
The masres of fraud cheated the railways in unique way
मुजफ्फरपुर। बिहार में मुजफ्फरपुर आरपीएफ ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है जो दस रुपए की टिकट को चार सौ रुपए का बनाकर बेच देते थे। चार लोगों का यह गिरोह नकली टिकट बनाकर रेलवे को चूना लगा रहे थे। ठग रेलवे की टिकट में हेरफेर कर सालों से यह धोखाधड़ी का धंधा कर रहे थे। जनरल की टिकट में हेरे फेर करके लंबी दूरी की टिकट बनाकर बेचते थे। मुजफ्फरपुर आरपीएफ ने इनके पास से एक सौ पैंतीस मोहरे बरामद की।
रोजाना डेढ़ सौ टिकट बेचते थे
ठगों के पास से पुलिस ने अधिकतर टिकट मुजफ्फरपुर से बेंगलुरु के बरामद किये। गिरफ्तार लोगों में मुजफ्फरपुर के उमेश साहनी, दशरथ साहनी,संतोष शाह और वैशाली के बिगु राम शामिल हैं। आरपीएफ इंस्पेक्टर मनीष कुमार ने बताया कि धोखाधड़ी का कारोबार पिछले दो सालों से अहमदाबाद, मुगलसराय, दरभंगा, बरौनी,पटना, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशनों पर इसका जाल फैला हुआ है इस धोखाधड़ी से रेलवे को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा था और फर्जी टिकट पर यात्रा करने वालों को जुर्माना भी भरना पड़ता था आरपीएफ ने बताया कि ये लोग रोजाना 150 से 200 टिकटों में हेरफेर करते थे।
खरीदते थेजनरल टिकट
आरपीएफ काफी समय से इनकी तलाश कर रही थी। यह शातिर लोग कम दूरी के जनरल टिकट खरीदते थे। जैसे मुजफ्फरपुर से तुर्की काटी का टिकट जिसकी कीमत कम होती। यह नकली टिकट यात्रियों को असली किराए से 20 से 25 फीसदी कम में बेचते थे। आरपीएफ की पूछताछ में गिरफ्तार शातिरों ने बताया कि वे लोग शाम में पटना पहुंचते हैं।वह स्टेशन रोड स्थित किसी भी होटल में एक कम दाम का कमरा लेते हैं। फिर जंक्शन जाकर कई बार में कम दूरी के जनरल टिकट खरीदते थे। टिकट लेकर आने के बाद होटल के कमरे में आकर एक केमिकल से पहले छपा टिकट का अक्षर मिटाते थे। इसके बाद माइक्रो मुहर का इस्तेमाल कर टिकट के साथ टेंपरिंग कर दूसरे दूसरे स्टेशनों का टिकट बनाते थे।