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मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदू वोटर्स को एकजुट करने के लिए बंटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया। पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम योगी के नारे को बढ़ाया और कहा कि एकजुट रहेंगे तो सेफ रहेंगे। लेकिन महायुति के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, अजित पवार और पकंजा मुंडे ने इस नारे से दूरी बना ली। साफ साफ कहा कि वे इस नारे के खिलाफ हैं।महाराष्ट्र इस पर विश्वास नहीं करता है।
महायुति के नेताओं के बयान के बाद अब उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को सफाई देनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने इस नारे का अर्थ नहीं समझा है कि यह महाविकास अघाड़ी के प्रचार का जवाब था। इसका संदेश एकजुट करना था।पार्टी किसी भी धर्म के साथ भेदभाव नहीं करती है।
बटेंगे तो कटेंगे नारे की जरूरत नहीं
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी ने बटेंगे तो कटेंगे के नारे का सबसे पहले उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने खिलाफत की। उन्होंने कहा बंटेंगे तो कटेंगे पर महाराष्ट्र विश्वास नहीं करता। क्योंकि महाराष्ट्र फूले शाहू और अंबेडकर की धरती है। महाराष्ट्र कभी भी इस तरह की बातों को स्वीकार नहीं किया था। और अब इसे स्वीकार नहीं करेगा। उसके बाद बीजेपी नेता पंकजा मुंडे का बयान आया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में बटेंगे तो कटेंगे वाले नारे की कोई जरूरत नहीं है।सच कहूं तो उनकी राजनीति अलग है। वह केवल इसलिए समर्थन नहीं कर सकती क्योंकि वह उस पार्टी से है जिसने यह नारा दिया है। हमें सिर्फ विकास पर काम करना चाहिए।
पंकजा और अशोक एक हुए
भाजपा सांसद और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने भी बंटेंगे तो कटेंगे के बयान पर खुलकर पार्टी का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह नारा अच्छा नहीं है और यह अप्रासंगिक है। क्योंकि भाजपा और सत्तारूढ़ महायुति की नीति देश और महाराष्ट्र का विकास है। अशोक चव्हाण ने कहा कि इस नारे की कोई प्रासंगिकता नहीं है। नारे चुनाव के समय दिए जाते हैं। यह विशेष नारा अच्छा नहीं है गौरतलब है कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने पिछले सप्ताह कहा था कि वोट जिहाद का मुकाबला वोट के धर्मयुद्ध से किया जाना चाहिए।
देवेंद्र ने दी सफाई
दूसरी ओर बटेंगे तो कटेंगे के बयान पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने सफाई दी और कहा कि उनकी पार्टी का बटेंगे तो कटेंगे नारा एमवीए के अभियान का जवाब है।उन्होंने दावा किया कि उनके सहयोगी अशोक चव्हाण, पंकजा मुंडे और अजित पवार भी इस नारे का संदेश नहीं समझ पाए हैं।इस नारे का मूल उद्देश्य सभी के बीच एकता को बढ़ावा देना है। और सभी को एकजुट करना है। ऐसा नहीं कि उनकी पार्टी मुसलमानों के खिलाफ है।
बयान देकर फंस गई है बीजेपी
यह कहा जा रहा है कि योगी के नारे से बीजेपी महाराष्ट्र में फंस गयी है। इसीलिए बीजेपी के नेताओं को सफाई देनी पड़ रही है।उन्हें आशंका है कि इस नारे से मुस्लिम वोटर टूट सकते है। इसीलिए एनसीपी नेता अजित पवार इस बयान से दूरी बनाए हुए हैं। अन्य नेता भी मान रहे हैं कि इस बयान का दलितों आदिवासी और मराठी समुदाय के बीच गलत संदेश जा रहा है। चुनाव पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।