
Prarthana hospital alleged death due to negligence in treatment of maternity
रीवा। अधिवक्ता अनिल सिंह की बहू अंजली की डिलवरी के लिए प्रार्थना अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहां उपचार के दौरान उसकी हालत बहुत बिगड़ गयी। अधिवक्ता अनिल सिंह के मुताबिक बिना बताए उसकी बच्चे दानी निकाल दी गयी। इलाज के दौरान किसी भी परिजनों से मिलने नहीं दिया गया। जब भर्ती किया गया था,तब उसका स्वास्थ्य ठीक था। अस्पताल प्रबंधन ने एक लाख नौ हजार का बिल बनाया, लेकिन बीमा कंपनी का अप्रूवल आने में देर लग जाने से मरीज की हालत और बिगड़ गयी। हमें बाहर भी ले जाने नहीं दिया गया। अंजली की मौत की शिकायत अनिल सिंह ने की। वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गयी। पुलिस का कहना है प्रार्थना अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
तेरह फीसदी हेमोग्लोबिन था
अधिवक्ता अनिल से ने बताया अपनी बहू अंजली को प्रार्थना अस्पताल में डिलीवरी के पहले दिखाया था। जहां डाक्टर ने उसकी सभी जांच रिपोर्ट सामान्य बताई। 4 फरवरी को उसे फिर अस्पताल में रूटीन चेकअप के लिए लेकर गए। जहां बहू अंजली को डाक्टर सोनल ने अस्पताल में भर्ती कर लिया। उस समय उसमें 13 प्रतिशत हीमोग्लोबिन था।
दवाई से स्वास्थ्य बिगड़ा
डाॅक्टर सोनल ने कहा कि पानी की कमी है इसलिए डिलीवरी आज ही करवानी पड़ेगी। जबकि बहू पूरी तरह से स्वस्थ्य थी। उसकी सामान्य डिलीवरी भी करवाई जा सकती थी। रात 9 बजे तक उसकी हालत बिल्कुल सामान्य थी। पर रात साढ़े 9 बजे के बाद कुछ ऐसी दवाई दी गई जिससे उसका स्वास्थ्य खराब हो गई। तुरंत नर्स ने उसे प्राइवेट रूम से आपरेशन थिएटर में भर्ती कर दिया। उसके बाद हम लोगों को बहू से मिलने नहीं दिया गया। रात साढ़े 11 बजे कहा गया कि आपरेशन से बच्ची पैदा हुई है। जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
बच्चेदानी निकाल दी
अनिल के मुताबिक अचानक थोड़ी देर बाद स्वास्थ्य अति गंभीर बता दी और 10 यूनिट ब्लड चढ़ाने का कहने लगे। बचने के चांस कम है कहा गया। इसके साथ ही उसकी बच्चेदानी भी निकाल दी। धोखे से किसी से साइन कराया और जानकारी भी नहीं दी। हमने कहा कि अगर आपके बस का नहीं तो कम से कम रेफर तो कर दो। कुछ ही घंटे में आपको हेल्थ बीमा क्लेम से इलाज के पूरे पैसे मिल जाएंगे।
बहुत देर हो चुकी थी
अस्पताल प्रबंधन ने 1 लाख 9 हजार 750 रुपए का बिल बना कर दे दिया। पर बीमा कंपनी से अप्रूवल आने में 4 घंटे का समय लगा। तब तक हमें उसे देखने तक नहीं दिया गया। हमने कहा कि एक बार उसे करीब से देख तो लेने दो। फिर जब बीमा का पैसा मिला तब रेफर किया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
बचने की संभावना कम
यहां से मरीज को जबलपुर ले गये। वहां अस्पताल में मरीज को भर्ती कर लिया। लेकिन पहले ही बता दिया कि रीवा में इलाज के दौरान लापरवाही हुई है। बहुत खून बह चुका है। अब बचना सम्भव नहीं है। अगर भर्ती कराना चाहें तो करवा सकते हैं। वहीं अस्पताल प्रबंधन की तरफ से सोनल अग्रवाल ने कहा कि लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं। आरोपों में सच्चाई नहीं है। हमने महिला के इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती है।