
Murdered the kidneys,then feedds the dead body the crocodiles
राष्ट्रमत न्यूज,नई दिल्ली(ब्यूरो)। डाॅक्टर डेथ के नाम से कुख्यात सीरियल किलर देवेन्द्र शर्मा ऐसा किलर था कि जो भी उसके कारनामे सुनता, वो हैरान हो जाता । वो किसी को मारने के बाद कोई साक्ष्य नहीं छोड़ता था। इसलिए कि जिसे भी मारता था, उसकी किडनी का सौदा एक डाॅक्टर से पहले कर लेता था। उसकी किडनी निकलने के बाद उस शव कोे उस नहर में फेक देता था,जिसमें कई मगरमच्छ होते थे। जो शव को खा जाते थे। उसके जुर्म का कोई साक्ष्य नहीं मिलता था। कहते हैं जुर्म नहीं छिपता। और वो पकड़ा गया। सजा भी हुई। पैरोल पर रिहा हुआ तो फरार हो गया। अपने जुर्म की दुनिया में।
एक आश्रम से गिरफ्तार किया गया
दिल्ली पुलिस ने ‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से कुख्यात एक सीरियल किलर को गिरफ्तार किया है, जो पिछले साल पैरोल पर छूटने के बाद फरार हो गया था। अपराधी को राजस्थान के दौसा स्थित एक आश्रम से गिरफ्तार किया गया, जहां वह पुजारी बनकर रह रहा था। आयुर्वेद डॉक्टर से अपराधी बने 67-वर्षीय देवेन्द्र शर्मा को हत्या के कई मामलों में दोषी ठहराया गया था। वह जिन लोगों की हत्या करता था उनके शव यूपी के कासगंज स्थित उस हजारा नहर में फेंकने के लिए कुख्यात था, जिसके पानी में काफी संख्या में मगरमच्छ मौजूद होते हैं।
कोर्ट सुना चुका है मृत्युदंड की सजा
‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से कुख्यात सीरियल किलर देवेन्द्र शर्मा को दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में सात अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और गुड़गांव की एक अदालत ने तो उसे मृत्युदंड की सजा भी सुनाई थी। डिप्टी पुलिस कमिश्नर आदित्य गौतम ने बताया कि देवेंद्र शर्मा 2002 से 2004 के बीच कई टैक्सी और ट्रक चालकों की बेरहमी से हत्या करने के जुर्म में तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था, लेकिन अगस्त 2023 में वह पैरोल पर छूटने के बाद से फरार था।
शव को हजारा नहर में फेक देता था
गौतम ने बताया कि शर्मा और उसके साथी फर्जी यात्राओं के लिए चालकों को बुलाते थे, उनकी हत्या कर देते थे और फिर उनके वाहनों को ‘ग्रे मार्केट’ में बेच देते थे। इसके बाद शव को हजारा नहर में फेंक दिया जाता था, ताकि कोई सबूत न बचे। शर्मा पर हत्या, अपहरण और लूट के 27 से अधिक मामले दर्ज हैं। 1998 से 2004 के बीच अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट चलाने के लिए वह पहली बार कुख्यात हुआ था। उसने कई राज्यों में काम कर रहे डॉक्टरों और बिचौलियों की मदद से 125 से अधिक अवैध ट्रांसप्लांट की सुविधा देने की बात कबूल की थी।
5-7 लाख रुपये में होता था किडनी का सौदा
पुलिस पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसकी मुलाकात डॉ. अमित से साल 1998 में हुई थी। डॉ. अमित ने दिल्ली, गुरुग्राम और कई अन्य शहरों में अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का अड्डा बना रखा था। अमित ने उससे किडनी डोनर लाने को कहा। जब वे एक डोनर के लिए 5 से 7 लाख रुपए देने को तैयार हो गए तो देवेंद्र इसके लिए राजी हो गया। वह बिहार, बंगाल और नेपाल के गरीब लोगों को लालच देकर डॉ. अमित के पास लाता था। इन लोगों ने वर्ष 1998 से 2004 के बीच 125 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट किए। वर्ष 2004 में गुरुग्राम में किडनी रैकेट मामले में देवेंद्र और अमित को गिरफ्तार किया गया था।
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