
Listen collector sir --crying field for water
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बालाघाट। सुनो कलेक्टर साहब। मार्च का महीना है। पसीना छुड़ा रहा पानी। और खेत पानी के लिए रो रहे हैं।कुछ करिये। नहीं तो अभी केवल एक हजार किसानों की धान की फसल पीली हो गयी है। जल्द खेतों को पानी नहीं मिला तो सब फसलें मर जायेंगी। राजीव सागर परियोजना से किसानो को फसल बुआई के लिए पानी मिला था। तो फिर अब प्यासे खेत को पानी क्यों नहीं दे रहे। किसान हड़ताल पर है। जल्द निर्णय नहीं लिये तो किसान भूख हड़ताल करने को विवश हो जाएंगे। अभी तो खेत में दरारे पड़नी शुरू हुई है। स्थिति की भयावह का आकलन करने में देर हुई तो तस्वीर खराब हो जाएगी।
प्रशासन सूखती फसल के लिए दोषी
मार्च महीना में ही जल संकट की स्थिति बन गई हैं। जल स्तर गहराते जा रहा हैं। बालाघाट जिले में राजीव सागर परियोजना से किसानों को पानी नहीं मिलने से फसल सूख गई हैं। जहां पानी के लिए खैरलांजी तहसील के ग्राम भजियादंड में किसानों ने अब हड़ताल की राह पकड़ी है। उनका कहना है कि फसल तो अब सूख कर नष्ट हो गई है। कुछ बची फसल को भी पानी नहीं मिलेगा तो राजीव सागर परियोजना के अधिकारियों और जिला प्रशासन के खिलाफ भूख हड़ताल करने के लिए विवश होना पड़ेगा। वहीं पूर्व सांसद बोधसिंह भगत ने जिला प्रशासन को किसानों की फसल के लिए दोषी बताया है।
खेतों में दरारें आ गयी
किसान खेत को पानी मिले इसके लिए 22 मार्च से हड़ताल पर है। इस हड़ताल में बैठे किसानों के माथे पर चिंता छाई हुई है। किसानों से मिलने क्षेत्रीय विधायक गौरव पारधी और किसानों की आवाज बनने पूर्व सांसद बोधसिंह भगत भी उनसे मिले हैं। बता दें कि सरकार ने राजीव सागर परियोजना की नीव 1975 मे रखी थीं। जिसे बावनथड़ी बांध भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की एक अंतर्राज्यीय परियोजना है। जो बावनथड़ी नदी पर बनी है। यह बांध बालाघाट जिले के कटंगी तहसील के कुड़वागाँव के पास स्थित है। जिले के 97 गांव की फसल इससे सिंचित होती है। लेकिन अब फसल को पानी नहीं मिलने से रबी फसल सूख कर नष्ट हो गई है।खेतों में बड़ी बड़ी दरारें आ गई हैं।
पानी नहीं मिला तो भूख हड़ताल
राजीव सागर परियोजना से किसानों को फसल की बुआई करते वक्त पानी मिला था। उसके बाद से फसल को पानी नहीं मिला है। पानी नहीं मिलने फसलें सूख गयी। विधायक गौरव पारधी हड़ताल की जानकारी मिलने के बाद यहां आए थे। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया था कि दो दिनों में आपके खेत तक पानी पहुंच जायेगा। लेकिन दो दिन बीतने के बाद भी पानी नहीं पहुंचा है। भजियादंड, झरिया, अमईए कन्हरतोला, मुरर्झड सहित आसपास के करीब 600 से 700 एकड़ जमीन में लगी रबी धान की फसल पानी बगैर पीली पड़ गयी हैं। सूखने की स्थिति में आ गयी हैं। अधिकारी भी केवल आश्वासन ही दे रहे है। लेकिन पानी नहीं दे रहे हैं। पानी नहीं मिला तो आंदोलन और भूख हड़ताल करेगें।
रेत खनन से नदी सूख गयी
पूर्व सांसद बोधसिंह भगत ने कहा कि यह अधिकारियों की निष्क्रियता की वजह से रबी की फसल नष्ट होने को आई हैं। बेचारे किसान पानी के लिए आंदोलन पर उतर आए हैं। चुनाव के वक्त बडे.बडे वादा करते थे कि आपकी फसल को पानी मिलेगा। आज वहीं विधायक देख लें अपने गांव से लेकर पूरे क्षेत्र में धान की फसल सूख रहीं हैं। सत्ता में बैठने के बाद विधायक सोए हुए हैं। पूर्व सांसद भगत ने कहा कि रेत खनन से नदिया सुख गई हैं। ऐसे में सरकार को रेत खनन पर रोक लगानी चाहिए। क्षेत्र की स्थिति का विधायक को ज्ञान नहीं हैं। उन्होंने बड़बोलेपन में लोगों से वादा किया था कि किसानों को धान का 3100 रुपए दिलवाकर रहेगें और केनाल बनाकर खेत -खेत पानी पहुंचाएंगे। राजनीति अनुभव की उनमें कमी है। प्रशासन को चाहिए कि पहले किसानों की फसल की चिंता करते हुए पानी की व्यवस्था सुधारें और किसानों के खेत तक पानी पहुंचाए।
एक हजार किसान की फसलें सूख गयीं
बालाघाट के परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में भी नहर के सूख जाने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनकी फसलो पर भी संकट गहरा गया है। क्षेत्र के खुटिया, कटंगीए बोरी, लोहारा, परसपानी, गढ़दा, बुढैना, तिवड़ी और केशलेवाड़ा के किसान अपनी लहलहाती फसल को सूखता देख परेशान हैं। जहां आधा दर्जन से अधिक किसानों ने जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि मुकेश माहुले के नेतृत्व में कलेक्टर मृणाल मीणा से मुलाकात की और नहर में पानी छोड़ने की मांग की। लोहारा के किसान ओमप्रकाश ठाकरे ने बताया कि उनके पंचायत क्षेत्र में अकेले 500 एकड़ में लगी फसल पानी के अभाव में सूख रही है। क्षेत्र में करीब एक हजार किसानों की फसल खराब होने के कगार पर है। वही जिला पंचायत प्रतिनिधि मुकेश माहुले के अनुसार समस्या सिर्फ किसानों तक सीमित नहीं है। क्षेत्र जंगल से सटा होने के कारण वन्यजीव भी प्रभावित हो रहे हैं। गर्मी में जंगल के जल स्रोत सूखने पर वन्यजीव प्यास बुझाने नहर की ओर रुख करते हैं। नहर में पानी न होने से उनकी परेशानी भी बढ़ गई है। हमारी मांग है कि संजय सरोवर बांध की ढूटी बांयी तट की मुख्य नहर में जल संसाधन विभाग पानी छोड़े, ताकि किसान फसल की सिंचाई कर सके और वन्यजीवों की भी प्यास बुझ सके।