट नक्सली शिकजें से मुक्त होता गया। दरअसल पुलिस की सर्तकता और नक्सल उन्मूलन अभियान के चलते लोगों में जागरूकता आई और नक्सलियों के मूवमेंट में कमी आई। सरकारी योजनाओं से विकास के कार्य होते गए। नक्सल प्रभावित क्षेत्रोें में पुलिस की लगातार सर्चिग और प्रभावित क्षेत्रों में हाॅक फोर्स के कैंप की वजह से नक्सलियों की आवा जाही में कमी आई। उन्हंे भी यकीन हो गया कि बालाघाट को छत्तीसगढ़ का बस्तर नहीं बना सकते।
कोर जोन में सिर्फ एक दलम
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि पहले देश में 58 नक्सल प्रभावित जिले थे। जिनमें 12 सर्वाधिक प्रभावित जिलों में बालाघाट भी शामिल था। अब यह संख्या घटकर 38 रह गई है। इनमें केवल 6 जिले सर्वाधिक प्रभावित श्रेणी में हैं। 2020 से फरवरी 2025 के बीच बालाघाट पुलिस ने कई एनकाउंटर किये। कई नक्सली मारे गए। लाखों रुपए के इनामी नकसली मारे गए। बालाघाट जिले के जंगलों को सुरक्षित आश्रय मानने वाले नक्सलियों में पुलिस का खौफ जागा। कोर जोन में अब केवल एक दलम सक्रिय है।
सुरक्षा बल में कटौती नहीं
एसपी नगेन्द्र सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि यद्यपि बालाघाट सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिले की सूची से बाहर हो गया है लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से जो सुरक्षा बल मिले हैं, उसमें कटौती अभी नहीं होगी। जब तक बालाघाट नक्सल प्रभावित जिले से पूरी तरह से मुक्त नहीं हो जाता। वैसे भी केन्द्र सरकार का लक्ष्य है मार्च 2026 तक पूरी तरह नक्सलवाद खत्म करना। ताकि इस जिले में लोग उन्मुक्त हो कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें।
सिर्फ गिनती के नक्सली बचे
एस.पी.नगेन्द्र सिंह का मानना है कि चूंकि जिले में सिर्फ एक दलम है। पहले तीन दलम थे। एक दलम होने की वजह से नक्सलियों की संख्या में भी कमी आई है। जिले में आठ दस नक्सली ही होंगे। हमारी नक्सलियों से अपील है कि वो हथियार डाल दें और समाज की मुख्य धारा में शामिल हो जाएं। ताकि उनका भी विकास हो। अन्यथा वो मारे जाएंगे।