
Smuggling of rice due to nexus between officers and millers
बालाघाट। (ब्यूरो)। जिले में करीब डेढ़ सौ राइस मिल है। जाहिर है कि एक राइस मिल में चावल घोटाला का पर्दाफाश होने के बाद अन्य मिलर्स पर भरोसा नहीं किया जा सकता कि वो सरकार को धोखा नहीं देते हैं। सवाल यह है कि क्या प्रशासन अन्य मिल में छापा डालेगा या फिर दो मिल में छापे डालकर अपनी कार्रवाई की पूर्ति कर लिया। यदि अन्य मिल में प्रशासनिक अधिकारी छापे नहीं डालते तो जाहिर सी बात है कि सेटिंग है। इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता कि अधिकरियों और मिलर्स की सांठगाठ से ही चावल दूसरे राज्य का आता है और यहां का चावल दूसरे राज्यों में जाता है।
यूपी-बिहार का चावल बालाघाट कैसे पहुंचा
यूपी-बिहार के गरीबो की थाली में बंटने वाला फोर्टीफाईड चावलजब बालाघाट की राईस मिलो में मिलता है, तो सवाल यही उठता है कि क्या वहां के गरीबो को यह चांवल नही मिला और यदि मिला भी तो वह बालाघाट कैसे पहुंचा, यही चर्चा अब लोगो के मन में खटकने लगी है। विश्वसनीय सुत्रो की माने तो यूपी-बिहार में जो चांवल गरीबो को आंबटन होता है, उसका बडा व्यापार होता है। वहां के दलालो के जरिये व्यापारी उस चांवल को गरीबो से खरीद लेते है और फिर उसे भंडारण करके रखा जाता है। जब बालाघाट में सरकारी धान की मिलिंग का कार्य मिलर्सो को मिलता है तो यहां के राईस मिलर्स यूपी-बिहार के व्यापारियो से उस चावल की डिमांड करते है और फिर वह चांवल यूपी-बिहार के व्यापारियों द्वारा दलालो के जरिये बालाघाट के राइस मिलरो तक परिवहन करके पहुंचाया जाता है। जिसके बाद बालाघाट के राईस मिलर्स उस चांवल को सीधे सरकारी गोदामो में जमा करवाते है और फिर बालाघाट के सरकारी धान की मिलिंग करके उससे बने चांवल को छोटे-छोटे व्यापारियो को बेचा जाता है और बडी मात्रा में चांवल बाहर निर्यात भी किया जाता है। जहां इस तरह का खेल वर्षो से चला आ रहा है और सुत्रो के मुताबिक इसमें विभागीय अधिकारीयों की बडी साठगांठ प्रतित होती रही है।
गोरखधंधो को लेकर बदनाम
बालाघाट जिला सालो से कई काले व गोरखधंधो को लेकर बदनाम रहा है, जिसका दाग कभी धुल नही पाया है। नकली खाद, नकली बीज, नकली दवा, नकली तेल और नकली नोटो स्पलाई होने के दाग इस जिले के माथे पर लग चुके है। जो कहीं नां कहीं व्यापारियों की नकारात्मक गतिविधियों का नतिजा है। हालांकि प्रशासनिक अमला वक्त आने पर कार्यवाही अवश्य करता है, लेकिन इन धंधो पर अंकुश लगाने पर सक्षम नही हो पाया है। नकली खाद, बीज और दवा का कारोबार हमेशा जांच के दायरे में रहना चाहियें। वक्त-बे-वक्त जांच कार्यवाही करने से अंकुश लगाना संभव नही है।