
Kiosk operator gaurav arrested in 29 lakh scam
बालाघाट।(ब्यूरो)। ठसके से आदिवासी खातेदारों के साथ ठगी करने वाले मोहगांव के कियोस्क संचालक गौरव को मलाजखंड थाना की पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गौरव ने 37 आदिवासी खातेदारों के खातों में हेराफेरी कर 28 लाख 87 हजार रुपए डकार लिया। बैंक मैनेजर ने मिली शिकायत की जांच की तो पाया की शिकायत सही है। और उसने पुलिस को समक्ष समस्त साक्ष्य देकर गौरव के खिलाफ रिपेार्ट दर्ज किया। पुलिस ने गौरव को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर रिमांड मांगा। कोर्ट ने मंजूर कर लिया।
पुलिस रिमांड पर गौरव
मलाजखंड पुलिस ने आईसेट लिमिटेड कंपनी के चीफ मैनेजर आशुतोष सिंह भदोरिया की शिकायत पर इस मामले में कियोस्क संचालक गौरव मिश्रा 38 वर्ष निवासी वार्ड नंबर 4 मोहगांव निवासी को गिरफ्तार कर लिया है। जिसे पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर लिया गया है। गौरतलब है कि भारत सरकार की वित्तीय समावेशन योजना के अंतर्गत भारतीय स्टेट बैंक और आईसेक्ट लिमिटेड कंपनी के मध्य अनुबंध है। इस अनुबंध के अनुसार आइसेक्ट लिमिटेड द्वारा योग्य प्रत्याशियों का ग्राहक सेवा केंद्र में चयन किया जाता है। ऐसे चयनित प्रत्याशियों को भारतीय स्टेट बैंक के द्वारा सीएसपी कोड प्रदान किया जाता है। जिसके अंतर्गत उन्हें निर्धारित क्षेत्र में ग्राहकों के खाता खोलने एवं अन्य बैंकिंग सुविधा प्रदान करने की अनुमति दी जाती है। इस योजना के अंतर्गत गौरव मिश्रा निवासी मोहगांव को 22 जनवरी 2013 से बैंकिंग की कियोस्क खोलने हेतु सीएसपी कोड प्रदान किया गया था। जिसकी लिक ब्रांच भारतीय स्टेट बैंक शाखा मोहगांव ब्लाक बिरसा ब्रांच से था।
खातेदारों के खाते से पैसा निकाला
आईसेक्ट लिमिटेड कंपनी भोपाल के चीफ मैनेजर आशुतोष सिंह भदोरिया को भारतीय स्टेट बैंक शाखा मोहगांव से जानकारी मिली कि कियोस्क संचालक गौरव मिश्रा के द्वारा विभिन्न खातेदारों के खातों से अनाधिकृत तरीके से राशि निकालकर गबन किया गया है। जिसकी शिकायतें खातेदारों के द्वारा बैंक शाखा में की गई है। इस संबंध में आईसेक्ट लिमिटेड कंपनी के सक्षम अधिकारी ने भारतीय स्टेट बैंक शाखा मोहगांव का दौरा कर शिकायतों के संबंध में आवश्यक जानकारी प्राप्त की थी। भारतीय स्टेट बैंक शाखा मोहगांव से कुल 79 शिकायतों की जानकारी प्राप्त हुई। मिली शिकायतों की संयुक्त जांच भारतीय स्टेट बैंक एवं आईसेक्ट लिमिटेड कंपनी ने की। कियोस्क संचालक गौरव मिश्रा 1 मार्च 2017 से उसकी कियोस्क आईडी बंद करने के दिनांक 1 फरवरी 2024 तक धोखाधड़ी किया। उक्त 79 शिकायतों में से 33 शिकायतों में खातेदारों का क्लेम साक्ष्य के अभाव में निरस्त करना एवं कुल 9 खातेदारों को क्लेम की कुछ राशि प्राप्त हुई थी। कुछ राशि प्राप्त होना शेष है।
खातेदारों के साथ धोखाधड़ी
गौरव मिश्रा ने कुल 37 शिकायतों में खातेदारों के साथ गबन एवं धोखाधड़ी होना पाया गया। इस तरह संयुक्त जांच में कुल 58 लाख 48 हजार 977 रुपए का दावा खातेदारों द्वारा किया गया। जिसमें 36 लाख 89 हजार 671 रुपए जांच में प्रमाणित पाया गया तथा 8 लाख 02 हजार 658 रुपये खाता धारकों को प्राप्त होना पाया गया।इस प्रकार 37 खातेदारों से 28 लाख 87013 रुपए कियोस्क संचालक गौरव मिश्रा के द्वारा गबन कर धोखाधड़ी की गई।
जांच में गबन होना पाया गया
