
Sand mafia is killing rivers
बालाघाट (ब्यूरो)। नदियों को मौत देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं रेत माफिया। प्रशासन एक दो बार रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई कर चुप बैठ जाता है। मनकुंवर नदी का कोई भी ऐसा घाट नहीं है जहां रेत माफिया के कदम नहीं पड़ते। कंटगी के गौरव पारधी विधायक दावा करते हैं कि कलगांव और बाहकल रेत घाट को शासन ने निरस्त कर दिया है। लेकिन इससे नदियों की छाती छलनी होना बंद हो जाएगा, ऐसा नहीं लगता। तस्वीर देखकर यही लगता है। खनिज विभाग का अमला कहां बैठा है,कलेक्टर को भी पता नहीं। उनके ही जिले में बिना नम्बर के ट्रेक्टर में रेत माफिया रेत लाद रहे हैं। और प्रशासन दावा कर रहा है कि रेत माफिया जिले में नहीं हैं।
तस्वीर देखिये कलेक्टर साहब
आने वाले दिन कितने दुखदायी होंगे इसकी कल्पना नहीं कर सकते। जल संकट रेत माफिया की वजह से बालाघाट में होता है। जिले की जीवनदायिनी वैनंगा और मनकुवर नदी अभी से सूखने लगी है। इसलिए कि नदी का बहाव ठहर गया है। रेत माफिया ने जगह जगह से नदियों की धार को बंद कर दिया है। जिससे नदी आगे चलकर नाले में तब्दील हो गयी है। जंगल से लेकर पठार क्षेत्र तक रेत माफिया की दहशगर्दी ने नदी के पानी को शोर को खत्म कर दिया है।तस्वीर देखकर आंकलन कर सकते हैं कि नदी की जमीन का किस तरह दोहन रेत माफिया कर रहे हैं। रेत का टीला जगह जगह हैं। कभी खनिज विभाग के अधिकारी जाकर नहीं देखते कि ये किसता रेत है। जिसका है,उसे नदी से रेत निकालने का ठेका मिला भी है कि नहीं। जिले में कौन- कौन रेत माफिया है,इसकी सूची विभाग के पास है। इसलिए कि वो इन्हें हफ्ता देते हैं। लेकिन इसकी सूची नहीं है कि कितने रेत माफिया हैं।
जल संकट की आहट सुनिये
जिला प्रशासन को जल संकट की आहट अभी नहीं सुनाई दे रही है। क्यों कि रेत माफिया ने उनके कानों को रिश्वत की रूई से बंद कर दिया है। रेत माफिया का आतंक की वजह से चांगोटोला क्षेत्र की मनकुंवर नदी पूरी तरह सूख गयी है। जल संकट की स्थिति अभी से निर्मित होने लगी है। स्थानीय लोगों की माने तो एक समय ऐसा भी था कि मनकुवर नदी भारी मात्रा मे रेत हुआ करती थीं, लेकिन भारी मात्रा मे रेत निकासी होने से यह नदी अब पूरी तरह सुख गई है। नदी किनारे बसे लोगो को हीं पानी नहीं मिल पा रहा है। पहले गर्मी के दिनों मे नदी का पानी उपयोग मे लाया करते थे, लेकिन अब उन्हें जगह- जगह झिरिया बनाने की नौबत आ गयी है। क्यों कि नदी में पानी की बहती जलधारा मर गयी है। चट्टाने निकल आई है।
नदियों को मारने का खेल
बालाघाट जिले मे मनकुंवर के साथ वैनगंगा, चन्दन और बावनथड़ी नदी भी जीवनदायिनी नदियां है और इन नदियों में भी रेत मिलती है। जिस पर रेत माफियाओं की नजर बनी रहती।यहां के स्थानीय नेताओ के संरक्षण में रेता माफिया के पौ बारह है। यही वजह है कि इन नदियों को भी खोखला करने का काम किया जा रहा है। हैरत की बात यह है कि नदियों को बचाने के लिए क्षेत्र के विधायक भी सामने नहीं आ पा रहे है। यदि जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने और अधिक देर की तो वो दिन दूर नहीं होगा, वैनगंगा, चन्दन और बावनथड़ी नदी की भी दुर्दशा भी मनकुवर नदी जैसी हो जायेगी।