
The gods departed after the great mans sacrifice
रीवा। तीन दिनों से गायत्री शक्ति पीठ रीवा के प्रांगण में धार्मिक गगूल की खुशबू फैल रही थी। आज 24 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ में सैकड़ों लोगों ने पूर्ण आहुति दी। इसके साथ ही देवता विदा हुए। रीवा जिले के हर तहसील से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालू पहुंच कर गायत्री महायज्ञ में शामिल हुए। भक्ति भाव से सबने भोजन प्रसाद ग्रहण किया। गायत्री शक्ति पीठ के प्रांगण में पहली बार 24 कुंडीय महायज्ञ खुले आसमान के तले हुए।
भक्ति और श्रद्धा का अनोखा संगम
आज 24 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ का अंतिम दिन था। पूरा शहर उमड़ पड़ा था। भक्ति और श्रद्धा का अनोखा संगम देखते ही बनता था। हर श्रद्धालू को गायत्री महायज्ञ में आहुति देने के अपने क्रम का इंतजार करते देखा गया। सुबह नौ बजे से देवावाहन,देव पूजन का क्रम शुरू हुआ जो बारह बजे तक चलता रहा। यज्ञ एवं समस्त संस्कार भी साथ ही होते रहे।
जीवन का दूसरा नाम ही ईश्वर है
यज्ञ कर्ता श्रीमती लता दुबे ने कहा,मैं जब तक त्योंथर में थी वहां गायत्री महायज्ञ कराती रही। रीवा में 24 कुंडीय संवर्धन गायत्री महायज्ञ पहली बार करा रही हॅूं। इस यज्ञ यात्रा में गायत्री परिवार से जुड़े सभी लोगों का सहयोग मिला। सभी ईश्वर के भक्तजन गायत्री यज्ञ शाला में आते गए और भक्ति भाव से हिस्सा लेकर महापूर्ण आहुति देकर देवताओं को विदा किया। मेरे जीवन का अद्भुत अवसर रहा। जिसे रीवा वालों के साथ मैं भी इसे नहीं भूल सकती। गायत्री परिवार से जुड़ने के बाद मुझे ऐसा लगा जीवन का दूसरा नाम ही ईश्वर की आराधना है। विश्व गायत्री परिवार के बताए मार्ग को आत्मसात करना। मेरे बच्चे,पति प्रदीप दुबे और शुभ चिंतकों का मैं सदा अभारी रहूंगी कि उन्होंने मेरे इस अनुष्ठान में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हर तरह का सहयोग दिया।
कुछ नया करने की प्रेरणा मिली- प्रदीप
रामपुर बघेलान जनपद के सीईओ प्रदीप दुबे ने कहा कि शांति कुंज हरिद्वार के निर्देशन में 24 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया। मेरे लिए गायत्री महायज्ञ केवल अराधना मात्र नहीं है। बल्कि जीवन में उर्जा पैदा करने का जरिया है। समाज की सेवा हो या फिर प्रशासनिक कार्य हो, पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करने की ताकत मिलती है। मन को संतोष रहता है कि हमने सत्य के मार्ग को चुना है। गायत्री महायज्ञ में सभी को निष्कपट भाव से शामिल होना चाहिए। इससे जीवन में उत्साह का संचार होता ही है साथ ही कुछ नया करने की प्रेरणा भी मिलती है। गायत्री महायज्ञ से समाजिक जीवन में हो रहे उथल पुथल को ठिठकाव की जगह मिलती है। रीवा में 24 कुंडीय संवर्धन गायत्री महायज्ञ से निश्चय ही रीवा वालों को नई प्रेरणा मिली होगी। लोगों केा अपने जीवन को बदलने के लिए नए संस्कार मिले होंगे।
तीन हजार से अधिक ने प्रसाद लिये
धार्मिक आयोजन अपने आप हो जाते हैं। पहले लगता है कि कैसे होगा। लेकिन जब आराधना की घंटी बजती है, तो वह घंटे की धुन में तब्दील हो जाती है। तीन दिन तक चले गायत्री महायज्ञ में पूर्ण आहुति के बाद देवतागण अपने- अपने घर को विदा हुए। पंडाल धीरे-धीरे खाली होने लगा। कई भक्त जनों नेे कहा यह आयोजन कुछ दिन और होना चाहिए था। अच्छा लगता है। मन को सुकून मिलता है। धार्मिक आयोजन वैसे भी रेाज -रोज कहां होते हैं। तीन हजार से अधिक भक्तों ने भोजन प्रसाद ग्रहण कर उनका मन तृप्त होने का एहसास किया। गायत्री यज्ञ से रीवा वालों में जीने का संस्कार आए हैं। यहां आने वालों के विचार और उनकी धारणाएं बदलते देखा गया। मन से एक दूसरे को इज्जत देने के भाव आए। महिलाओं की संख्या आज अधिक थी पुरुषों की तुलना में। आचार्य जमुना जीे के प्रवचन को भक्ति भाव से लोगों ने सुना। और अपने मन में आत्मसात किया। भक्ति भाव के इबारत की यह स्याही लोगों के मन से अगले गायत्री यज्ञ तक बनी रहेगी।