
Maharashtra civic election ; every one is beating their own pace
मुंबई (ब्यूरो)। बीजेपी ने महाराष्ट्र निकाय चुनाव में अकेले अपने दम पर ताल ठोकने का फैसला किया है। सी.एम. देवेंद्र फडणवीस के इस ऐलान के साथ ही बीजेपी ने महायुति के सहयोगियों को भी बड़ा संदेश दिया है। निकाय चुनाव में शिंदे सेना और अजित पवार को भी अपनी ताकत दिखानी होगी। मगर उसके निशाने पर उद्धव सेना है, जो बीएमसी में तीन दशकों से काबिज है।स्थानीय चुनाव के लिए इंडिया गठबंधन नहीं था। शरद पवार ने भी अकेले चुनाव लड़ने के संकेत दिये है।
इंडी गठबंधन राष्ट्रीय चुनाव तक
शरद पवार का कहना है कि इंडी गठबंधन केवल राष्ट्रीय चुनाव के लिए था। महाराष्ट्र के अगामी निकाय चुनाव में अकेले चुनाव लड़ेंगे या फिर र्गठबधन में इसका फैसला 8-10 दिनो में बैठक में हो जाएगा। उद्धव ठाकरे पहले ही कह चुके हैं कि महाविकास अघाड़ी पार्टी से अलग होकर बीएमसी का चुनाव लड़ेंगे। एनसीपी ने कभी बीएमसी में 14 सीट से ज्यादा नहीं जीती। एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि हमने कार्यकत्र्ताओं को कहा है कि हमें अकेले चुनाव लड़ना है। हमंे अपनी ताकत बढ़ानी पड़ेगी। राजनीति में जब तक आप मजबूत नहीं होंगे कोई घास तक नहीं डालेगा। इसलिए जरूरी है कि हमें अपनी ताकत बढ़ानी है इसलिए बीएमसी चुनाव भी अकेले ही लड़ना होगा। जाहिर सी बात है कि महायुति के दल अलग अलग चुनाव लड़ेगे। अजित पवार,एकनाथ शिंदे भी अकेले चुनाव लड़ने के लिए सियासी गुटबंदी में लग गए हैं। देवेन्द्र फडणनवीस ने भी कहा कि बीजेपी अकेले बीएमसी चुनाव लड़ेगी। महाविकास अघाड़ी और महायुति दोनों बीएमसी चुनाव अपने दम पर लड़ेंगे।
पहले भी बीजेपी फायदे में रही
बीजेपी ने महाराष्ट्र निकाय चुनाव में अकेले ताल ठोकने का फैसला किया है। सीएम देवेंद्र फडणवीस के इस ऐलान के साथ ही बीजेपी ने महायुति के सहयोगियों को भी बड़ा संदेश दिया है। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी बीजेपी कार्यकर्ताओं से प्रदेश के सभी निकायों में जीत के लिए कमर कसने की अपील की थी। दरअसल बीजेपी इस मौके को अपने विस्तार के लिए एक मौके के तौर पर देख रही है। पहले भी बीजेपी अपने पुराने सहयोगी एकीकृत शिवसेना से अलग होकर निकाय चुनाव लड़ती रही है, जिससे उसे काफी फायदा हुआ।
तीन साल से चुनाव अटके पड़े हैं
करीब तीन साल से राज्य के 29 नगर निगम, 257 नगर परिषद और जिला परिषद के अलावा 289 पंचायत के चुनाव अटके पड़े हैं। निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है। उम्मीद जताई जा रही है कि मई महीने में महाराष्ट्र निकाय चुनाव हो सकते हैं। यह चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है क्योंकि पहली बार राज्य की सभी 6 प्रमुख पार्टियों को बिना गठबंधन अकेले अपनी ताकत दिखानी होगी। ग्राउंड लेवल पर जिन पार्टियों की स्थिति मजबूत होगी, वह राज्य में और ताकतवर हो जाएगी। इसमें सबसे बड़ी चुनौती एकनाथ शिंदे की शिवसेना को मिलेगी, जिन्होंने विधानसभा में जीत के बाद सबसे अधिक नखरे दिखाए थे।
बीजेपी को फायदा हुआ था
पिछले निकाय चुनाव में बीजेपी और शिवसेना अलग-अलग चुनाव लड़ी थी। मुंबई और ठाणे को छोड़कर पूरे प्रदेश में बीजेपी को फायदा हुआ था। पुणे में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला। कुल मिलाकर 8 महानगर पालिका में बीजेपी को जीत मिली थी । पिंपरी-चिंचवड, नासिक और नागपुर समेत कई निगमों में शिवसेना के साथ पार्टी पावर में आई। अब शिवसेना और एनसीपी के दो टुकड़े हो चुके हैं। शिंदे सेना विधानसभा चुनाव में उद्धव सेना पर भारी रही। शरद पवार से ज्यादा सीटों पर अजित पवार विजयी रहे। विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सबसे अधिक 26.77 फीसदी वोट मिले और 149 सीटों पर चुनाव लड़कर 132 सीटें जीतीं। राज्य में सीएम भी बीजेपी का है। बीजेपी का नेतृत्व मानता है कि निकायों में अपनी स्थिति मजबूत करने का यह गोल्डन चांस है।
बीजेपी के हौसले बुलंद
अगर उद्धव ठाकरे के हाथ से मुंबई और ठाणे नगर निगम फिसलता है तो पार्टी के अंदर संकट और बढ़ जाएगा। दूसरी ओर, आरएसएस ने विधानसभा चुनाव की तरह ही निकाय चुनाव में बीजेपी को समर्थन देने का फैसला किया है। चुनाव में अभी 100 दिन बाकी हैं। आरएसएस कार्यकर्ता शहरों के अलावा गांवों में भी एक्टिव हैं और बूथ प्रबंधन में मदद करने लगे हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आरएसएस महाराष्ट्र को गुजरात की तरह गढ़ बनाना चाहता है, जहां लोकल बॉडी से राज्य के शीर्ष सत्ता तक बीजेपी का कब्जा हो। पिछले दिनों मुंबई में आरएसएस और बीजेपी के बड़े नेताओं की मीटिंग हुई, जिसमें तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और सीएम फडणवीस भी शामिल हुए। बैठक में बीजेपी नेताओं ने निकाय चुनाव की कमान आरएसएस को सौंप दी।
बीजेपी के लिए कब्जा आसान नहीं
स्थानीय निकायों पर कब्जा करना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 12.42 फीसदी, यूबीटी को 9.96 फीसदी और एनसीपी शरद पवार को 11.28 फीसदी वोट मिले थे। एनसीपी अजित पवार को 9.01 प्रतिशत और शिंदे सेना को 12.38 प्रतिशत वोट मिले थे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि महायुति हो या महाविकास अघाड़ी, चुनाव में सभी दलों को गठबंधन के समर्थकों का वोट मिला था। इस चुनाव में सभी पार्टियां अपने कोर वोटरों के भरोसे मैदान में उतरेगी। बीजेपी को उम्मीद है कि उसे पश्चिम महाराष्ट्र, ठाणे, कोंकण, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र में पैर जमाने का मौका मिल जाएगा।