
The world is looking to wards india
भोपाल । विद्या भारती द्वारा आयोजित पांच दिवसीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग 2025 का शुभारंभ हुआ, जिसमें विद्या भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष दूसी रामकृष्ण राव ने प्रस्तावना रखते हुए कहा कि विद्या भारती के कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण हमारा मुख्य लक्ष्य है, जिससे वे शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सभी बिंदुओं को सम्मानित करते हुए, संगठन के लक्ष्यों में कुछ नई बातों को जोड़ने का भी प्रावधान किया गया है।
मानवता की दिशा देनी होगी
इस अवसर पर सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत जी ने कार्यक्रम के उद्घाटन में कहा विद्या भारती केवल शिक्षा प्रदान करने का कार्य नहीं करती, बल्कि समाज को सही दिशा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विश्व भारत की ओर देख रहा है उसे मानवता की दिशा देनी होगी।
विद्या भारती विचारों के अनुरूप
डॉ. भागवत ने कहा कि विद्या भारती अपने विचारों के अनुरूप शिक्षा कार्य कर रही है। यह शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों के जीवन मूल्यों और संस्कारों का निर्माण भी करती है। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा का कार्य व्यापक है, जो केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि इसका उद्देश्य समाज को नैतिक रूप से समृद्ध बनाना भी है।
टेक्नोलॉजी की मानवीय नीति आवश्यक –
आज के समय में तकनीक समाज के हर क्षेत्र में अपना प्रभाव डाल रही है। हमें टेक्नोलॉजी के लिए एक मानवीय नीति बनानी होगी। उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान और तकनीक में जो कुछ गलत है, उसे छोड़ना पड़ेगा और जो अच्छा है, उसे स्वीकार कर आगे बढ़ना होगा।
विविधता में एकता का महत्व –
उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विशेषता पर जोर देते हुए कहा कि हमें विविधता में एकता बनाए रखनी होगी। भारत की संस्कृति ने हमेशा सभी को जोड़ने का कार्य किया है, और इसे बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। सब में मैं हूँ, मुझ में सब हैं डॉ. भागवत ने भारतीय दर्शन के इस मूल विचार को रेखांकित किया कि प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि वह समाज का अभिन्न अंग है और समाज भी उसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दृष्टिकोण से हमें अपने कार्यों को संचालित करना चाहिए।
विश्व भारत की ओर देख रहा है –
आज विश्व भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहा है। भारत ने सदैव सत्य के मार्ग पर चलते हुए अपने मूल्यों को बनाए रखा है, और यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है। यदि समाज में परिवर्तन लाना है, तो सबसे पहले व्यक्ति में परिवर्तन लाना होगा। उन्होंने विद्या भारती की इस दिशा में भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी, जो व्यक्ति के चरित्र निर्माण में सहायक हो।
विमर्श का स्वरूप बदलना आवश्यक –
डॉ. भागवत ने कहा कि विमर्श का स्वरूप बदलना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है। हमें सकारात्मक सोच और रचनात्मक विचारों के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए काम करना चाहिए।