
Liquor scam case,chaitany bafghel jaield for 14 days
राष्ट्रमत न्यूज रायपुर(ब्यूरो)। यह तो तय था कि ई डी की रिमांड पांच दिन की खत्म होते ही छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की जेल भेज दिया जाएगा। ईडी ने मंगलवार को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की ज्यूडिशियल रिमांड पर भेज दिया है। इससे पहले ईडी ने चैतन्य से 5 दिन तक पूछताछ की थी।
अवैध घोटाले के पैसे आए
ईडी का दावा है कि चैतन्य बघेल ने घोटाले का पैसा पाने के लिए दूसरे लोगों और कंपनियों का इस्तेमाल किया ताकि ईडी और अन्य एजेंसियां ट्रैक न कर सकें। जैसे ढिल्लन सिटी मॉल में पैसा आया फिर ढिल्लन ड्रिंक्स से कर्मचारियों को पैसा ट्रांसफर हुआ। फिर वही पैसा बघेल डेवलपर्स को दिया गया। ईडी का दावा है कि चैतन्य बघेल के पास 16.70 करोड़ के अवैध घोटाले के पैसे आए।
सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिपणी
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय को फटकार लगाते हुए कहा कि राजनीतिक लड़ाइयां चुनाव में लड़ी जानी चाहिएए जांच एजेंसियों के जरिए नहीं। ईडी का इस तरह इस्तेमाल क्यों हो रहा है।
ED के गालों पर तमाचा है
इस पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा कि, सुप्रीम कोर्ट की ED को लेकर की गई टिप्पणी केंद्र सरकार के खिलाफ है और यह ED के गालों पर तमाचा है। अब यह स्पष्ट है कि ED भाजपा के एक विंग के रूप में काम कर रही है।
चैतन्य के प्रोजेक्ट में 13-15 करोड़ इन्वेस्ट
पप्पू बंसल दुर्ग भिलाई का शराब कारोबारी है। प्रॉपर्टी डीलर का काम करने के दौरान शराब कारोबार से जुड़ा। भूपेश बघेल के करीबी होने के साथ ही कोयले का भी कारोबार है।ED ने अपनी जांच में पाया कि चैतन्य बघेल के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में घोटाले के पैसे को इन्वेस्ट किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी कर ED ने रिकॉर्ड जब्त किए।प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट राजेन्द्र जैन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ था। जबकि रिकॉर्ड में 7.14 करोड़ ही दिखाया गया। जब्त डिजिटल डिवाइसेस से पता चला कि बघेल की कंपनी ने एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया गया, जो रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया।
फर्जी फ्लैट खरीदी के जरिए पैसे की हेराफेरी
ED ने अपनी जांच में पाया है कि त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने 19 फ्लैट खरीदने के लिए 5 करोड़ बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किया। ढिल्लन ने ये फ्लैट अपने कर्मचारियों के नाम पर खरीदे लेकिन पेमेंट त्रिलोक ढिल्लो ने खुद दिया।ED ने जब ढिल्लन के कर्मचारियों से पूछताछ की तो कर्मचारियों ने बताया कि ये फ्लैट की खरीदी उन्हीं के नाम पर हुई, लेकिन पैसे ढिल्लो ने दिए। ये सारा ट्रांजेक्शन 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन हुआ। ED ने कहा कि ब्लैक को लीगल करने के लिए यह एक पूर्व-योजना के तहत किया गया लेन-देन था। इसका मकसद पैसे को छिपाकर चैतन्य बघेल तक पहुंचाना था।
चैतन्य को 5 करोड़ रुपए उधार दिए
ED के मुताबिक भिलाई के एक ज्वेलर्स ने चैतन्य बघेल को 5 करोड़ रुपए उधार दिए लेकिन ED की जांच में सामने आया कि जो 5 करोड़ रुपए चैतन्य की दो कंपनियों को लोन के रूप में दिया गया ।बाद में इसी ज्वेलर्स ने बघेल की कंपनी से 6 प्लॉट खरीदे जिसकी कीमत 80 लाख थी। ED ने बताया कि यह पैसा शराब घोटाले से आया हुआ कैश था। यह पैसा बैंक के जरिए ट्रांसफर किया गया। ताकि कैश को लीगल दिखाया जा सके।