
रायपुर ।(राजू तिवारी)। राजधानी के दक्षिण उपचुनाव में कांग्रेस के विरोधी खेमे में भीतरघात के चाकू तेज होने लगे हैं। वहीं कांग्रेस केे बड़े नेता नहीं चाहते कि हार की लीड बढ़े। इसलिए कांग्रेस के बड़े नेता अब चुनावी मैदान में जाने की तैयारी कर लिए हैं। सब को वार्ड दे दिया गया है। जवाबदारी दे दी गयी है। कौन किस किस वार्ड में भ्रमण करेगा। प्रचार की समीक्षा हर दिन राजीव भवन में होगी। बीजेपी यह मान कर चल रही है कि यह चुनाव जीता हुआ है। इसलिए कि यहां से आठ बार के विधायक रह चुके हैं बृजमोहन अग्रवाल। वो नहीं चाहेंगे कि उनके हटते ही यह विधान सभा कांग्रेस के पाले में चला जाए।
हाथ में भीतरघात की हिना
कांग्रेस के बड़े नेता टिकट बंटवारे मे पहले ही अपनी भद्द करा चुके हैं। इस वजह से कांग्रेस के अंदर कहा जा रहा है कि कन्हैया और प्रमोद दुबे के समर्थक कांग्रेस के हाथ में भीतरघात की हिना लगाएंगे ही। और बीजेपी भी चाहती है यही हो। वैसे अभी तक कांग्रेस के सारे पार्षद और बड़े नेता अभी तक बृजमोहन अग्रवाल से सेट हो जाते रहे हैं।जिससे बृजमोहन के जीत की लीड बढ़ जाती थी। देखना यह है कि दक्षिण विधान सभा में जितने भी कांग्रेस के बड़े नेता और मेयर और पूर्व मेयर रह रहे हैं,क्या वो इस बार बीजेपी का साथ देंगे। अथवा कांग्रेसी होने का हक अदा करेंगे। इसलिए कि इस बार बृजमोहन अग्रवाल की जगह सुनील सोनी हैं। सुनील सोनी यानी भावी मंत्री। क्या कांग्रेस के बड़े नेता सुनील सोनी को जीतने देंगे। और यदि भीतरघात की चाकू कांग्रेस के हाथ में नहीं होगा तो क्या इस विधान सभा की मतदाता बीजेपी सरकार के खिलाफ जाएगी। वैसे हर कोई यही कह रहा है यह उपचुनाव केवल औपचारिक है।
क्या ये कांग्रेसी कामयाब हो जाएंगे
कांग्रेस केे सभी बड़े नेता लीडर इस वक्त खाली हैं। सवाल यह है कि यदि जिन नेताओं को प्रचार की कमान तय कर दी गयी है वो कामयाब नेता साबित हो जाएंगे। ये सभी चुनाव लड़ने के मामले में पुरोधा हैं। क्या ये मिलकर दक्षिण विधान सभा चुनाव जीत लेंगे या केवल हार की लीड कम करेंगे। कांग्रेस का दूसरा गुट यही कह रहा है। जैसा कि इस उपचुनाव समीर में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत, वरिष्ठ नेता धनेन्द्र साहू, सत्यनारायण शर्मा और टीएस सिंहदेव आदि कांग्रेस प्रत्याशी आकाश के लिए प्रचार करेंगे। संगठन ने अलग अलग क्षेत्रों में छोटी सभाएं भी होंगी। लीडर डोर टू डोर जनसंपर्क करेंगे।
प्रचार अभियान की समीक्षा
कांग्रेस के अंदर इस चुनाव को ऊपरी तौर जितना गंभीर से लिया जा रहा है। उससे यही लगता है कि वो यह चुनाव जीतने के लिए लड़ रहे हैं। इसलिए कि हर दिन प्रचार अभियान के बाद कांग्रेस भवन में शाम को समीक्षा भी किया जाएगा। प्रचार के दौरान वार्डों में सामने आने वाली खामियों और समस्याओं पर चर्चा के बाद इसे दूर करने की रणनीति पर भी विचार होगा। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत समेत सभी वरिष्ठ नेता खुद चुनाव अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। दिशा.निर्देश भी दे रहे हैं। इधर प्रभारी सचिव जरिता लैतफलांग भी 4 नवंबर से दक्षिण के प्रचार अभियान में शामिल होंगी।
विधायकों को निर्देश
विधायकों समेत पीसीसी पदाधिकारियों और स्थानीय नेताओं को बूथ स्तर पर ही डटे रहने के निर्देश हैं। इनके नीचे भी अलग-अलग प्रचार टीमें लगी हुई हैं। दीपावली के बाद एक ही दिन अलग अलग वार्डों में लगातार बड़े नेताओं का जनसंपर्क शुरू होगा। उनके साथ वार्डों में प्रभाव रखने वाले पदाधिकारी भी रहेंगे। हर बूथ और वार्ड की जिम्मेदारी अलग अलग नेताओं को दी गयी है।
दिग्गजों की जंग
दक्षिण विधान सभा को जीतना कांग्रेस और बीजेपी दोनों चाहते हैं। मुख्यमंत्री विष्ण देव साय और भूपेश बघेल दोनों की सियासी प्रतिष्ठा का सवाल है। यदि बीजेपी हार गयी तो यही माना जाएगा कि प्रदेश में विष्णु देव साय के काम काज से जनता खुश नहीं है। और यदि हार की लीड कांग्रेस की बढ़ गयी तो यही माना जाएगा कि भूपेश कभी लोकप्रिय थे ही नहीं। वैसे भाजपा के सुनील अपनी जीत को आसान नहीं समझ रहे हैं। इसलिए नहीं कहा जा सकता कब गाढ़ी हो जाए हाथ की लकीर। वैसे बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ जारी कार्टुन चर्चा में है।