
The peacock guards these village
अमरावती।आंध्र प्रदेश में एक ऐसा गांव है जहां के लोगों की रक्षा कुत्ता,जानवर या फिर केाटवार आदि नहीं करते। बल्कि मोर इस गांव के लोगों का पालनहार है। राज्य के हनुमंतुनिपाडु और वेलिगांदला मंडल के कई गांव वन क्षेत्र के करीब है। ऐसे में सांप, बिच्छू, मंदा गब्बा जैसे जहरीले कीड़े गांवों में आकर लोगों को काटा करते थे। जिस वजह से लोग रात में गांव में घूमने से डर से कांपते थे। हालांकि पिछले कुछ सालों से मोर गांवों की रक्षा कर रहे हैं। जिससे इन मामलों में कमी आई है।गुडीपतिपल्ली,वेलिगांदला मंडल के कट्टाकिंदापल्ली गांवों, हनुमंतुनिपाडु मंडल के मांगमपल्ली गांवों में राष्ट्रीय पक्षी मोर सुरक्षा कवच बन गए हैं।
गांव वाले डर गए
गांव के कुछ युवक कुछ साल पहले मवेशी चराने जंगल गए थे। जंगल में उन्हें पांच अंडे मिले।हालांकि अंडे देखने में काफी बड़े थे। इस वजह से वो उन्हें गांव ले आए। ऐसे में अंडे जब फूटे और चूजे के रूप में मोर बाहर आए। जिन्हें देखकर गांव वाले डर गए। लोगों का मानना था कि अगर गांव में मोर पाले जाएंगे तो वन अधिकारियों को परेशानी होगी हालांकि इसके बावजूद उन्होंने मोरों को गावं में रखा। समय के साथ मोर के बच्चे बड़े हो गए।
दस साल रह रहे हैं मोर
गांवों में पिछले दस सालों से मोर लोगों से मिलते जुलते हैं और उनके साथ रहते हैं। गांव में मोरों के रहने की वजह से सांप, बिच्छूए बिच्छू और मंदरगब्बा जैसी जानवर दिखना बंद हो गए हैं। इससे ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा है। गांव वाले मोरों को समय पर भोजन के रूप में अनाज के दाने देते हैं। वहीं मोर भी जंगल का रास्ता न अपनाकर गांव में घूम रहे हैं।और जहरीले कीड़ों को गांव में घुसने से रोकने के लिए सुरक्षा प्रहरी की तरह पहरा दे रहे हैं। इस गांव में बाहर का कोई भी व्यक्ति यदि मोर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है तो उसे सजा दी जाती है।