
Sims medical college of chhindwara is sick
छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा को सिम्स मेडिकल कॉलेज तो मिल गया, लेकिन सुविधाएं अधूरी हैं। न्यूरो सर्जन की कमी के चलते सिर की गंभीर चोटों वाले मरीजों को आज भी नागपुर, जबलपुर और भोपाल रेफर किया जाता है। सरकार ने जिला अस्पताल को अपग्रेड तो किया, लेकिन जरूरी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने से लोग परेशान है।
बैठक सिर्फ कागजों पर
छिंदवाड़ा जिले में विकास के नाम पर बैठकों की घोषणाएं तो कई बार होती हैं, लेकिन इसका नतीजा कुछ नहीं निकलता। अब एक बार फिर शुक्रवार 4 अप्रैल को जिला योजना समिति की बैठक आयोजित करने का दावा किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि पिछले पांच साल से यह बैठक सिर्फ कागजों पर ही होती आई है। चार महीने पहले भी बैठक का एलान किया गया था, लेकिन आखिरी समय में इसे स्थगित कर दिया गया। ऐसे अब देखने वाली बात होगी कि क्या बैठक में जिले के विकास के लिए कोई ठोस फैसला लिया जाएगा या फिर राजनीति की रस्साकशी फिर दिखाई देगी। बैठक में शामिल होने के लिए लोक निर्माण विभाग मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री राकेश सिंह छिंदवाड़ा आ रहे हैं।
बच्चे 10 साल पुरानी थालियों में खा रहे
शहर और गांवों में चल रहे 2,249 आंगनवाड़ी केंद्रों की हालत किसी से छिपी नहीं है। बच्चे 10 साल पुरानी थालियों में खाना खा रहे हैं। कई आंगनवाड़ी केंद्र या तो जर्जर हो चुके हैं या किराए के भवनों में किसी तरह संचालित हो रहे हैं। जल जीवन मिशन के तहत यहां पानी पहुंचाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन कई जगह सिर्फ खाली स्ट्रक्चर खड़े कर ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया। जिलेवासियों को उम्मीद है कि इस बार खनिज मद की राशि से आंगनवाड़ियों को सही सुविधाएं मिलेंगी।
86 स्कूल कभी भी गिर सकते हैं
छिंदवाड़ा जिले में लगभग 500 सरकारी स्कूल जर्जर हालत में हैं, जिनमें से 74 प्राथमिक शाला और 5 माध्यमिक शाला भवन जर्जर हो चुके हैं। छिंदवाड़ा जिले में कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिनकी इमारतें जर्जर हो चुकी हैं, जिससे बच्चों की सुरक्षा को खतरा है।जिले में 74 प्राथमिक शाला भवन और 5 माध्यमिक शाला भवन जर्जर हो चुके हैं।सर्व शिक्षा अभियान विभाग ने इन जर्जर स्कूलों को चिन्हित किया है और नए भवन के लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं, लेकिन अभी तक इन प्रस्तावों को गंभीरता से नहीं लिया गया। जिले में 189 स्कूल ऐसे हैं जिनमें विद्युतीकरण नहीं हुआ है । शिक्षा के क्षेत्र में भी जिले में हालात गंभीर हैं। 86 स्कूल इतने जर्जर हो चुके हैं कि वह कभी भी गिर सकते हैं। इसके अलावा, 757 स्कूलों को मरम्मत की जरूरत है, लेकिन प्रशासन की फाइलों में ही यह मुद्दा घूम रहा है। कई बार शासन को प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन बजट अब तक नहीं आया। ऐसे में अगर बैठक में प्रभारी मंत्री इन स्कूलों के कायाकल्प को लेकर ठोस निर्णय लेते हैं तो यह बड़ी राहत होगी।
खनिज मद की 56.70 करोड़ की राशि जमा है
चौंकाने वाली बात है कि जिले में खनिज मद की 56.70 करोड़ रुपये की राशि जमा है, लेकिन इसके उपयोग को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनी। पिछले पांच सालों से इस मद की बैठक तक नहीं हुई। अगर, यह राशि सही तरीके से खर्च की जाए, तो जिले में शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे में बड़े बदलाव आ सकते हैं।