
Raipur businessman manoj arested by ED
रायपुर । रायपुर के एक कंस्ट्रक्शन उद्योग से जुड़े कारोबारी को ED ने अरेस्ट किया है। गुरुवार की शाम इसे रायपुर की ED अदालत में पेश किया गया। मनोज कुमार द्विवेदी नाम के इस कारोबारी को अदालत ने 4 दिन की ED रिमांड दी है। अब प्रवर्तन निदेशालय के अफसर इससे पूछताछ कर रहे हैं। मनोज पर आरोप है कि इसने आएएस रानू साहू को कमीशन पहुंचाया है। कितना कमीशन दिया इसकी पूछताछा ईडी के करने पर पता चलेगा।
कमीशन IAS रानू तक पहुंचाया
निदेशालय के वकील सौरभ पांडेय् ने बताया कि DMF घोटाले से इस करोबारी का लिंक होने के सबूत मिले थे। इसी के बाद ये कार्रवाई की गई। इसपर आरोप है कि इसने अपनी बनाई NGO में DMF फंड का पैसा हासिल किया। इसके बाद कमीशन IAS रानू साहू तक पहुंचाया। कितने की लेन-देन हुई, ये ED की पूछताछ में पता चलेगा।
10 करोड़ से ज्यादा की डील
मनोज ने अफसरों से 10 करोड़ से ज्यादा रुपयों की डील की है। हाल ही में इस मामले में गिरफ्तार हुई एक और अधिकारी माया वारियर भी इस डीलिंग में शामिल रही हैं। मनोज कुमार द्विवेदी खुद उदगम सेवा समिति के नाम से संस्था चलाता था। कंस्ट्रक्शन के ठेके भी लिया करता था।
मनोज की संस्था को सरकारी पैसे मिले
DMF मामले में IAS अफसर रानू साहू और CGPSC भर्ती गड़बड़ी मामले में IAS टामन सोनवानी जेल में बंद है। दोनों ही घोटालों में शुरुआती जांच में अधिकारियों द्वारा रुपयों के लेन-देन का जो पैटर्न है एक सा है। DMF स्कैम में मनोज की संस्था को सरकारी पैसे मिले, इसमें अफसरों ने कमीशन लिया। CGPSC में IAS सोनवानी की पत्नी की बनाई संस्था को करोबारी श्रवण गोयल ने पैसे दिए। गोयल के रिश्तेदार PSC में सरकारी पदों पर सिलेक्ट भी हुए।
अवैध लाभ पहुंचाया गया
प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकाल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमित की गई है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। अब तक की जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में इसके लिए दिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है। ED ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि IAS अफसर रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पद का गलत इस्तेमाल किया।