
राष्ट्रमत न्यूज,नई दिल्ली(ब्यूरो)। प्रधानमंत्रीमुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री किसी ऐसे क्राइम में अरेस्ट या 30 दिन की हिरासत में रहता है जिसकी सजा 5 साल या उससे ज्यादा हो तो उसे पद छोड़ना पड़ेगा। लोकसभा में अमित शाह ने तीन बिल पेश किए तो विपक्ष ने उसकी कापी फाड़कर कागज गृह मंत्री पर उछाल दिए। कुछ विपक्षी सांसदों ने कागज के गोले बनाकर भी उन पर फेंके। इसके बाद बिल जेपीसी को भेज दिया गया।इस बिल से जाहिर सी बात है कि पुलिस राज कायम हो जाएगा।
न्याय विरोधी संविधान विरोधी बिल
गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में इससे संबंधित तीन बिल पेश किए। तीनों विधेयकों के खिलाफ लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने तीनों बिलों को वापस लेने की मांग की।विपक्ष ने गृह मंत्री के ऊपर कागज के गोले फेंके। कांग्रेसए ।प्डप्ड प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और सपा ने बिलों को न्याय विरोधी संविधान विरोधी बताया। इस पर शाह ने बिलों को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की बात कही।ये तीनों बिल अलग.अलग इसलिए लाए गए हैं क्योंकि केंद्र सरकार राज्य सरकार और केंद्र शासित राज्यों के लीडर्स के लिए अलग.अलग प्रावधान हैं।
विधेयकों की कॉपियां फाड़ दीं
लोकसभा में बुधवार को उस वक्त हंगामा मच गया, जब विपक्ष के सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए तीन विवादास्पद विधेयकों की कॉपियां फाड़ दीं। ये विधेयक 30 दिनों तक गंभीर आरोपों में गिरफ्तार प्रधानमंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को उनके पद से हटाने का प्रावधान करते हैं।ये विधेयक पूर्व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के बाद भी उनके पदों से इस्तीफा न देने के संदर्भ में लाए गए हैं।
अमित शाह बोले- हम इतने बेशर्म नहीं…
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हम इतने बेशर्म नहीं हो सकते कि गंभीर आरोपों का सामना करते हुए भी संवैधानिक पदों पर बने रहें।” AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और केसी वेणुगोपाल सहित कई विपक्षी सांसदों ने इन विधेयकों का विरोध करते हुए प्रस्तावित कानून को संविधान और संघवाद के खिलाफ बताया। लगातार हो रहे शोर-शराबे के बीच सदन की कार्यवाही को दोपहर 3.0 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई, तो अमित शाह ने कहा कि इन विधेयकों को 31 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जाएगा, जो अगले संसदीय सत्र से पहले अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। लगातार विरोध के कारण सदन को फिर से शाम 5.0 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
जिन विधेयकों को पेश किया गया
- गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (अमेंडमेंट) बिल 2025
- द कॉन्स्टिट्यूशन (वन हंड्रेड एंड थर्टीएथ अमेंडमेंट) बिल 2025
- द जम्मू एंड कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन (अमेंडमेंट) बिल 2025
किस संदर्भ में लाया गया ये बिल
इन विधेयकों का उद्देश्य प्रधानमंत्री या किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री को पद से हटाना है, अगर उन्हें 30 दिनों तक लगातार गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार या हिरासत में रखा जाता है। यदि इनमें से किसी को लगातार 30 दिनों तक ऐसे अपराधों के लिए गिरफ्तार किया जाता है, जिसके लिए कम से कम पांच साल की जेल हो सकती है, तो वे 31वें दिन अपना पद खो देंगे। ये विधेयक पूर्व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के बाद भी उनके पदों से इस्तीफा न देने के संदर्भ में लाए गए हैं।
विपक्ष ने बताया तानाशाही कानून
विपक्ष ने इन विधेयकों को तानाशाही बताया और सत्तारूढ़ भाजपा पर देश को पुलिस राज्य में बदलने की कोशिश करने का आरोप लगाया। इससे पहले दिन में, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, “मैं इसे पूरी तरह से तानाशाही मानती हूं, क्योंकि यह हर चीज के खिलाफ है। इसे भ्रष्टाचार विरोधी उपाय बताना लोगों की आंखों पर पर्दा डालना है।”उन्होंने आगे कहा, “कल आप किसी भी मुख्यमंत्री पर किसी भी तरह का केस लगा सकते हैं, उन्हें बिना किसी दोष सिद्ध के 30 दिनों तक गिरफ्तार करवा सकते हैं,और वह मुख्यमंत्री नहीं रहेगा। यह पूरी तरह से असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।”