
Supreme court refuses a stay on waqf law
नई दिल्ली (ब्यूरो)। सुप्रीम कोर्ट कल गुरूवार को वक्फ मामले की सुनवाई करेगा। सभावना है कि कल अंतिम फैसला आ जाएगा। लेकिन विपक्ष के वकीलों की दलीलों से और साॅलिस्टर जनरल तुषार की दलीलों के बाद एक बात साफ हो गयी है कि सुप्रीम कोर्ट वक्फ कानून पर रोक से इंकार कर दिया है। केन्द्र सरकार को कुछ सुझाव दे सकता है। आइये समझिये सुप्रीम कोर्ट के सवालों पर वकीलों की अपनी अपनी दलीलें क्या रही।
केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि जो संपत्तियां वक्फ घोषित हो चुकी हैं, चाहे वह परंपरा से वक्फ हो या बाकायदा दस्तावेज से घोषित वक्फ हो, उन्हें वापस सामान्य संपत्ति घोषित नहीं किया जाएगा। हालांकि केंद्र सरकार ने इस पर आपत्ति जताई और अदालत से आग्रह किया कि इस पर कोई आदेश देने से पहले उसे सुना जाए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 17 अप्रैल दोपहर 2 बजे अगली सुनवाई तय की है।
केंद्र से जवाब मांगा
केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दो घंटे सुनवाई हुई। इस कानून के खिलाफ 100 से ज्यादा याचिकाएं लगाई गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन पर केंद्र से जवाब मांगा है, लेकिन कोर्ट ने कानून के लागू होने पर रोक नहीं लगाई है।सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के विरोध में देशभर में हो रही हिंसा पर चिंता जताई। इस पर SG ने कहा कि ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हिंसा का इस्तेमाल दबाव डालने के लिए किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि हम इस पर फैसला करेंगे।
कोई भी बाहरी बोर्ड का हिस्सा नहीं हो सकता
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ कानून के तहत बोर्ड में अब हिंदुओं को भी शामिल किया जाएगा। यह अधिकारों का हनन है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है। हिंदुओं के दान कानून के मुताबिक, कोई भी बाहरी बोर्ड का हिस्सा नहीं हो सकता है।
अब गुरुवार 2 बजे सुनवाई
CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं। वहीं कानून के खिलाफ कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह दलीलें रख रहे हैं।’सुप्रीम कोर्ट अब गुरुवार 2 बजे सुनवाई करेगा। सुनवाई में अपीलकर्ताओं ने वक्फ बोर्ड बनाने, पुरानी वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन, बोर्ड मेंबर्स में गैर-मुस्लिम और विवादों के निपटारों को लेकर मुख्य दलीलें दीं।
तो समस्या होगी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें है, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। CJI ने केंद्र से पूछा कि ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर करेंगे। उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी।
सरकार का पक्ष
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि बहुत से मुसलमान ऐसे भी हैं जो वक्फ कानून से शासित नहीं होना चाहते। उन्होंने यह भी बताया कि नया वक्फ संशोधन कानून संसद की संयुक्त समिति की 38 बैठकों के बाद बना है और इसे 98.2 लाख लोगों की राय जानने के बाद पारित किया गया।
कोर्ट ने केंद्र से पूछा सवाल
इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा- ‘क्या आप अब हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों को भी शामिल करेंगे? अगर हां, तो खुलकर कहिए।’ कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई संपत्ति 100-200 साल पहले वक्फ घोषित हुई है, तो उसे अब अचानक से बदला नहीं जा सकता। कोर्ट ने आगे कहा- ‘आप इतिहास को दोबारा नहीं लिख सकते’। सुप्रीम कोर्ट ने एक और अहम बात कही- वक्फ बोर्ड और सेंट्रल वक्फ काउंसिल के सभी सदस्य मुस्लिम ही होंगे, सिर्फ जो पदेन सदस्य हैं, वो किसी भी धर्म के हो सकते हैं।
क्या है वक्फ और वक्फ बाय यूजर?
वक्फ का मतलब होता है किसी संपत्ति को धार्मिक या समाजसेवा के काम के लिए स्थायी रूप से समर्पित करना। वक्फ बाय यूजर वह व्यवस्था है जिसमें कोई संपत्ति लंबे समय से धार्मिक उपयोग में रही हो (जैसे मस्जिद, कब्रिस्तान, मदरसा आदि) – भले ही उसके मालिक ने इसे लिखित रूप में वक्फ घोषित न किया हो।