
naxalites-are-trying-to balaghat another basatar
बालाघाट।(रफी अंसारी)। नक्सलियों के लिए छत्तीसगढ़ अब पहले जैसा नहीं रहा। झारंखड भी। इसलिए छत्तीसगढ़ के नक्सली अब बालाघाट को दूसरा बस्तर बनानें की फिराक में है। यही वजह है कि बालाघाट,मंडला,डिंडौरी से लेकर शहडोल और सीधी के जंगलों में देखे जा रहे हैं। नक्सली अब सीधी में अपना नक्सली कैंप लगा लिए हैं। रीवा जिले के तराई अंचल त्योंथर,सेमरिया और मऊंगज के ग्रामीण क्षेत्रों में नए चेहरे देखे गए हैं। जो ग्रामीणों के बीच अपनी घुसपैठ जमाने में लगे हैं। बालाघाट में जिस तरह नक्सली आईईडी ब्लास्ट कर पुलिस को अपनी ताकत की ताकीद करा रहे हैं,वो इस बात का संकेत हैं कि वो बालाघाट को दूसरा बस्तर बनाने की फिराक में है।
नक्सली कान्हा नेशनल पार्क में
बालाघाट पुलिस को नक्सलियों के संदर्भ में जो आउट पुट मिल रहे हैं उनके अनुसार सिर्फ 20-25 नक्सलियों की आमद हुई है। जबकि लांजी,मंडला में डेढ़ सौ से अधिक नक्सली पहुंच चुके हैं। बालाघाट जिले में नक्सलियों के दलम का दख़ल कान्हा नेशनल पार्क और उसके आगे तक बढ़ता जा रहा है। मओवादी मंडला, डिंडोरी और अमरकंटक की तरफ पैठ बनाने में लगे हैं। कान्हा पार्क से गुजरते वक़्त नक्सलियों का जत्था रास्ते में नाकेदारों की चैकियों में रुक कर रखे राशन पानी को चट कर जाते हैं। क्यों कि, कान्हा नेशनल पार्क के अन्दर और पार्क के कई किलोमीटर दूर तक गाँव नहीं है। नक्सलियों को यहांँ रहने,रुकने और खाने का कोई सहारा नहीं मिलता है। इस वजह से वे लगातार मूवमेंट करते हैं। वन विभाग ने इसकी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय और गृह विभाग को भेजी है।
160 गांव में नक्सली छाया
बालाघाट जिले में हार्डकोर नक्सलियों के तीन दलम के अलावा यहांँ और कई दलम हैं,जो माहौल को ख़़राब कर रहे हैं। इनमें मलाजखंड, टांडा दलम, कान्हा-भोरम दलम, परसवाड़ा दलम, विस्तार दलम, के.बी. डिवीजन, खटिया.मोर्चा दलम और देवरी दलम हैं। इन दलमों के नक्सली ग्रामीणों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। कान्हा नेशनल पार्क में विस्तार दलम मुख्यालय बनाकर विस्तार कर रहा है। बालाघाट जिले में पिछले तीन दशक से नक्सलियों की गतिविधियां बनी हुई है। जिनके खात्मे के लिये 08 हज़ार सुरक्षा बल कार्य कर रहे है। बालाघाट जिले के 160 गांँव प्रभावित हैं।
दो सैकड़ा नक्सली बालाघाट में
बस्तर की तरह नक्सली बालाघाट जिले में उत्पात नहीं करते, लेकिन उनकी दशहत है। वर्तमान में नक्सलियों की गतिविधियांँ पूर्व की तरह दक्षिण बैहर के चैरियां, एचिलौरा, राशिमेटा, सोनगुड्डा, कोरका, बोंदारी, मछुरदा, सालेटेकरी, किरनापुर, लांजी क्षेत्र के आलीटोला, बोरबन, बोदालझोला, देवरबेली, सायर, संदूका, टेमनी, बडगुड, सतोना,रिसेवाडा, टिमकीटोला, सीतापाला आदि जगहों पर इनकी गतिविधियांँ देखी गई है। इसके अलावा राष्ट्रीय उद्यान कान्हा पार्क क्षेत्र के गढ़ी, मुक्की, मलांजखंड और बैहर क्षेत्र से लगे गांँव मालखेडी,समनापुर, बांधाटोला क्षेत्रों में नक्सलियों की गतिविधियों की सूचना पुलिस को लगातार मिलती रहती है। ग्रामीणो का मानना है, कि बस्तर की तरह बालाघाट को नक्सली अपना मुख्यालय बनाने की फ़िराक़ में है। करीब दो सैकड़ा नक्सली होने का अनुमान है।
पुलिस सर्तक है
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन के बाद नक्सली बालाघाट आ रहे हैं। अधिकारी कह रहे हैं कि बालाघाट को नक्सलियों की शरणस्थली नहंी बनने देंगे। पिछले दिनों एक्सचेंज आफ फायर 04 जनवरी लांजी के धारमारा जंगल मेंर्। 05 जनवरी रूपझर के अडोरी मार्ग पर नक्सलियो ने पर्चे फेके। इस घटना ने भी बालाघाट पुलिस को और अधिक सतर्क कर दिया है। पुलिस महानिरीक्षक बालाघाट रेंज संजय कुमार के मुताबिक पुलिस एहतियात बरत रही है। नक्सल प्रभावित होने के चलते जिले के प्रभावित इलाकों में हमेशा ही जवानों की गश्ती रहती है।
दो बटालियन और मिलेगी
सुरक्षा जवानों की संख्या बढ़ाने की दिशा में डिंडौरी जिले को राज्य सरकार ने एसएएफ विशेष सशस्त्र बल की एक कंपनी प्राप्त हुई है। इस कंपनी में एसएएफ के 81 जवान हैं जो फिलहाल प्रशिक्षण सत्र में हैं। वे दो महीने का प्रशिक्षण लेंगे। हालांकि महीने भर पहले बालाघाट पुलिस द्वारा केंद्र सरकार को दो बटालियन की मांग के प्रस्ताव पर अब तक फैसला नहीं हो सका है। पुलिस अधिकारियों की मानें तो जल्द ही जिले को सीआरपीएफ की दो बटालियन मिलेगी। जिससे नक्सल उन्मूलन अभियान में और तेजी आएगी।