
Politics or government respone for violence in murshidabad
नई दिल्ली (ब्यूरो) । पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून को लेकर हिंसा हो रही है या फिर इसके बहाने हिन्दुओं को निशाना बनाने का खेल चल रहा है। सवाल यह है कि आखिर किसके बयान पर बंगाल में हिन्दू विरोधी हिंसा भड़क रही है। हिन्दू पलायन कर रहे हैं। हिंसा की जिम्मेदार सियासत है या फिर सरकार। हिंसा के बावजूद बंगलादेसी सरकार की चुप्पी हैरान करती है। सवाल यह है भी है कि क्या बंगाल में हिंसा के पीछे बंगलादेसी सरकार जिम्मेदार है। कौन गुनहगार है? क्या इस हिंसा के बहाने बीजेपी पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन चाहती है। यह सवाल विपक्ष बार बार क्यों उठा रहा है। राहत शिविर में हिन्दू सुरक्षित नहीं है। स्थानीय प्रशासन की लापरवाही से घुसैपैठिये हिंसा भड़का रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि बीजेपीे फर्जी फोटो डालकर हिंसा भड़क रही है। कौन सच बोल रहा है,यह सवाल सियासी हो गया है। जहां हिन्दू कम हैं वहीं ही हिंसा ज्यादा क्यों हो रही है। इस सवाल का जवाब किसके पास है।
पिता-पुत्र की हत्या
वक्फ कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में 10-12 अप्रैल के बीच हुई हिंसा में पिता-पुत्र की हत्या करने वाले 2 आरोपी पकड़ लिए गए हैं। एक आरोपी बीरभूम और दूसरा बांग्लादेश बॉर्डर से पकड़ा गया है। इनके नाम कालू नदाब और दिलदार नदाब हैं। इन दोनों ने हरगोबिंद दास और चंदन दास की हत्या की थी।
वक्फ कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद, नॉर्थ 24 परगना, हुगली और मालदा जिलों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। गाड़ियां जलाईं, दुकानों-घरों में तोड़फोड़ कर लूट भी की गई।3 लोगों की मौत हुई। 15 पुलिसकर्मी घायल हुए। 300 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए। केंद्र सरकार ने हिंसाग्रस्त इलाकों में 1600 जवान तैनात किए हैं। इनमें 300 BSF जवान हैं।
दुकानों-घरों में तोड़फोड़
इधर, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंसा से जुड़ी शुरुआती जांच रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंप दी गई है। इसमें बांग्लादेश से घुसपैठ और स्थानीय प्रशासन की लापरवाही का जिक्र है।वक्फ कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद, नॉर्थ 24 परगना, हुगली और मालदा जिलों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। गाड़ियां जलाईं, दुकानों-घरों में तोड़फोड़ कर लूट भी की गई।
हालात खराब हो सकते हैं
हिंसा प्रभावित शमशेरगंज के एक निवासी हबीब-उर-रहमान ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा- BSF और CRPF की तैनाती के बाद माहौल शांत है। प्रशासन ने हमसे दुकान खोलने और अनुशासन बनाए रखने को कहा है। कई लोगों ने BSF की स्थायी तैनाती की मांग भी की है। उनका कहना है कि अगर BSF हटी तो फिर से हालात खराब हो सकते हैं। एक दुकानदार ने कहा- मेरी पूरी बिल्डिंग तोड़ दी गई। दरवाजे-खिड़कियों से लोग अंदर घुसे और पूरा सामान लूट लिया। 13.5 लाख रुपए कैश लेकर चले गए। कुल मिलाकर करीब 20-25 लाख का नुकसान हुआ है। वहीं, अधीर रवि दास ने बताया- मेरी दुकान पूरी तरह जलकर राख हो गई। 6-7 लाख रुपए के सामान का नुकसान हुआ है।
पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा
मुर्शिदाबाद के बाद सोमवार को दक्षिण 24 परगना में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई। बसंती हाईवे पर बैरमपुर में पुलिस ने इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही एक गाड़ी को रोका, जिससे अशांति फैल गई।दरअसल, भांगर, मिनाखा, संदेशखाली से ISF कार्यकर्ता और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान सुबह 10 बजे हाईवे जाम कर दिया था। रामलीला मैदान जा रहे कार्यकर्ताओं ने पुलिस को घेर लिया। इन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
मुर्शिदाबाद हिंसा के पीछे भाजपा-TMC
तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता और पूर्व सांसद कुणाल घोष ने मुर्शिदाबाद हिंसा के पीछे भाजपा और दूसरी राजनीतिक पार्टियों के होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा- हमें इनपुट मिले हैं कि हिंसा की घटनाओं के पीछे एक बड़ी साजिश थी।केंद्रीय एजेंसियां, BSF और कुछ राजनीतिक दलों का एक सेक्शन इस साजिश में शामिल था। BSF ने मदद करके उपद्रवियों को राज्य का बॉर्डर पार करवाया। कुछ उपद्रवी मुर्शिदाबाद के इलाके में घुसे, अराजकता फैलाई और BSF ने उन्हें वापस जाने में भी मदद की।
सुनवाई 17 अप्रैल को होगी
पश्चिम बंगाल में नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें केंद्रीय बल की तैनाती और हिंसा की जांच NIA से कराने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने 12 अप्रैल को हिंसाग्रस्त इलाकों में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के आदेश दिए थे।जस्टिस सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था- हम उन रिपोर्ट्स पर आंखें मूंद नहीं सकते जो सामने आई हैं। इनमें राज्य के कुछ जिलों में बर्बरता दिखाई देती है। मुर्शिदाबाद के अलावा जहां भी हिंसा नजर आती है, वहां केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती की जाए। मामले की सुनवाई 17 अप्रैल को होगी।