
New india burns the pyre of enemies ,not candles
राष्ट्रमत न्यूज,नई दिल्ली(ब्यूरो)। संसद का मानसून सत्र चल रहा है। लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा चल रही है। ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा की शुरुआत रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने की। विपक्ष के कई सांसदों ने सरकार पर सवाल उठाएं जिसका बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के सांसदों ने जवाब दिया। इसी क्रम बीजेपी की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने भी जवाब दिया। शांभवी चौधरी ने कहा कि हमको गर्व होता है कि आज ऑपरेशन सिंदूर पर बोलने का मौका मुझे मिला क्योंकि इतिहास में ऑपरेशन सिंदूर को स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।
तो भारत डिस्ट्रक्शन पर भी जाता
शांभवी चौधरी ने कहा कि हम बता देना चाहते हैं कि यह एक नया भारत है और आतंकवादी हमले के बाद यह भारत मामबत्तियां नहीं जलाता बल्कि दुश्मनों की चिताएं जलाता है। उन्होंने कहा कि नया भारत शांति चाहता है लेकिन शांति अपनी शर्त पर और अगर अपनी शर्त पर शांति नहीं मिलती तो भारत डिस्ट्रक्शन पर भी जाता है।
भारत के लिए न्यू नॉर्मल- शांभवी
शांभवी चौधरी ने कहा, “विश्व में ऑपरेशन सिंदूर ने भारत के लिए न्यू नॉर्मल को स्थापित किया है। यह न्यू नॉर्मल सदियों पहले रामचरितमानस में लिख दी गई थी, जिसकी चौपाई है ‘विनय ना मानत जलध जड़ गए तीन दिन बीति। बोले राम सकोप तब भय बिनु होय ना प्रीति’। इसका अर्थ है कि विनय और धैर्य महत्वपूर्ण गुण है लेकिन जब धैर्य का बांध टूट जाता है तब भय के अलावा उसका कोई उपचार नहीं बचता है। हमारी सरकार के दौरान सेना के शौर्य से आज नए भारत को स्थापित किया गया है।”
मानवता पर अटैक था
शांभवी चौधरी ने कहा, “यह नया भारत क्या है? यह नया भारत शांति के लिए तो गौतम बुद्ध और महावीर जी के दिखाए हुए पथ पर तो चलता है लेकिन जब राष्ट्र की सुरक्षा की बात आती है तो प्रभु श्री राम के धनुष को और श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र को भी उठाना जानता है। आज इस चर्चा के दो भाग है। पहला भाग है पहलगाम पर हुआ अटैक और दूसरा है ऑपरेशन सिंदूर। पहलगाम में जिस तरह से अटैक आतंकवादियों ने किया, वह नागरिकों पर नहीं बल्कि मानवता पर अटैक था। आतंकवादियों ने धर्म पूछ कर उनकी पत्नियों के सामने हमारे देश के नागरिकों को मारा। पूरा देश वह चित्र कैसे भूल सकता है, जब एक नव विवाहित महिला लाल चूड़ी पहन कर अपने पति के शव के पास बैठी थी। इस चित्र ने पूरे देश के झकझोर कर रख दिया था। लेकिन हमारे देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनको पहलगाम से अधिक दुख फिलिस्तीन पर होता है, क्योंकि पहलगाम उनकी राजनीति को फायदा नहीं देता।”