शिकायतों की जांच से स्पष्ट हुआ कि खातेदारों के खातों के ट्रांजैक्शन उपरांत आई हुई सिस्टम जेनरेटेड रसीदों को कियोस्क संचालक गौरव मिश्रा के द्वारा कंप्यूटर एवं नेटवर्क सिस्टम का प्रयोग कर रसीदों का प्रतिरूपेण तैयार कर खातेदारों के साथ अभी तक कुल 28 लाख 87 हजार 013 रुपए का गबन कर धोखाधड़ी करना जांच में पाया गया। साथ ही इस बात की भी संभावना है कि अन्य खातेदारों के साथ इस तरह की धोखाधड़ी के और भी प्रकरण हो सकते हैं।
मैनेजर ने की थाने में शिकायत
ग्यारह फरवरी आईसेक्ट लिमिटेड कंपनी के चीफ मैनेजर आशुतोष सिंह भदोरिया ने अपने सहयोगी निखिल जावलकर आईसेक्ट लिमिटेड कंपनी भोपाल के साथ इस मामले की जांच रिपोर्ट एवं खातेदारों की समस्त शिकायतें मलाजखंड पुलिस थाना में पेश किये। मलाजखंड पुलिस थाना में इस शिकायत के आधार पर 28 लाख 87 हजार 013 रुपए की इस धोखाधड़ी के मामले में कियोस्क संचालक गौरव मिश्रा के विरुद्ध धारा 409, 420,467, 468, 471 भादवि के तहत अपराध दर्ज गौरव मिश्रा को गिरफ्तार किया। वही बैहर न्यायालय में पेश कर उसे पुलिस रिमांड पर लिया गया है। बहरहाल पूछताछ में धोखाधड़ी के अन्य प्रकरण भी सामने आने की संभावना है।
ऐसे करता था धोखाधड़ी
टारोपी गौरव मिश्रा क्षेत्र के भोले भाले जनता का बैंकिंग के संबंध में अनभिज्ञता अथवा कम ज्ञान का फायदा उठाकर क्षेत्र का ही होने के नाते विश्वास जीतकर धोखाधड़ी किया करता था। जो लोग कियोस्क में पैसे जमा करने आते थे, उनके आधे पैसे जमा किया करता था तथा आधे पैसे स्वयं रख लेता था।परन्तु जितने पैसे वे उसको जमा कराने कहते थे उतने पैसों की एडिट की हुई रसीद दे दिया करता था। जब खाताधारक अपने खाते में पैसा जमा कराने आते थे, तो उनका फिंगर प्रिंट मशीन से फिंगर लेकर पैसा उनके खाते में जमा कर देता था। और बड़ी चुराई से तुरंत ही पुनः उनका फिंगर लेकर पैसा अपने स्वयं के खाते मे ट्रांसफर कर देता था, या फिर साथ में कियोस्क बैंक में ही काम करने वाले सहयोगी को बिना कुछ बताये उसके खाते में ट्रांसफर कर देता था। और सहयोगी को यह कह देता था कि तुम्हारे खाते में मैंने कुछ पैसा डाल दिया है क्योंकि उसके खाते की लिमिट ज्यादा हो गई है। उसके बाद वह फोन पे के माध्यम से सहयोगी से वापस पैसे अपने खाते में डलवा लेता था। अथवा सहयोगी को कहता था कि जो पैसा मैने तुम्हारे खाते में डाल दिया हूं उसको निकलवाकर कैश पैसा मुझे लाकर दे देना।
ठगी का नायाब तरीका
कुछ खाता धारक जो फिंगर प्रिन्ट के माध्यम से पैसा निकालने आते थे उनसे दो तीन बार फिंगर प्रिन्ट मशीन पर फिंगर लगवाकर उनके खाते से अपने खाते में कुछ पैसे जमा करवा लिया करता था तथा कुछ पैसे उन्हे दे दिया करता था। जिसकी जानकारी खाता धारकों को भी नही होती थी। जो खाताधारक उससे पूछते थे कि दो तीन बार हमारा अंगुठा लगवाये हो तो आरोपी उन्हे कह देता था, कि तुम्हारा फिंगर अच्छे से नहीं आया है। कियोस्क सेंटर में जान पहचान के लोग आ जाते थे तो वह उनको कहता था कि तुम्हारे पास कैश रखा है मुझे कैश पैसों की आवश्यकता है। वह उनको फोन पे के माध्यम से आनलाईन पैसे उनके खाते में जमा कर उनसे नगद पैसे ले लिया करता था।
नटवरलाल बना गौरव
अपने लैपटाप में रसीद एडिट का एप्प फोटोशाप नाम का बनाकर इंस्टाल किया था। जिसके माध्यम से खाताधारकों को फर्जी जमा रसीद एडिट करके दे दिया करता था। तथा उन रसीदों में आरोपी गौरव मिश्रा हस्ताक्षर कर देता था। परन्तु ज्यादातर रसीदों में तारीख नहीं लिखता था। इस प्रकार खाताधारकों के मेहनत मजदूरी, अनाज की कमाई, पेंशन, शासकीय योजनाओं का आया हुआ पैसा का गबन किया है। साथ ही हिसाब किताब मांगे जाने पर फर्जी स्लिप तैयार कर दे देता था। विवेचना में और भी खाताधारकों से जानकारी प्राप्त कर गबन एवं धोखाधड़ी संबंधी तथ्यों की जाँच बैंक से करवायी जा रही है।