
NHM strike, adamant on cm stubborn,now oreparation for collective resignation
राष्ट्रमत न्यूज,रायपुर(ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की 18 अगस्त से जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल से विष्णु देव सरकार अपना वायदा पूरा करने की बजाय घबराकर संघ के लीड कर रहे है पदाधिकारियों को बर्खास्त कर रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार को लगता है कि इससे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल टूट जाएगी। वहीं NHM की हड़ताल का रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल,और विजय बघेल ने समर्थन किया है। पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव कह रहे हैं कि हमने एनएचएम कर्मियों से किया वायदा पूरा नहीं किये इसलिए कांग्रेस चुनाव हार गयी।माना जा रहा है कि प्रदेश के 16 हजार एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मी सामूहिक इस्तीफा देंगे।
ये कैसी जंग सीएम की
प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आखिर एनएचएम कर्मियों से विपक्ष की तरह बर्ताव क्यों कर रहे हैं। संविदा स्वास्थ्य कर्मी 18 अगस्त से हड़ताल अचानक नहीं किये हैं। अब तक वो सरकार मंे बैठे लोगों से डेढ़ सौ दफा मिल चुके हैं। बीजेपी के नेता उनके मंच पर जाकर वादा किये थे कि बीजेपी सरकार बनी तो एनएचएम कर्मियों की मांगे पूरी कर देंगे। अब सरकार मंे आने के बाद हड़ताल की लीड करे पदाधिकारियों से मिलने की बजाए उन्हें बर्खास्त कर रहे हैं। यह तरीका ठीक नहीं है। कांग्रेस भी यही कह रही है। बीजेपी के सांसद भी। संघ के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ अमित मिरी ने सुबह वीडियो मैसेज के माध्यम से इस हड़ताल में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से हस्तक्षेप अपील की थी। सीएम को बात करना चाहिए था। बर्खास्तगी का फैसला गलत है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ ने इस मामले में मुख्यमंत्री से दखल देने की मांग की थी।परंतु मुख्यमंत्री के दखल देने से पूर्व ही अधिकारियों ने नेतृत्व कर रहे संघ के बहुत सारे पदाधिकारियों की सेवा समाप्त कर दी ।
बर्खास्तीग की प्रतियां जलाई
एनएचएम के संघ की उच्च अधिकारियों से वार्ता इस आधार पर असफल हो गई कि उनके अनुसार बहुत सारी मांगे शासन स्तर की है,जिसका निराकरण मुख्यमंत्री और कैबिनेट से ही हो पाएगा। मिशन संचालक डाॅ प्रियंका शुक्ला से प्रतिनिधि मंडल की चर्चा हुई बातचीत से यह पता चला कि ऐसी बहुत सारी मांगें हैं, जिनका निराकरण शासन स्तर से होगा जिस पर संगठन के अध्यक्ष ने तत्काल वीडियो मैसेज के माध्यम से मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की परंतु उससे पूर्व ही दो दर्जन से अधिक लोगों की बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई।गौरतलब है कि एएन एच एम संघ द्वारा किसी कार्रवाई के अल्टीमेटम का विरोध करने के लिए 2 सितंबर को स्वास्थ्य भवन का घेराव करते हुए आदेश की प्रतियाँ जलाई थी।
तब तक आंदोलन जारी रहेगा
प्रदेश पदाधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील कर संवाद की एक स्थिति निर्मित करना चाहते थे जिसे प्रशासन ने फेल कर दिया।ऐसी स्थिति में अब आंदोलन जारी रखने के अलावा किसी प्रकार का कोई विकल्प नहीं है ।जब तक मुख्यमंत्री जी इस पर अपना हस्तक्षेप नहीं करेंगे और मांगें नहीं सुनी जायेंगी साथ ही बर्खास्त कर्मचारियों को वापस नहीं लिया जाएगा तब तक यह आंदोलन जारी रखा जाएगा । NHM संविदा कर्मचारियों का कहना है कि, सिस्टम दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। बातचीत के रास्ते शासन-प्रशासन स्तर पर बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में प्रोटेस्ट ही एक मात्र विकल्प है, जो जारी रहेगा।
बर्खास्त करने की चेतावनी दी गई
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) संविदा कर्मचारी 18 अगस्त से हड़ताल पर हैं। इसके चलते स्वास्थ्य सेवाएं ठप हैं। NHM कर्मचारी अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। खून से सरकार को लेटर तक लिख चुके हैं।वहीं सरकार NHM कर्मियों की 10 में से पांच मांगें पूरी करने का आश्वासन भी दे चुकी है। लेकिन बात नहीं बन पाई है। इस बीच सोमवार को हड़ताल पर बैठे सभी NHM संविदा कर्मचारियों को 24 घंटे के भीतर काम पर लौटने का आदेश दिया गया था। आदेश नहीं मानने पर बर्खास्त करने की चेतावनी दी गई थी।
सरकार वायदा पूरा करे
एनएमएच के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत सिन्हा ने कहा कि कर्मचारी अब मंत्री और मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेंगे।हम सब एक जुट हैं। इस बर्खास्तगी से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। संविदा स्वास्थ्य कर्मी अपनी मांगों पर अडिग हैं।सरकार अपना वायदा पूरा करे। सरकार मोदी की गारंटी के साथ नियमितीकरण का वायदा पूरा करे।
केन्द्र से सिफारिश करेंगे
इस बीच स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा किए कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है। 10 में से 5 मांगें पूरी करने का आश्वासन छभ्ड कर्मियों को दिया चुका है। बाकी मांग पूरी करना उनके हाथ में नहींए इसके लिए वो केन्द्र से सिफारिश करेंगे।
हड़ताल के लिए सरकार दोषी
बीजेपी के नेता वायदा करके भूल गए। याद दिलाने के बाद भी इस दिशा में सरकार ने कोई पहल नहीं की। एनएचएम कर्मचारियों का आरोप है किए चुनाव के दौरान भाजपा ने मोदी की गारंटी के नाम से जो मेनिफेस्टो जारी किया था। उसमें संविदा कर्मचारियों को 100 दिनों के भीतर नियमित करने का वादा किया गया था।लेकिन 20 महीनों में 160 से अधिक ज्ञापन देने के बाद भी सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।