
More benefits in maize cultivation than paddy
बालाघाट। कृषि उपसंचालक राजेश खोब्रागड़े ने बताया कि धान की खेती की बजाए मक्का की खेती अधिक फायदेमद है।धान केा जहां अधिक पानी की जरूरत पड़ती है,वहीं मक्का के लिए कम पानी ही पर्याप्त है। एक एकड़ में धान 20 क्विंटल होता है,जबकि मक्का 28-30 क्विंटल होता है। पैदावार की तुलना में मक्का अधिक बेहतर है।
खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम
जिले के किसानों को फसल विविधीकरण कार्यक्रम के तहत परसवाड़ा जनपद के ग्राम तिनगड़ी में धान के विकल्प के रूप में मक्का की खेती पर प्रशिक्षण कार्यक्रम 10 अप्रैल को आयोजित किया गया। इसमें बालाघाट, कटंगी, वारासिवनी और खैरलांजी के 100 से अधिक किसान शामिल हुए। जिले में पानी की कमी को देखते हुए मक्का जैसी कम पानी की आवश्यकता वाली फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है।साथ ही किसानों को फसल विविधीकरण के लाभ बताये गए। मक्का की खेती से किसानों को अधिक मुनाफा हो सकता है। कम पानी की आवश्यकता वाली फसलों को बढ़ावा देने से जल संसाधनों का संरक्षण किया जा सकता है। फसल विविधीकरण से किसानों को अपनी आय बढ़ाने और आर्थिक स्थिति में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
मक्का को कम पानी चाहिए
प्रशिक्षण के दौरान जो की तिनगडी के किसानों को जानकारी दी गई। धान में 150 से.मी. पानी की आवश्कयता होती है जबकि मक्का को 70 सेमी. पानी की आवश्यकता होती है। कृषि वैज्ञानिको के अनुसंधान के आधार पर एक किलो धान उगाने के लिए लगभग 3000 लीटर पानी की आवश्यकता बताई है। जबकि इतनी ही मात्रा में मक्का को उगाने के लिए लगभग 1000 लीटर पानी चाहिए। इससे किसानों को धान फसल पानी-बिजली के अभाव में प्रभावित नही होगी। वहीं पानी और बिजली कि बचत होगी। फसल की लागत कम आयेगी।
एथनाल उद्योग में मक्का की आवश्यकता
इस समय बालाघाट जिले मे दो एथनाल प्लांट चल रहे हैं जिसमें रा मटेरियल के रूप प्रति दिन 5000 से 7000 क्विंटल मक्का की आवश्यकता होती है। इसकी पूर्ति छिंदवाड़ा, उप्र, बिहार और महाराष्ट्र से की जाती है। अगर बालाघाट के किसान स्थानीय उद्योगों की आपूर्ति कर सकें तो स्थानीय स्तर पर मुनाफा होगा। धान एक एकड़ में लगभग 20 क्विंटल होता है। वहीं कम खर्चे और कम मेहनत मे सिर्फ 25 से 30 प्रतिशत पानी में 28 से 30 क्विंटल मक्का हो जाता है। इन पहलुओं को भी किसानों को ध्यान रखते हुए। मक्का उत्पादन की ओर बढ़ना चाहिए।