
Teacher posted in internal schools of dantewada do not come
राष्ट्रमत न्यूज,दंतेवाड़ा(जयप्रकाश ठाकुर)।सुकमा जिले कें कामराजपाड़ गांव के स्कूल की तस्वीर राष्ट्रमत ने 4 जुलाई को दिखाया था। पन्द्रह साल से स्कूल पन्नी की छत और झाड़ियों के दीवार में लग रही है। बस्तर के अंदर के गांवों के स्कूलों की तस्वीर लगभग एक सी है। प्रदेश की बीजेपी सरकार दावा कर रही है कि अब सभी स्कूलों को शिक्षक मिल गए हैं। सवाल है कि दूर गांव में क्या शिक्षक स्कूल रोज जाएंगे? इसकी मानीटरिंग कौन करेगा। जैसा कि दंतेवाड़ा के प्राथमिक शाला कमालूर में दो शिक्षक पदस्थ हैं। मगर दोनों नहीं आते। यह कहना गलत नहीं होगा कि दंतेवाड़ा विकास खंड के अंदरुनी क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था का दम निकल गया है।
समन्वयक ने फोन नहीं उठाया
दंतेवाड़ा जिले के प्राथमिक विद्यालय कमालूर संकुल केंद्र पंडेवार विकास खंड दंतेवाड़ा डाईस कोड क्रमांक 22162206601 स्कूल में रिकार्ड में दो शिक्षक है। मगर दोनों नहीं आते। शुक्रवार 4 जुलाई को दोपहर 12 बजे मीडिया के कुछ लोग जब स्कूल पहुंचे तो छात्रों ने बताया कि प्राथमिक शाला में एक भी शिक्षक उपस्थित नहीं हैं।संकुल समन्वयक चंदेल से भी दूरभाष के माध्यम से संपर्क किया गया मगर उनका फोन नहीं लगा। जिससे उनसे बात नहीं हो सकी।
शिक्षक पदस्थ हैं पर आते नहीं
विकासखंड दंतेवाड़ा के अंदरूनी क्षेत्रों में सिर्फ कमालूर प्राथमिक स्कूल ही नहीं लगभग सभी स्कूल की स्थिति एक सी है। भवन है तो शिक्षक नहीं आते और जहां शिक्षक आते हैं वहां भवन नहीं है।शिक्षा का स्तर बदहाल है। शिक्षा में सुधार के लिए शासन कुछ भी कर ले पर अंदरूनी क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की ही मन मर्जी चलती है। शासन ने स्कूलों की निगरानी के लिए संकुल समन्वयक नियुक्त किये हैं मगर वो भी इसी रंग में रंगे हैं।स्कूल में शिक्षक पदस्थ हैं मगर पढ़ाने वाला कोई नहीं है।
बच्चे छुट्टी मनाते घूमते
प्रदेश में 16 जून से स्कूल का सत्र शुरू हो गया है। लेकिन कमालूर शाला में पदस्थ शिक्षक अभी तक नहीं आए हैं। बच्चे आते हैं,समय तक रहते हैं फिर घर चले जाते हैं।गांव में अब भी कई बच्चे छुट्टी मनाते घूम रहे हैं। जिससे क्षेत्र में शिक्षा की स्तर क्या हो सकता है,शायद साय की सरकार समझ सकती है।