
रीवा। संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय के चर्म रोग विभाग में सहायक प्राध्यापक सुनील सिंह ने कहा कि बी.पी शुगर की तरह बढ़ता है सोरायसिस। सोरायसिस चर्म रोगों में सबसे अधिक खतरनाक बीमारी है। शरीर के किसी भाग में लाल- लाल बड़े- बड़े चकत्ते पड़ना और सफेद पपड़ी होने के अलावा असहनीय खुजली भी होना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। यह बीमारी अभी भी लाइलाज है।
राष्ट्र मत से एक भेंट में यह बात डाॅ सुनील सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि जब तक इलाज चलेगा सोरायसिस से राहत रहेगी। अन्यथा बीमारी का स्वरूप बढ़ना शुरू हो जाएगा। एमडीएम मेडिकल काॅलेज इंदौर से पास आउट और रीवा के एसजीएमएच में कार्यरत डर्मेटोलाजिस्ट डाॅक्टर सुनील सिंह सिंगर का कहना है कि सोरायसिस एक चर्म रोगों की श्रृंखला में एक बीमारी है। जो अनुवांशिक मानी जाती है। बाकी बीमारियां संक्रमण से फैलती है। जिसके राहत के लिए नियमित इलाज विशेष जरूरी है।
चर्म रोग को हल्के में न लें
एक सवाल में डाॅ सुनील सिंह ने कहा कि किसी भी चर्म रोग को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। शरीर के किसी भी भाग में यदि खुलती होती है तो तुरंत मरीज को डाॅक्टर से मिलना चाहिए। चर्म रोग बीमारी होने पर किसी झोला छाप चिकित्सक से इलाज नहीं कराना चाहिए। वरना बीमारी भयानक भी हो सकती है। खासकर सोरायसिस चर्म रोग।
संक्रमण से बचें
चर्म रोग होने पर मरीज को साफ सफाई पर विशेष ध्यान देने चाहिए।देखा गया है कि यदि परिवार मे किसी एक को होता है तो दूसरे को भी होने की संभावना ज्यादा होती है। संक्रमण न फैले इसका ध्यान रखना जरूरी है। वैसे यह बीमारी अनुवांशिक नहीं बल्कि संक्रिमण से ज्यादा फैलती है। वैसे देखा जा रहा है कि हर सातवां व्यक्ति स्किन बीमारी के चपेट में है। यह बीमारी संक्रमण की वजह से होती है। परिवार में यदि किसी एक व्यक्ति को हुआ है तो दूसरे को होने की आशंका ज्यादा रहती है।
चार प्रकार के चर्म रोग
डाॅ सुनील ने कहा कि चर्म रोगों में सोरायसिस सबसे अधिक खतरनाक होता है। चर्म रोग चार प्रकार के होते हैं। फंगल इन्फेक्शन, सोरायसिस, एस्केबीज और पिंपल्स माने गए हैं। फंगल इन्फेक्शन से ज्यादातर लोग पीड़ित होते हैं। संजय गांधी अस्पताल के ओपीडी में पहुंचने वाले हर छठवा-सातवां रोगी फंगल इन्फेक्शन से पीड़ित पाया जा रहा है। चर्म रोगियों में दूसरे नम्बर पर पिंपल से पीड़ित मरीज होते हैं। खाज खुजली के बारे में अब तक भ्रांतियां थी कि खून खराब होने के कारण यह बीमारी हो रही है, लेकिन ऐसा नहीं है।