
Now Modi's place in india is the end of congress
नई दिल्ली ।(रमेश तिवारी ‘रिपु’) । नरेन्द्र मोदी के प्रति जुनून तारी है। उनके पैतरे के आगे सारे चित होते जा रहे हैं। नरेन्द्र मोदी के रथ को रोकने की हिम्मत अब किसी में नहीं है। अटल की बीजेपी अब मोदी की बीजेपी है। जो कहते थे 2024 के परिणाम से कि अब मोदी युग खत्म होने के कगार पर है। हरियाणा,महाराष्ट्र,झारखंड चुनाव मोदी की अग्नि परीक्षा है। सच तो यह है कि हिन्दुस्तान में अब मोदिस्तान है। कांग्रेस अवसान पर है। देश के लोगों केा लगता है मोदी ही हर समस्या का हल हैं। महाराष्ट्र में कांग्रेस का पंजा गिर गया। यह होना था। क्यों कि उसे चुनाव लड़ना नहीं आता। मोदी साल भर चुनाव लड़ते हैं। और कांग्रेस चुनाव के वक्त चुनाव की तैयारी करती है। हरियाणा,झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम बता रहे हैं राहुल राजनीति में अर्द्ध विराम हो गए हैं। प्रियंका गांधी वायनाड से राहुल गांधी से अधिक मतों से चुनाव जीती हैं। आगे चलकर वो राहुल के सियासी मार्ग में बाधक बन सकती हैं। जिस गति से कांगे्रस के हाथ से राज्य निकलते जा रहे हैं,आने वाले समय में कांग्रेस एक सियासी इतिहास बन कर रह जाएगी। एक थी कांग्रेस।
कटेंगे-बंटेगे नारा का भी असर रहा
छत्तीसगढ़ माॅडल हरियाणा में दिखा। हरियाणा माॅडल महाराष्ट्र में दिखा। झारखंड में चूंकि डबल इंजन की सरकार नहीं है। इसलिए वहां हरियाणा माॅडल नहीं दिखा। इन तीन राज्यों में चुनाव में एक बात कामन रही। लाड़ली बहना योजना। महाराष्ट्र में साढ़े तीन करोड़ महिलाओं को लाड़ली बहना योजना के तहत राशि दी जा रही है। महाराष्ट्र चुनाव के परिणाम से संजय राउत,पवन खेड़ा आदि नेता संतुष्ट नहंीं है। संजय राउत का यह कहना कि शिंदे के उम्ममीदवार इतनी संख्या में कैसे जीत सकते हैं। यह परिणाम जनता का हो ही नहीं सकता। यह ईवीएम और सरकार का है। हरियाणा में जनता बीजेपी के लोगों को गांवों घुसने नहीं दे रही थी। फिर भी वहां बीजेपी तीसरी बार सरकार बना ली। हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में कई सारी ईवीएम मशीन की बैटरी 99 फीसदी चार्ज बताया। यदि वोट पड़ें हैं तो बैटरी फुल कैसे हो सकती है। जाहिर सी बात है कि कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है। महाराष्ट्र में असली शिवसेना और असली एनसीपी कौन है इस चुनाव ने बता दिया। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान ही बंटेंगे तो कटेंगे नारा खूब चर्चा में रहा। यूपी के सीएम योगी ने इस नारे को महाराष्ट्र विधानसभा में चुनाव प्रचार के दौरान खूब इस्तेमाल किया। ऐसा माना गया कि यह नारा हिंदू समुदाय की अलग अलग जातियों को एक करने के लिए था।
तो बीजेपी अकेले सरकार बना लेती
महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे की राजनीति पर्दे के पीछे चली गयी। ठाकरे वाद खत्म होने के कगार पर पहुंच गया। इस चुनाव में बीजेपी केा मिली सीट बताती है कि यदि वो और सीटों पर चुनाव लड़ती तो खुद अपनी पार्टी की सरकार बना लेेती। किसी की जरूरत उसे नहीं पड़ती।कांग्रेस 101 सीट पर चुनाव लड़ी उसे 16 सीट मिली। उद्धव ठाकरे की शिवसेना 95 सीट पर और जीती 20 सीट। शरद पवार कल तक महाराष्ट्र की राजनीति के बहुत बड़े उलट फेर वाले नेता माने जाते थे, उनकी पार्टी दस सीट पर सिमट गयी।