
The wind of development reached the red corridor on the strength of the soldiers
बालाघाट(रफी अंसारी)। मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव ने बालाघाट में आम सभा के बीच 1 मार्च को कहा कि प्रदेश की धरती पर बंदूक के दम पर आतंक फैलाने वालों को जिंदा नहीं रहने दिया जाएगा। जाहिर सी बात है कि इस बयान के पीछे सरकार की नक्सलवाद को लेकर मंशा साफ है कि नक्सली क्षेत्रों में विकास कार्यो को नुकसान पहुंचाने वालों की खैर नहीं। इसलिए कि चप्पे चप्पे पर जवान तैनात हैं। ताकि नक्सलियों पर नकेल लगाया जा सके। वहीं सरकार ने आत्म समर्पण की नीति लागू की है। ताकि नक्सली समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें। आज बालाघाट में जवानो के दम पर विकास के काम लालगलियारें में भी हो रहा है।
सुरक्ष बल के साये में निर्माण
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में लगातार नक्सली हरकतों पर नकेल लगाने की शुरूआत हो चुकी है। बालाघाट में नक्सली जिन क्षेत्रों में अपने आप को मजबूत समझ रहे थे, उन क्षेत्रों पर सुरक्षा बल तैनात हैं। सुरक्षा बलों की देख रेख में बालाघाट में अब तक 3 सड़कें पूर्ण हो गयी हे। और 32 सडकों पर काम चल रहा है। इसके अलावा 10 स्थानों पर जियो के 10 टावर तैयार हो चुके है और 33 मोबाइल टावर से नेटवर्क फैलाने का कार्य प्रगति पर है। पिछले 6 महीनों में 3 नए कैम्प और 10 थानों का अपग्रेडेशन का कार्य भी शुरू हो चुका है। 3 नए कैम्प में हाक और कोबरा बटालियन की तैनाती हो गयी है।
हर रास्ते पर सुरक्षा बल
नक्सलियों को हर मोर्चे से खदेड़ने के लिए पुलिस ने दुर्गम ऊंची पहाड़ियों के साथ ही नीचले इलाके में भी अपनी पहुंच बना ली है। उन रास्तों में भी जिस मार्ग से कभी नक्सली घुसपैठ करते थे। उनके लिए अब वो रास्ता बंद हो गया है। अब सुरक्षा बलों ने इन ठिकानों पर और रास्तों पर अपना डेरा जमा लिया है। कान्द्रीघाट, कादला और धारमारा में कैम्प बनाकर हाक फोर्स की तैनाती है। डोरा, गोदरी, रूपझर, बिठली, सालेटेकरी, पिटकोना, डाबरी सहित कुल 10 स्थानों में मोबाइल नेटवर्क का जाल फैल रहा है। कान्द्रीघाट से कट्टीपारकला जो सीधे छत्तीसगढ़ की सीमा तक जाता है। यहां ब्रिज तैयार हो गया। सड़क का कार्य भी तेजी से चल रहा है। पांच ऐसी सड़कों पर काम प्रारम्भ हो गया है, जहां नक्सली अपने को सबसे सुरक्षित महसूस करते थे। उन पहाड़ी दर्रो की कटाई कर सड़के बनने लगी है। इसमें टाटिकला से कट्टीपारकला, कान्द्रीघाट से कट्टीपारकला, लोढामा से मुंडीदादार, हरार्डीह से करार्देही खमार्डी और टेमनी से खमार्डी गांवो को जोड़ने वाली सड़कें है।
विकास कार्यो से ग्रामीण खुश
शासन द्वारा किये गए निर्माण कार्यो ने जहां एक ओर नक्सल हरकतों पर लगाम कसने के तो कम आ ही रही है। इसके अलावा ग्रामीणों की अब बाजार, स्कूल, बिजली और अस्पताल तक पहुँच आसान हुई है। कट्टीपारकला की उर्मिला टेकाम कहती है कि पहले छत्तीसगढ़ जाना आसान था, लेकिन अब मप्र के बाजार हाट जाने में आसानी होने लगी है। साथ ही सड़कों के साथ ही बिजली और मोबाइल टावर व पेयजल को सुविधा बढ़ गई है। सीमा उइके भी हो रहें कार्यो से खुश है।
नक्सली सरेडर करें,25 हजार हर महीने पाएं
प्रदेश सरकार का मकसद है हर हाल में नक्सलवाद को खत्म करना। इसलिए सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए कई जनहित योजनाएं बना रखी है। नक्सलियों को प्रतिमाह 25 हजार रुपये और शासकीय नौकरी भी देने का प्रावधान है। शस्त्र और अन्य विस्फोटक असले के साथ आत्मसमर्पण करने पर 20 हजार से 4.5 लाख रुपये देने के साथ, जमीन खरीदने के लिए 20 लाख रुपये, प्रोत्साहन 5 लाख, घर बनाने के लिए 1.5 लाख रुपये के साथ ही प्रशिक्षण और विवाह के लिए 50 हजार सहित आत्म समर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई है। एक तरफ सरकार नक्सलियों को राहत देने के द्वार खोल रखी है दूसरी ओर उन्हें सबक भी सिखा रही है।19 फरवरी को सुपखार रेंज में हुई नक्सली मुठभेड़ सरकार की रणनीति का हिस्सा है।