
Putting DAP in standing crop will damage crops


राष्ट्रमत न्यूज,बालाघाट। उपसंचालक कृषि फूलसिंह मालवीय ने जिले के किसानो को सलाह दी है कि धान की खड़ी फसल में डी.ए.पी. न डाले। खड़ी फसल में डीएपी डालने से नुकसान हो सकता है और धान का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। उपसंचालक मालवीय ने किसानो को सलाह दी है कि डाई अमोनियम फास्फेट (डी.ए.पी.) में 18 प्रतिशत नाइट्रोजन एवं 46 प्रतिशत फास्फोरस उपलब्ध होता है। बाजार में डी.ए.पी. बैग (50 कि.ग्राम) की कीमत लगभग 1400 रुपए है दूसरी ओर बाजार में यूरिया 266.50 रू. में उपलब्ध है, जिसमें नाइट्रोजन 46% उपलब्ध है।
खेती की तैयारी के समय
धान की फसल को प्रति एकड़ 100-120 प्रतिशत नाइट्रोजन, 60-80 प्रतिशत फास्फोरस, 40-50 प्रतिशत पोटाश देने की आवश्यकता होती है। जिसकी पूर्ति विभिन्न प्रकार के उर्वरकों से की जाती हैं। जैसे 20:20:0:13 यूरिया, डीएपी, एसएसपी आदि। मुख्य रूप से खेती की तैयारी के समय किसानों को एसएसपी देना चाहिए, क्योंकि इसमें 14.5 प्रतिशत फास्फोरस एवं 11 प्रतिशत सल्फर, 21 प्रतिशत कैल्शियम तत्व है एवं इसकी कीमत भी कम (505रु.) है। खेती की तैयारी के समय 20:20:0:13 भी दिया जा सकता है।
धान की जड़ों को
खेत की तैयारी एवं खड़ी फसल में डीएपी देने की अनुशंसा नहीं हैं। डीएपी को बीज की बुआई के समय सीड ड्रिल मशीन के माध्यम से बीज के साथ खेत में डाला जाता है। डीएपी कभी भी खड़ी फसल में नहीं देना चाहिए क्योंकि यह एक स्लो रीलिज फर्टिलाइजर हैं, और मृदा में चलायमान नहीं है। जिससे यह एक ही जगह पर पड़ा रहता हैं अर्थात् पौधों की जड़ों के पास नहीं जा पाता, बल्कि पौधों की जड़ों को इसके सम्पर्क में आने की जरूरत होती है। इसीलिए डीएपी में मौजूद फास्फोरस (46 प्रतिशत) खेत की उपरी सतह पर ही पड़ा रहता है और वह धान की जड़ों को प्राप्त नहीं हो पाता हैं, जिससे किसानों का नुकसान होता है क्योंकि यह एक काफी महंगा खाद हैं। नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए यूरिया को चार स्टेज पर बराबर भागों में बांट कर देना चाहिए।
