
Life ban on guilty politicians quite rigorous
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से लंबे समय तक बनाए गए संबंध को दुष्कर्म नहीं माना है। मुंबई के एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला को ऐसी स्थिति में तुरंत कार्रवाई करवानी चाहिए न की सालों तक साथ रहने के बाद जब अनबन हो तब थाने जाना चाहिए।
सु्प्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से बने शारीरिक संबंध से जुड़े एक दुष्कर्म के मामले में दर्ज प्राथमिकी को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया । दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सु्प्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाने के बाद दुष्कर्म का मामला दर्ज नहीं करा सकती है ।इस तरह के मामलों पर SC ने चिंंता जताई है।
याचिका खारिज
कोर्ट ने जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के मामलों को लेकर चिंंता जताई है. कोर्ट ने की शादी से पहले आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं, बाद में अनबन होने पर केस दर्ज कराया जाता है ।इस तरह की घटनाएं चिंंताजनक हैं गौरतलब है कि एक विवाहित व्यक्ति खरे और एक विधवा महिला जाधव के बीच संबंध 2008 में शुरू हुआ. जाधव ने आरोप लगाया कि धोखेबाज प्रेमी व्यक्ति ने उससे शादी करने का वादा किया था। जिसके बाद उन्होंने संबंध बनाए, लेकिन बाद में वह शादी के वादे से मुकर गया।.इसी मामले पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है, और रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।
सहमति के आधार पर
अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता के आचरण से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि वह एक परिपक्व व्यक्ति है जो अपने कृत्यों के परिणामों को स्पष्ट रूप से समझने में सक्षम है, और वह इस बात से पूरी तरह से अवगत थी कि वह एक विवाहित व्यक्ति के साथ किस तरह के अवैध संबंध बनाए हुए थी। वह पूरी तरह से जानती थी यह जानते हुए कि अपीलकर्ता पहले से ही शादीशुदा था और उसकी दो पत्नियां थीं,सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यौन संबंध के लिए सहमति के आधार पर शादी करने के झूठे वादे के उल्लंघन की शिकायत महिला को तत्परता के साथ दर्ज करानी चाहिए यह वर्षों तक शारीरिक संबंध जारी रखने के बाद नहीं करायी जानी चाहिए।