
Ranger college will not left from balaghat - pardhi
बालाघाट। जिले के सौ साल से भी ज्यादा पुराने रेंजर कालेज के जबलपुर में स्थानांतरित होने की खबर के बाद लोगों ने जनप्रतिनिधियों पर दबाव बना शुरू किया है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सर्वसमाज की महिलाओं ने सांसद भारती पारधी को रेंजर कालेज में रेंजरों के प्रशिक्षण को शुरू करने की मांग करते हुए इसके स्थानांतरण पर विरोध दर्ज कराया। उन्होनंे कहा कि रेंजर कालेज जिले की पहचान है।
प्रशिक्षु रेंजर का अंतिम बैच 2014
वन संपदाओं से परिपूर्ण बालाघाट जिले में वनो की अधिकत्ता को देखते हुए तत्कालीन अंग्रेज शासनकाल में वर्ष 1907 में बालाघाट में रेंजर कालेज की स्थापना की गई थी। वर्ष 1979 से प्रशिक्षु रेंजरों को यहां प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया गया था। जिसके बाद से लगातार जिले में रेंजर कालेज में प्रशिक्षु रेंजरों की बैच आनी शुरू हो गई थी। लेकिन वर्ष 2014 में प्रशिक्षु रेंजर की अंतिम बैच के बाद से यहां अब प्रशिक्षण बंद है, तब से जिले के रेंजर कॉलेज की पहचान अपने अस्तित्व को बचाने संघर्ष कर रहा है।
बालाघाट की पहचान है रेंजर काॅलेज
बालाघाट के रेंजर कालेज में स्टाप की कमी को इसकी वजह बताया जा रहा है। बताया जाता है कि फेकल्टी बालाघाट से आवागमन के बेहतर साधन नहीं होने से आना नहीं चाहती है। यही कारण है कि रेंजर कालेज में 2014 के बाद से प्रशिक्षु रेंजरों का प्रशिक्षण पूरी तरह से बंद है। महिला मीना चावड़ा ने बताया कि रेंजर कालेज के स्थानांतरण से जिले का हर कोई दुरूखी है, यह जिले की पहचान है और हम चाहते है कि इसे जिले में ही रखा जाए और पुनः कालेज को प्रारंभ किया जाए।
जनता के साथ विरोध होगा
सर्व समाज की महिलाओं ने कहा कि आज सांसद भारती पारधी को ज्ञापन देने आए है। हमें विश्वास है कि सांसद, जिलेवासियो की मांग को गंभीरता से लेगी। सांसद भारती पारधी ने कहा किए जिले का रेंजर कालेज जिले की पहचान है। यहां रेंजर कालेज में प्रशिक्षण लेने आने वालों को हमने देखा है। जिसके जबलपुर स्थानांतरण की बात संज्ञान में आई है। जिसका हम विरोध दर्ज करते हैं। मेरा प्रयास होगा कि रेंजर कालेज यहां यथावत रहे और इसके जो भी करना पड़ेगा। जिलेवासियों के साथ मिलकर किया जाएगा।