
Make sanskrit mandatory in school
राष्ट्रमत न्यूज,बालाघाट(ब्यूरो)। बालाघाट के शिक्षकों का कहना है कि संस्कृत भाषाओं की जननी है। इसकी उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। स्कूलों में अन्य विषयों की तरह इसे भी अनिवार्य किया जाना चाहिए। बालाघाट में संस्कृत शिक्षकों ने नई शिक्षा नीति में संस्कृत की उपेक्षा के खिलाफ मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। मंगलवार को शिक्षकों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने संस्कृत में नारे लगाए।संस्कृत के उच्च माध्यमिक शिक्षक कोमल प्रसाद ठाकरे ने कहा कि नई शिक्षा नीति में स्कूल में संस्कृत के विकल्प में व्यवसायिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। संस्कृत भाषाओं की जननी है और इसकी उपेक्षा सही नहीं है।
विवाद अब मध्य प्रदेश में भी
देश के विभिन्न राज्यो में अलग-अलग भाषाओं को लेकर चल रहा विवाद अब मध्य प्रदेश में भी आ गया है। जहां नई शिक्षा नीति में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देकर संस्कृत भाषा की अपेक्षा की जा रही है। ऐसा आरोप संस्कृत विषय पढाने वाले शिक्षकों द्वारा लगाया गया है।जिन्होंने संस्कृत भाषा को विकल्प के रूप में दर्शाने पर अपनी आपत्ति जताते हुए कलेक्टर कार्यालय में एक ज्ञापन सौपा गया है। जिसमें उन्होंने नई शिक्षा नीति के तहत बनाए गए त्रिभाषा सूत्र में संस्कृत विषय को अनिवार्य किए जाने की मांग की है।
अनिवार्य विषय करने की मांग
शिक्षकों ने हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां का बोर्ड त्रिभाषा सूत्र के तहत संस्कृत को बढ़ावा दे रहा है। वे व्यवसायिक शिक्षा के विरोधी नहीं हैं, लेकिन संस्कृत को विकल्प के रूप में नहीं, बल्कि अनिवार्य विषय के रूप में रखा जाना चाहिए। संस्कृत भाषा का संरक्षण और संवर्धन जरुरी है।
शिक्षकों की मुख्य मांगें
– कक्षा 9 से 12 तक संस्कृत को अनिवार्य किया जाए।- त्रिभाषा सूत्र में व्यवसायिक शिक्षा को सातवें विषय के रूप में रखा जाए। – कक्षा 11-12 में संस्कृत लेने वाले छात्रों के लिए अंग्रेजी को अतिरिक्त विषय बनाया जाए।