बीजेपी 148 सीट पर चुनाव लड़ी 132 सीट पाई। एकनाथ शिंदे की शिवसेना 81 सीट पर चुनाव लड़ी और 57 सीट पाई। अजीत पवार की एनसीपी 69 सीट पर चुनाव लड़ी और 41 सीट पाई। देवेंद्र फडणवीस ने चुनाव से पहले कहा कि वो मैं आधुनिक अभिमन्यू हॅूं हर चक्रव्यूह भेदना जानता हॅूं। जाहिर सी बात है महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री यही बनेंगे। कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र की हार किसी बड़े झटके से कम नहीं है।क्योंकि अभी हाल ही में उसे हरियाणा विधानसभा चुनाव में शिकस्त का सामना करना पड़ा था।झारखंड में चुनाव के दौरान बीजेपी ने कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा मजबूती से उठाया। लेकिन सफलता नहीं मिली।
नायडू-नीतीश सोचेंगे
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के भरोसे भले केंद्र में मोदी सरकार चल रही है। लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा को मिल रही लगातार जीत से समीकरण बदलेगा। ऐसे में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार से अब बहुत तोलमोल करने से पहले दस बार सोचेंगे। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने मोदी की लोकप्रियता और नीतियों के अधार पर ही चुनाव लड़ा। ऐसे में महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत को मोदी की जीत बताया जा रहा है। ऐसे में भाजपा के अंदर अब मोदी का रुतबा और मजबूत होगा। क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद मोदी की लोकप्रियता पर सवाल खड़े होने लगे थे।
उद्धव ठाकरे को भारी पड़ा
यह माना जा रहा है कि शिवसेना के मूल विचारों से कटना ही उद्धव ठाकरे को भारी पड़ा और अपने गढ़ मुंबई ठाणे और कोंकण में भी वह एकनाथ शिंदे से बुरी तरह पिछड़ गए। दूसरी ओर शरद पवार की पार्टी के नेता भी अजीत पवार पर पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह हथियाने का आरोप लगाते रहे। लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को इन आरोपों का फायदा भी मिला। लेकिन विधानसभा चुनाव में उन्हें भी मुंह की खानी पड़ी है। अणुशक्ति नगर विधानसभा से स्वरा भास्कर के पति फहद अहमद चुनावी मैदान में हैं। उन्हें एनसीपी शरद पवार ने टिकट दिया था फहाद अहमद का मुकाबला एनसीपी अजित पवारद्ध की प्रत्याशी और नवाब मलिक की बेटी सना मलिक से था। नतीजों में अपने पति के हार के बाद स्वारा ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से जवाब मांगा।
EVM 99 फीसदी कैसे चार्ज
स्वरा भास्कर ने ट्वीट करके कहा है कि पूरा दिन वोट होने के बावजूद EVM मशीन 99 फीसदी कैसे चार्ज हो सकती है।इलेक्शन कमीशन जवाब दे। अणुशक्ति नगर विधानसभा में जैसे ही 99फीसदी चार्ज मशीने खुली उसके बीजेपी समर्थित एनसीपी को वोट मिलने लगे। आखिरी कैसे? स्वरा भास्कर के इस पोस्ट के बाद विपक्ष के अन्य नेता भी ऐसे सवाल चुनाव आयोग से पूछ सकते हैं।
बहरहाल चुनाव परिणाम आ गया है आरोप प्रत्यारोप की सियासत चलती रहेगी। लेकिन लोकसभा के बाद विधान सभा चुनाव ने बता दिया कि सियासत का सिंकदर कौन है। फिर भी अच्छे दिन अभी नहीं आए हैं,और उन्हें लाना चाहिए।