
The secret of smuggling hemp opened from road accident
जशपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के बगीचा में कार एक्सीडेंट ने गांजा तस्करी का राज खोल दिया है । गांजा से लदी कार असंतुलित होकर पलट गई. जिसमें कार सवार चालक गंभीर रूप से घायल हो गए । पुलिस ने 1क्विंटल 83 किलो से ज्यादा गांजा बरामद किया है. 200 से अधिक अलग-अलग पैकेटों में गांजा को रखा गया था। बताया जा रहा है कि जब्त गांजा की कीमत करीब 1 लाख 80 हजार रुपए है । आरोपी राशिद अहमद ओडिशा से गांजा लेकर बगीचा के रास्ते अंबिकापुर जा रहा था. लेकिन बगीचा के कुल्हापानी पास कार बेकाबू होकर पलट गई। जिसकी सूचना पुलिस को मिली।
NDPS एक्ट के तहत कार्रवाई की गई
पुलिस के आने से पहले आरोपी ने गांजा को झाड़ियों में छुपाने की कोशिश भी की, लेकिन नाकाम रहे । आरोपी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। एसएपी शशिमोहन सिंह ने बताया कि गुरुवार की रात्रि में थाना बगीचा पुलिस को मुखबिर के जरिए सूचना मिली कि ग्राम कुहापान मेन रोड में एक मारुति अर्टिगा वाहन दुर्घटनाग्रस्त होकर पड़ा हुआ है। जिसमें की भारी मात्रा में पीली रंग की टेप से लिपटा हुआ।
व्यक्ति जंगल की तरफ भागा
गांजा से भरा कुल 183 नग पैकेट पड़ा हुआ था, वाहन चालक गाड़ी में नहीं था. पुलिस के द्वारा जब अर्टिगा गाड़ी की तलाशी ली जा रही थी, तब गाड़ी में खून के धब्बे दिखे, जिससे ज्ञात हुआ कि गाड़ी के चालक या परिचालक को जरूर गंभीर चोट लगी होगी । वह ज्यादा दूर नहीं गया होगा । पुलिस ने जब इस संबंध में मौके पर उपस्थित ग्रामीणों से पूछताछ की, तो ग्रामीणों ने बताया कि अर्टिगा कार के दुर्घटनाग्रस्त होने के तुरंत बाद गाड़ी से निकल कर एक व्यक्ति जंगल की तरफ भागा है।
पुलिस टीम चला रही थी सर्च अभियान
पुलिस की तीन टीम गठित की गई, जिसमें से एक टीम जंगल में संदेही घायल वाहन चालक की खोजने के लिए सर्च अभियान चला रही थी । दूसरी टीम मौके पर गांजे से भरी दुर्घटनाग्रस्त अर्टिगा गाड़ी की सुरक्षा कर रही थी व तीसरी टीम तस्करी में प्रयुक्त अर्टिगा गाड़ी के नंबर प्लेट में दर्ज वाहन क्रमांक के आधार पर वाहन मालिक की पतासाजी के लिए बलरामपुर रवाना हुई थी । जहां जिला बलरामपुर पुलिस की मदद से,उक्त नंबर प्लेट के आधार पर वाहन मालिक का एक बराती गाड़ी में होना पता चलने पर , पुलिस के द्वारा गाड़ी को रुकवा कर वाहन मालिक को खोज पूछताछ किया गया ।तब वाहन मालिक के द्वारा तस्करी में प्रयुक्त अर्टिगा गाड़ी को अपना मानने से लगातार इंकार किया जाता रहा।