
रायपुर। इस साल अब तक सौ से अधिक नक्सली मारे गए हैं। नक्सलियों में दहशत है। उन्हें ठिकाना नहीं मिल रहा है उन्हें रहने के लिए। अब स्थिति यह हो गयी है कि नक्सली स्वयं अपने नक्सली कमांडर को पत्र लिख कर पूछ रहे हैं कि अब क्या किया जाए। जहां जाते हैं,वहीं पुलिस पहुंच जाती है। वहीं मुठभेड़ की स्थिति बन जाती है। लगातार हमारे साथी मारे जा रहे हैं या फिर सरेडर कर रहे हैं। गोडवी भाषा में नक्सली लीडर ने अपने कमांडर को एक पत्र लिखा हैण् जिसमें इस बात का जिक्र है कि अब उनके संगठन के लिए कई ठिकाने सुरक्षित नहीं है। सीआरपीएफ जवानों को एनकाउंटर वाली जगह पर एक पत्र मिला है। पत्र नक्सली लीडर मोटू ने अपने महिला नक्सली कमांडर को लिखा है। पत्र में जिक्र है कि सुरक्षित तरीके से अब कहीं ठहर पाना मुशिकल होता जा रहा है।
कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर लगातार सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव के बीच नक्सली खौफ में जी रहे हैं ।उनको सुरक्षित ठिकाना कत नसीब नहीं हो पा रहा है ।इसका खुलासा नक्सलियों के एक पत्र से हुआ है । जिसमें नक्सली लीडर ने अपनी कमांडर को एक पत्र लिखकर कहा है कि अब हमारे लिए कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं है
300 से ज्यादा नक्सली ढेर
b केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सलियों के खात्में का ऐलान किया है ।इसी डेड लाइन के बाद प्रदेश के नक्सल इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चल रहा है । गरियाबंद से लेकर अबूझमाड़ और बस्तर के जंगलों में सुरक्षा बल नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं । सालभर के अंदर ही 300 से ज्यादा नक्सली ढेर हुए हैं ।जबकि कई नक्सलियों की गिरफ्तारी और सरेंडर हुआ है।
पत्र में इन बातों का जिक्र
इस बीच बीजापुर एनकाउंटर वाली जगह पर नक्सलियों का पत्र मिला है. गोंडी भाषा में लिखे गए 2 पन्नों के इस पत्र में कई बातों का जिक्र है । ये पत्र नक्सली लीडर मोटू ने महिला नक्सली कमांडर मनकी के नाम लिखा है ।सुरक्षित तरीके से कहीं भी ठहर पाने को नक्सलियों ने मुश्किल बताया ।हाल ही में हुई मुठभेड़ वाली जगह एंड्री के अलावा बोडका,गमपुर,डोडीतुमनार और तोड़का के जंगलों को भी असुरक्षित बताया है ।पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि फोर्स के बढ़ते दबाव के बीच साथी नक्सली दहशत में जी रहे हैं।
सेफ जोन छोड़कर भाग रहे नक्सली
दरअसल लगातार हो रही कार्रवाई से नक्सली खौफ में हैं । उनके कई सुरक्षित ठिकानों से उनके पैर उखड़ रहे हैं । वे अपना सुरक्षित ठिकाना छोड़कर भागने को मजबूर हो रहे हैं। नक्सलियों के सेफ जोन में अब सुरक्षा बलों का कैंप खुलने से जवानों के कब्जे में इलाका है ।