
Ranger coollege and seed corporation will not be allowed to pass through Balaghat
बालाघाट(ब्यूरो)। ब्रिटीश कालीन रेंजर काॅलेज का बालाघाट से जबलपुर शिप्ट होने की खबर और बीज निगम को बालाघाट से सिवनी जाने शिफ्ट किया जाएगा। इस खबर पर बालाघाट विधायक अनुभा मुंजारे ने कहा है कि बालाघाट की पहचान किसी भी हालत में खत्म नहीं होने देंगे। यह दोनों बालाघाट की जरूरत है। इसके लिए वे जनता के साथ हर स्तर की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। सड़क से लेकर सदन तक बालाघाट के मान सम्मान के लिए अपनी आवाज बुलंद करेंगे।
हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे – मुंजारे
रेंजर कालेज के विस्थापन का मामला उजागर होने के बाद बालाघाट वासियों में नाराजगी है। कुछ लोगों का मानना है की बालाघाट की अमिट पहचान मिटाने का षड़यंत्र किया गया है। इसे किसी भी कीमत में यहां से नहीं जाने दिया जाएगा। विधायक अनुभा मुंजारे ने कहा इसके लिए जनता को साथ लेकर हर स्तर पर लड़ाई लड़ी जाएगी।
आधिकारिक घोंषणा नहीं हुई
हालांकि बालाघाट वन विभाग के सीसीएफ और रेंजर कालेज के प्राचार्य एपी सेंगर ने कहा कि रेंजर काॅलेज के जबलपुर स्थानांतरित करने की कोई आधिकारिक आदेश अभी नहीं आया है। लेकिन जो कुछ सुना गया है वो ठीक नहीं है।वहीं कुछ लोगो के द्वारा रेंजर काॅलेज की मान्यता और काॅलेज को यथावत बालाघाट में ही रखने की मांग को लेकर सांसद भारती पारधी और जनप्रतिनिधियों से मांग करते हुए गुहार भी लगाई है। रेंजर काॅलेज का निर्माण 1907 में किया गया था। यहां रेंजरों की ट्रेनिंग और विविध कार्यक्रम होते आया है। 2014 में अंतिम बार रेंजरों की ट्रेनिंग क्लास लगी थी। बीच में बिहार और अन्य राज्यों के फारेस्ट गार्ड, डिप्टी रेंजर सहित वन राक्षकों की ट्रेनिंग भी हुई है।
रेंजर काॅलेज क्यों बना
बालाघाट जिले में लगभग 52 प्रतिशत वन क्षेत्र है। वन सम्पदा के साथ वन्य प्राणियों की भरमार है। इन्ही सब उपयुक्त माहौल के चलते ही बालाघाट मुख्यालय में रेंजर काॅलेज की स्थापना ब्रिटिश शासन में हुई थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षो से रेंजर काॅलेज के विस्थापन की कोशिश और खबरों से बालाघाट के लोग दुखी हैं। कोई नहीं चाहता कि बालाघाट की पहचान मिटे। उसका इतिहास खत्म हो।