
Liquor scam anwar gets bail from suprem court will remain in jail
राष्ट्रमत न्यूज, रायपुर। अनवर ढेबर बड़े समय से जेल में थे। उन्होंने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गयी है। मगर अभी जेल में ही रहेगे। इसलिए कि ईओडब्लयू ने उनके खिलाफ चार्ज सीट कोर्ट में दाखिल किया है। उन्हें ईओडब्लयू के मामले में जमानत नहीं मिली है। ईडी ढेबर को शराब घोटाला का मास्टर माइंड बताती है।सुप्रीम कोर्ट ने ढेबर को इसलिए जमानत दे दी कि जांच में समय लगने का आधार पर राहत दी।
सुप्रीम कोर्ट से जमानत
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में लंबे समय से जेल में बंद कारोबारी अनवर ढेबर को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने सुनवाई में देरी के आधार और जांच में सहयोग करने की शर्त पर बेल दी है।हालांकि, इसके बाद भी अनवर ढेबर जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। कोर्ट ने ED के केस में जमानत दी है। ढेबर पर EOW में भी मामला दर्ज है।
शराब घोटाला में ये हैं आरोपी
छत्तीसगढ़ में कथित 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में ईडी ने रायपुर और भिलाई से 5 लोगों को गिरफ्तार किया । इनमें कारोबारी अनवर ढेबर, पप्पू ढिल्लन, नितेश पुरोहित, अरविंद सिंह और आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुण पति त्रिपाठी शामिल हैं। एपी त्रिपाठी को ईडी ने भ्रष्टाचार का पितामह बताया था । रायपुर की विशेष अदालत में कथित शराब घोटाले से जुड़े मामले में 16000 पन्नों का प्रॉसीक्यूशन कंप्लेंट फाइल किया गया है । प्रवर्तन निदेशालय ने अपने प्रॉसीक्यूशन कंप्लेंट में 7 लोगों को आरोपी बताया था। इनमें से गिरफ्तार पांच अभियुक्तों के अलावा दो कंपनियों के भी नाम शामिल हैं।
वकील बोले- हमें न्याय मिला
अनवर ढेबर के वकील अमीन खान ने बताया कि ED की ओर से चल रहे आबकारी मामले में अनवर ढेबर की जमानत याचिका मंजूर हो गई है। इस मामले में जेल में बंद कुछ लोगों को पहले से ही जमानत मिल चुकी है। हमें न्याय मिला है।लंबे समय तक किसी को जेल में बंद करके ट्रायल नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में EOW मामले में भी केस चल रहा है। हमें उम्मीद है कि EOW की ओर से चल रहे केस पर भी हमें जमानत मिलेगी।
लखमा सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे-ED
ED का आरोप है कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा सिंडिकेट के अहम हिस्सा थे। लखमा के निर्देश पर ही सिंडिकेट काम करता था। इनसे शराब सिंडिकेट को मदद मिलती थी। वहीं शराब नीति बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे छत्तीसगढ़ में FL-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई। वहीं ED का दावा है कि लखमा को आबकारी विभाग में हो रही गड़बड़ियों की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया।