
Oxygen plant closed,30 patients of kovid, dangerous for sugar patient
राष्ट्रमत न्यूज रायपुर (ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ में अब तक कुल 30 मरीज कोविड के हैं। जिनमें दो रिकवर हो गए हैं। और 28 केस एक्टिव हैं। अभी कोविड के केस अधिक नहीं हैं। लेकिन हैरानी वाली बात है कि आक्सिजन प्लांट बंद है। वहीं लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट के लिए एनओसी सीजीएमएससी की ओर से मिली नहीं है। शूगर पेसेंट के लिए नया कोविड सबसे अधिक खतरनाक है।
रायपुर में सबसे अधिक मरीज
पिछले 24 घंटे में कोविड के 9 नए मरीज मिले है। गुरुवार को रायपुर में 5 और बिलासपुर में 4 पेशेंट में कोविड की पुष्टि हुई हैं। नया वैरिएंट आने के बाद से ये एक दिन में सबसे ज्यादा आंकड़ा है। अब तक प्रदेश में 30 मरीज सामने आए हैं। जिनमें 2 रिकवर हो गए वहीं 28 केस एक्टिव हैं। 27 होम आइसोलेशन में हैं, और 1 मरीज का इलाज निजी हास्पिटल में चल रहा है। सबसे ज्यादा 18 एक्टिव केस रायपुर में है। इसके बाद बिलासपुर में 6 दुर्ग में 3 और बस्तर में 1 है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग कोविड को लेकर लाइट अलर्ट पर है।
ज्यादा बीमारी,ज्यादा खतरा
मेकाहारा के डॉ. आर के पांडा के मुताबिक, ज्यादातर मरीज होम क्वारंटाइन में ही ठीक हो जा रहे हैं, लेकिन उन मरीजों को ज्यादा खतरा है, जिन्हें पहले से दूसरी या एक से ज्यादा बीमारियां हैं। खासकर डायबिटीज पेशेंट और चेन स्मोकर्स नए वैरिएंट के चपेट में जल्दी आ सकते हैं।
कोविड के सीरियस केस नहीं आए
मेकाहारा में पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड आर के पांडा ने बताया कि कोविड के सीरियस केस अब तक नहीं आए हैं। मेकाहारा में 28 मई से कोविड ओपीडी शुरू कर दी गई है। कोविड का लक्षण दिखने पर तत्काल मरीजों की स्क्रीनिंग की जा रही है।
मेकाहारा में 31 लोगों का RTPCR टेस्ट
मेकाहारा में अब तक 31 लोगों का RTPCR टेस्ट किया गया है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में आंकड़े बढ़े हैं। स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड पेशेंट के इलाज के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके अलावा 15 बेड वाला कोरोना ICU रेडी रखा है।वहीं DKS के डिप्टी सुपरिटेंडेंट हेमंत शर्मा ने बताया कि उन्हें कोविड को लेकर कोई स्पेशल एडवाइजरी नहीं मिली है। इसकी वजह से ये व्यवस्था शुरू नहीं हो पाई है। यहां कोविड टेस्ट नहीं हो रहा है।
ऑक्सीजन प्लांट्स बंद
रायपुर में कोविड के बढ़ते केस के बीच सबसे बड़ी समस्या ऑक्सीजन प्लांट को लेकर दिखती है। लास्ट कोविड वेव के दौरान पीएम केयर फंड से सरकारी अस्पताल DKS, आयुर्वेदिक कॉलेज और अंबेडकर अस्पताल में अपना ऑक्सीजन प्लांट खड़ा किया गया था, जिससे मरीजों को वक्त पर सप्लाई मिल सके।अस्पताल परिसर में लगे ये ऑक्सीजन प्लांट बंद पड़े हैं। DKS में बीते 2 सालों में अस्पताल ने ऑक्सीजन सिलेंडर पर करीब 3.84 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। हर महीने करीब 16 लाख रुपए का बिल सिर्फ सिलेंडर खरीदने में जा रहा है।
लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट के लिए एनओसी नहीं
वहीं हमें DKS के डिप्टी सुपरिटेंडेंट हेमंत ने बताया कि CGMSC की ओर से उन्हें लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट के लिए एनओसी नहीं मिली। DKS में अभी CGMSC की ओर से एक ऑक्सीजन प्लांट ऑपरेट हो रहा हैं, जिसकी कैपेसिटी 900 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन जनरेट करनी की है।उन्होंने बताया कि ये प्लांट इस समय हॉस्पिटल की सिर्फ 60% डिमांड ही पूरी कर पा रहा है। बाकी 40% सिलेंडर हॉस्पिटल को प्राइवेट एजेंसी से बुलाने पड़ रहे हैं।ऐसे में कोविड केसेस अचानक बढ़ने पर ऑक्सीजन की डिमांड सरकारी सिस्टम फिलहाल पूरी करने की स्थिति में नहीं दिखता। ऐसे में लोगों को प्राइवेट सिलेंडर लेने होंगे। जिसके 1 जम्बो सिलेंडर की कीमत 300 से 400 के बीच होगी। एक सिलेंडर लगभग 4-5 मिनट ही चल पाता है।