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रीवा। स्कूल की बसों में बच्चों सुरक्षित आवागमन के लिए माननीय उच्च न्यायालय की इंदौर खण्डपीठ द्वारा दिए गए निर्देशों के परिपालन में शासन द्वारा विस्तृत निर्देश जारी किए गए हैं। इन निर्देशों में बस ऑपरेटर, स्कूल प्रबंधन, शिक्षा विभाग, बच्चों के अभिभावक एवं पुलिस तथा परिवहन विभाग की भूमिका का निर्धारण किया गया है।
स्कूल बसों की नियमित जाँच
कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल ने कहा है कि सभी स्कूल बस संचालक तथा स्कूलों के प्राचार्य बच्चों के आवागमन के लिए उपयोग की जाने वाली बसों में सुरक्षा के समुचित प्रबंध करें तथा स्कूल बसों में निर्धारित मापदण्ड के अनुरूप सुरक्षित आवागमन की व्यवस्था सुनिश्चित करें। इस संबंध में शासन द्वारा दिए गए निर्देशों का कठोरता से पालन सुनिश्चित करें। जिला परिवहन अधिकारी स्कूल बसों की नियमित जाँच करके निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करें। कलेक्टर ने बताया है कि शासन द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुसार स्कूल बस पीले रंग में हों। बसों के आगे और पीछे बड़े व स्वच्छ अक्षरों में स्कूल बस लिखा होना चाहिए।
बस में स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर
यदि स्कूल बस किराए की है तो उस पर आगे एवं पीछे विद्यालय सेवा में (आन स्कूल ड्यूटी) लिखा जाए। स्कूल द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे नहीं बैठें। प्रत्येक बस में अनिवार्य रूप से प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था रहे। बस की खिड़कियों में ग्रिल अनिवार्य रूप से लगाई जाए। प्रत्येक बस में अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था रहे। बस में स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर बड़े अक्षरों में अवश्य लिखा जाए।
बसों में जीपीएस सिस्टम अनिवार्य है
कलेक्टर ने कहा कि जारी निर्देशों के अनुसार स्कूल बस चलाने वाले चालक के पास भारी वाहन चलाने का न्यूनतम 5 वर्ष का अनुभव होना चाहिए। उसके द्वारा पूर्व में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन न किया गया हो। बस में वाहन चालक के अतिरिक्त बच्चों की सहायता के लिए अन्य प्रशिक्षित वयस्क व्यक्ति तैनात रहे। यदि बस में केवल छात्राएं यात्रा कर रही हैं तो महिला अध्यापक अथवा सहायिका की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। बच्चों के बैग रखने के लिए सीट के नीचे जगह होनी चाहिए। बसों में नियमानुसार दो दरवाजे तथा आपातकालीन खिड़की लगी हो। बस में गति नियंत्रक अर्थात स्पीड गवर्नर 40 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड पर निर्धारित किया हुआ होना चाहिए। बसों के दरवाजे पर लगे लॉक की स्थिति ठीक होनी चाहिए। स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम एवं सीसीटीवी कैमरा लगाना अनिवार्य है। स्कूल बस 12 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए। स्कूल बस में बीएलटीडी डिवाइस एवं पैनिक बटन लगाया जाना अनिवार्य है । स्कूल बस के चालक का हर 6 माह में नेत्र परीक्षण एवं स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य रूप से किया जाए। किसी भी शिक्षक अथवा पालक को बस में सुरक्षा मुआयना
करने की दृष्टि से जाने की सुविधा होनी चाहिए।