
Notice to three teachers when school closed
बालाघाट। आदिवासी और वनांचल क्षेत्र में संचालित शासकीय स्कूलों में पदस्थ शिक्षक अभी भी समय से पहले स्कूल से चले जाते हैं या फिर स्कूल बंद कर देते हैं। राष्ट्रमत की टीम भ्रमण के दौरान पाया कि बिरसा विकासखंड के नक्सल प्रभावित डाबरी पंचायत के मोहरदल्ली गांव में संचालित शासकीय प्राथमिक शाला और किरनापुर विकासखंड के वनग्राम बोदालझोला में स्कूल निर्धारित समय से दो घंटे पहले ही बंद हो चुकी थी।
घर जाते बच्चे दिखे
दोपहर दो बजे मोहरदल्ली का प्राथमिक शाला बंद हो चुका था। लेकिन आगनवाड़ी भवन की कार्यकर्ता उपस्थित मिली। लेकिन आगनवाड़ी भवन में बच्चे नही थे। वहीं प्राथमिक शाला स्कूल भवन पूर्ण रूप से बन्द मिला। चर्चा में स्थानीय लोगों ने बताया कि शिक्षक स्कूल नहीं आये थे। एक अतिथि शिक्षिका हैं। वह भी स्कूल का ताला बंद करके डाबरी चली गई है। वहां से निकलकर जब 08 किलोमीटर दूर किरनापुर विकासखंड के अधीन आने वाले वनग्राम बोदालझोला पहुंचे तो यहां भी दोपहर करीब साढ़े 03 बजे प्राथमिक शाला को बंद करके शिक्षक चले गए थे। बच्चे घर की ओर जाते दिखाई दिये।
किस तरह की मानीटरिंग
अब सवाल यह पैदा होता है कि जिला कलेक्टर और शिक्षा विभाग किस तरह की मानीटरिंग कर रहा है। क्या शिक्षको को यही निर्देश दिये जाते है कि वे समय से पहले स्कूल बंद कर सकते हैं। उनके लिये कोई जवाबदेही निश्चित नहीं की गई है। या फिर जिला प्रशासन की ओर से मिले सख्त निर्देशों को अमल नहीं लाया जाता।
तीन शिक्षकों को शोकाज नोटिस
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला कलेक्टर के निर्देश पर डीईओ ए.के उपाध्याय ने शिक्षकों की लापरवाही पर शोकाज नोटिस जारी किया है। यहां शिक्षकों की इस तरह की लापरवाही मप्र सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के उपनियम 1 ,2,3 का स्पष्ट उल्लंघन है। परिणामस्वरूप डीईओ उपाध्याय ने मप्र सिविल सेवा यवर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के नियम 9 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए प्राथमिक शिक्षक शासकीय प्राथमिक शाला माहुरदल्ली मुन्नालाल बर्वे, नवनीत गोंडाने और अतिथि शिक्षक सिया रावते को शोकाज नोटिस जारी किया गया है। वहीं 3 दिवस के भीतर प्रतिउत्तर मांगा गया है। संतोषजनक जवाब प्राप्त नही होने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।